इस तरह से कम की जा सकती है आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली मौतें: अध्ययन

अध्ययन के मुताबिक, भारत में साल 1967 से 2020 के बीच बिजली गिरने से 1,01,309 लोगों की मौत हुई, जबकि 2010-2020 के बीच मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई।
भारत में हर साल औसतन 1,876 मौतें होती हैं, बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण बिजली गिरने की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता ने पिछले कुछ सालों में देश में मौतों में तेजी की बढ़ोतरी की है।
भारत में हर साल औसतन 1,876 मौतें होती हैं, बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण बिजली गिरने की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता ने पिछले कुछ सालों में देश में मौतों में तेजी की बढ़ोतरी की है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स,ओरेगन परिवहन विभाग
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भारत में वज्रपात की घटनाएं साल-दर-साल बढ़ रही हैं, एक नए अध्ययन के मुताबिक, मध्य और पूर्वोत्तर भारत में बिजली गिरने से सबसे अधिक मौतों होती हैं। आंकड़ों से पता चला है कि अकेले मध्य भारत में 50,884 (50 फीसदी) मौतें होती हैं। शोधकर्ता के मुताबिक, बिजली गिरना एक सामान्य प्राकृतिक घटना है, खासकर मॉनसून के दौरान। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु में बदलाव के कारण चरम घटनाओं में पूरे भारत में वृद्धि देखी जा रही है

एनवायरमेंट, डेवलपमेंट एंड सस्टेनेबिलिटी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, साल 1967 से 2020 के बीच बिजली गिरने से 1,01,309 लोगों की मौत हुई, जबकि 2010-2020 के बीच मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। आंकड़ों से पता चलता है कि हर एक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में औसत वार्षिक मौतों में 1967-2002 के दौरान 38 से बढ़कर 2003-2020 के बीच 61 हो गई है।

आकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल औसतन 1,876 मौतें होती हैं, बदलती जलवायु परिस्थितियों के कारण बिजली गिरने की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता ने पिछले कुछ सालों में देश में मौतों में तेजी की बढ़ोतरी की है। 29,804, लगभग एक तिहाई मौतें साल 2010 और 2020 के बीच हुई हैं। पहले चार दशकों में 71,505 मौतें दर्ज की गई।

शोधकर्ता ने बिजली गिरने की बढ़ती घटनाओं के लिए पर्यावरण क्षरण, जलवायु परिवर्तन, क्षेत्रीय आधार पर बदलाव, भौगोलिक और जलवायु विविधता, पूर्व चेतावनी प्रणालियों की कमी और सामाजिक-आर्थिक कारणों को जिम्मेदार ठहराया।

आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली मौतों पर किस तरह लगाई जा सकती है लगाम?

अध्ययनकर्ता ने बताया कि इस अध्ययन का उद्देश्य बिजली गिरने से होने वाली मौतों में वृद्धि के पीछे के कारणों की जानकारी देना और आकाशीय बिजली गिरने की प्रभावी सुरक्षा प्रणालियों, नीतियों के विकास को आगे बढ़ाना है। मध्य भारत, उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में देखे गए भारी बदलावों के लिए कई परस्पर जुड़े कारणों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

अध्ययनकर्ता ने अध्ययन के हवाले से कहा कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और लैटिन अमेरिका बिजली से जुड़ी आपदाओं से कैसे निपटते हैं? हम भी बेहतर जागरूकता और जानकारी के साथ वज्रपात से होने वाली मौतों को रोक सकते हैं। हमें पहले से चेतावनी देने वाली प्रणाली और आकाशीय बिजली से सुरक्षित बुनियादी ढांचा बनाने की जरूरत है। साथ ही, शोध, आंकड़ों और सामुदायिक सहभागिता में निवेश बढ़ाना भी बहुत जरूरी है।

अध्ययन में कहा गया है कि भारत जैसे विकासशील देश चक्रवात, बाढ़ और सूखे के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं, लेकिन बिजली और लू या हीटवेव से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं। पूर्वोत्तर, जो वर्षा के पैटर्न, तापमान और चरम मौसम की घटनाओं में बदलाव का सामना कर रहा है, यहां बड़े पैमाने पर जंगलों के काटे जाने, जल निकायों की कमी, ग्लोबल वार्मिंग के कारण आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में भी तेज वृद्धि देखी गई है।

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