हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में 28 लोगों की मौत का कारण बने निगुलसरी लैंडस्लाइड जोन में अभी भी खतरा बना हुआ है। अभी भी पुलिस के पहरे में वाहनों की अवाजाही जारी है। हालांकि दिन के समय यहां पुलिस के 6 जवान तैनात हैं, लेकिन शाम 6 बजे के बाद स्थानीय लोगों और बाहरी यात्रियों को खतरे के साये में सफर करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि निगुलसरी में 11 अगस्त को भूस्खलन की बड़ी घटना में चार वाहनों के चपेट में आने से 28 लोगों की मौत हो गई थी और 11 लोग घायल हो गए थे। 2 सितंबर को डाउन टू अर्थ की टीम ने घटनास्थल का जायजा लिया और पाया कि घटना के 21 दिन बाद भी अभी नेशनल हाईवे 05 के ऊपर थाच गांव में अभी भी बड़े पत्थर गिरने के कगार पर हैं। जिन्हें हटाने का अभी तक कोई प्रबंध नहीं किया गया है।
प्रशासन की ओर से निगुलसरी लैंडस्लाइड जोन में छह जवानों की तैनाती की गई है, जिनमें से दो जवान रामपुर की ओर से आने वाले ट्रैफिक का प्रबंध देख रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ को तैनात अन्य दो जवान भावानगर की ओर से आने वाले वाहनों का प्रबंध देख रहे हैं। चारों जवान एक दूसरे को वायरलैस के माध्यम से वाहनों के आने जाने की सूचना देते हैं।
जबकि दो जवानों को नेशनल हाइवे के पर थाच गांव जहां से चट्टाने गिरी थी उस घटनास्थल में तैनात किया गया है, ये दोनों जवान नीचे अपने साथ जवानों को ऊपर की स्थिति के बारे में वायरलैस से अवगत करवाते रहते हैं।
थाच गांव के निवासी सुन्नी राम ने डाउन टू अर्थ को बताया कि जिस स्थान से पहले पत्थर गिरे थे, वहां अभी भी बड़े-बड़े पत्थर गिरने के कगार पर हैं। जो कभी भी नीचे हाइवे में कहर बरपा सकते हैं। उन्होंने बताया कि वे इन पत्थरों को हटाने के लिए प्रशासन के सामने गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सुन्नी राम बताते हैं कि उनके गांव में कई घरों में दरारें आ गई हैं और कई घर तो गिरने के कगार पर पहुंच गए हैं।
इसके अलावा गांव के लोगों ने बताया कि इससे पहले भी 2019 में इसी स्थान में पत्थर नीचे गिरे थे, जिसमें भेड़-बकरियों के साथ गुजर रहे लोगों की जानें तो बच गई थी, लेकिन इस घटना में 35 भेड़ें मर गई थी, बावजूद इसके प्रशासन समय पर नहीं जागा और अगस्त में इतनी बड़ी घटना घटित हो गई।
निगुलसरी और थाच गांव के लोगों का मानना है कि जब से गांव के नीचे से नाथपा झाकड़ी पावर प्रोजेक्ट की टनल और ऊपर पावर ट्रांसमिशन लाइन के बड़े-बड़े टावर लगे हैं तब से भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं।
गांववालों ने बताया कि 2014 में भी निगुलसरी गांव में भूस्खलन हुआ था जिसमें एक व्यक्ति की मौत हुई थी और 4 घर ध्वस्त हो गए थे।
भले ही प्रशासन निगुलसरी लैंडस्लाइड को प्राकृतिक आपदा का नाम दे रहा है, लेकिन स्थानीय लोग इसे और किन्नौर में हुइ अन्य घटनाओं को मानव निर्मित मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि बड़ी-बड़ी परियोजनाओं ने किन्नौर का सीना छलनी कर दिया है जिसकी वजह से भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।