निसर्ग चक्रवात अपडेट: मुंबई से 80 किमी दूर टकराया तूफान, भारी बारिश

1891 के बाद से निसर्ग पहला चक्रवात होगा जो जून में महाराष्ट्र के तट से टकराया है
Photo: mausam.imd.gov.in
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चक्रवात निसर्ग का महाराष्ट्र के तट पर 3 जून को दोपहर लगभग डेढ़ बजे टकराया। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में लगभग एक घंटे का समय लगेगा। मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक लैंडफाल के बाद यह आगे उत्तर पूर्व की ओर बढ़ जाएगा और लगभग छह घंटे बाद तूफान के कमजोर होने की उम्मीद है।

आईएमडी के मुताबिक निसर्ग तूफान मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दक्षिण की ओर बसे अलीबग इलाके में टकराया है। इसके साथ ही वहां तेज हवाएं और बारिश शुरू हो गई है।

आईएमडी ने दोपहर 12.30 बजे बताया था कि साउथ मुंबई के कोलबा में 72 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं। इसी तरह दक्षिण पश्चिमी महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में स्थित हरनाई में भी 72 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चल रही थी। 

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार 1891 के बाद से निसर्ग पहला चक्रवात होगा जो जून में महाराष्ट्र के तट से टकरा रहा है।

पिछले साल जून में 'वायु' चक्रवात के महाराष्ट्र के पास टकराने के आसार थे लेकिन वो गुजरात की ओर मुड़ गया था| अधिकतर जो चक्रवात जून में बनते हैं, आमतौर पर गुजरात और पाकिस्तान के तटों की ओर मुड़ जाते हैं या फिर पश्चिम में ओमान और यमन की और चले जाते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका के मैरीलैंड विश्वविद्यालय में जलवायु वैज्ञानिक रघु मुर्तुगुडे का कहना है कि जब भी मानसून की शुरुआत होती है, तो दक्षिण पश्चिम हवाएं तेज चलने लगती हैं और वो सतह से कई किलोमीटर ऊपर तक उठ जाती हैं। जैसे-जैसे चक्रवात तट के साथ उत्तर की ओर बढ़ता है, तो इसमें वामावर्त (काउंटर क्लॉकवाइज) हवाएं दक्षिण पश्चिम हवाओं को दक्षिण की ओर धकेल देती हैं| यह प्रक्रिया चलती रहती है, जिससे चक्रवात बढ़ता जाता है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात आम तौर पर समुद्री जल के 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म होने के कारण बनते और बढ़ते हैं। गर्मी के कारण समुद्र के ऊपर से गर्म और नम हवा बहती है, जिससे हवा के कम दबाव वाला क्षेत्र बन जाता है। आसपास के क्षेत्र से ठंडी हवा कम दबाव वाले क्षेत्र में आती जाती है। ऐसा होने से ये ठंडी हवा भी गर्म हो जाती है| यह प्रक्रिया चलती रहती है जिससे हवा घूमते हुए एक चक्रवाती तूफान का रुप ले लेती है।

चक्रवात अम्फान के समय समुद्र की सतह का तापमान 32 से 33 डिग्री सेल्सियस हो गया था, जोकि अब तक का सबसे ज्यादा रिकॉर्ड किया गया तापमान है| जिसके चलते यह चक्रवात बंगाल की खाड़ी में आये सबसे मजबूत तूफानों में से एक बन गया था।

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