अब उत्तराखंड के धारचूला में भूस्खलन, 7 लोगों की मौत का अंदेशा

लगातार पहाड़ियां दरकने से घाटी के जुम्मा गांव में 7 लोगों की मौत की आशंका। काली नदी में उफान से धारचूला नगर खाली करवाया गया
उत्तराखंड-नेपाल सीमा के पास बसे धारचूला नगर से बीस किलोमीटर दूर गांव जुम्मा में तबाही के दृश्य। फोटो: टिवटर/पिथौरागढ़ पुलिस
उत्तराखंड-नेपाल सीमा के पास बसे धारचूला नगर से बीस किलोमीटर दूर गांव जुम्मा में तबाही के दृश्य। फोटो: टिवटर/पिथौरागढ़ पुलिस
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नेपाल सीमा से लगे पिथौरागढ़ का धारचूला शहर और उसके आसपास के गांव दोहरे संकट से जूझ रहे हैं। एक तरफ लगातार पहाड़ियां दरक रही हैं, जबकि नीचे की तरफ काली नदी उफान पर है। धारचूला से करीब 20 किमी दूर जुम्मा गांव में हुए भूस्खलन से अब तक 7 लोगों की मौत हो जाने की खबर है। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार अब तक 3 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं और कम से कम 4 लोगों के अभी तक मलबे में दबे होने की खबर है।

उत्तराखंड में 29 अगस्त सुबह आठ बजे से लेकर 30 अगस्त सुबह आठ बजे के बीच तीन जिलों में भारी बारिश हुई। मौसम विभाग के अनुसार, इस दौरान बागेश्वर जिले में 12 सेंटीमीटर, पिथौरागढ़ में 11 सेंटीमीटर और देहरादून जिले में 7 सेंटीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। 

पिथौरागढ़ के जिला प्रबंधन अधिकारी भूपेन्द्र सिंह के अनुसार घटना सुबह 6 बजे के करीब हुई। सूचना मिलने के साथ ही रेस्क्यू टीमें प्रभावित क्षेत्र के लिए रवाना कर दी गई थी, लेकिन रास्ते पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण टीमों को पहुंचने में काफी देर लगी। भूपेन्द्र के अनुसार दोपहर तक एसएसबी, एसडीआरएफ, पुलिस और राजस्व पुलिस की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं और रेक्स्यू अभियान शुरू कर दिया गया है। अब तक तीन लोगों के शव बरामद कर दिये गये हैं। 7 से 9 लोगों के अब भी मलबे में दबे होने की खबर है।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी के अनुसार डीएम आशीष चौहान प्रभावित क्षेत्रों के तरफ रवाना हो चुके हैं, हालांकि रास्ते बंद हैं। एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीम भी प्रभावित क्षेत्र में पहुंचने का प्रयास कर रही है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी के अनुसार पिथौरागढ़ में अब तक मिली सूचना के अनुसार जुम्मा गांव के जामुनी तोक में 5 लोग लापता हो गये थे। इनमें से 3 की शव मिल गये हैं। घर मलबे में दब गये हैं, जबकि पास के सिरोउडियार तोक में 2 महिलाएं लापता बताई जा रही हैं। यह गांव जिला मुख्यालय से करीब 110 किमी दूर है। भूपेन्द्र सिंह के अनुसार दोपहर तक 4 शव निकाले जा चुके हैं। 3 लोग लापता हैं और 7 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये हैं।

धारचूला से आपदा प्रभावित गांव जामुनी पहुंचने का प्रयास कर रहे धारचूला के सामाजिक कार्यकर्ता और एक्टिविस्ट हरीश धामी ने डाउन टू अर्थ को टेलीफोन पर बताया कि यह इलाका पूरी तरह से बुरी तरह तबाह हो गया है। काली नदी उफान पर है। नेपाल की ओर से आने वाले सभी बरसाती नालों में भारी मात्रा में पानी आ रहा है। कई जगहों पर सड़कें बह गई हैं। हरीश धामी के अनुसार नेपाल की ओर से आने वाला नाला सबसे ज्यादा उफान पर है। इस नाले से आने वाले मलबे ने काली नदी के एक बड़े हिस्से को अवरुद्ध कर दिया है और एक झील बन गई है।

धारचूला देर रात खाली करवाया
बताया जाता है कि इस क्षेत्र में पिछले 5 दिनों से लगातार बारिश हो रही है। कई जगहों पर पहाड़ी से मलबा और पत्थर आ रहे हैं। ऐसी ही एक घटना में दो दिन पहले ग्रिफ के एक मजदूर की सिर पर पत्थर लगने से मौत हो गई थी। हरीश धामी के अनुसार बीती रात 11 बजे से बारिश तेज हो गई थी। धारचूला के लोग पहाड़ी से आ रहे मलबे को देखते हुए आशंकित थे। इसी बीच रात 2 बजे पुलिस ने अनाउंसमेंट शुरू करके निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को घर खाली करने की अपील शुरू कर दी। इसके बाद दर्जनों घरों के लोग धारचूला के सरकारी स्कूल में चले गये हैं।

काली नदी से लगते कई गांवों को भी खाली करवाया जा रहा है। काली में उफान से धारचूला स्थिति एनएचपीसी की धौली गंगा प्रोजेक्ट की आवासीय कालोनी में पानी भरने के कारण इस कॉलोनी को खाली करवा दिया गया है। कालॉनी के दो मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। एनएचपीसी का धौलीगंगा प्रोजेक्ट धारचूला से करीब 35 किमी दूर छिरकिला नामक स्थान पर है। यह परियोजना 2002 में तैयार हुई थी। हालांकि परियोजना को इस बाढ़ से नुकसान पहुंचने की फिलहाल कोई सूचना नहीं है।

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