169 चक्रवातों का नया नामकरण, तटस्थता पर ध्यान

यह नए नाम 13 सदस्य देशों के उष्णकटिबंधीय चक्रवात पर बने डब्लूएमओ/एस्केप पैनल के सहयोग से सामने आए हैं
Photo: Wikimedia commons
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भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने विश्व मौसम विज्ञान संस्थान (डब्ल्यूएमओ), संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और यूनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड द पेसिफिक (यूएनएस्केप) के साथ मिलकर उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र में ऊष्णकटिबंधीय चक्रवातों के 169 नए नाम जारी किए हैं। यह नाम 13 सदस्य देशों (प्रत्येक के 13 नाम) के ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात (ट्रॉपिकल साइक्लोन) पर बने डब्ल्यूएमओ/एस्केप पैनल के सहयोग से सामने आए हैं। ये सदस्य देश बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन हैं।

आईएमडी ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि भारत से जो नाम साझा किए गए थे, वे आम लोगों के सुझाव से सामने आए थे। लेकिन इन नामों को सामने नहीं लाया गया है। आईएमडी के अनुसार, ऊष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण तूफान और आंधी की पहचान के लिए और जागरुकता के साथ भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए किया जाता है। एक ही क्षेत्र में अगर दो चक्रवात होते हैं तो इस तरह चक्रवातों से संबंधित चेतावनियों को आसानी और कुशलता से साथ फैलाया जा सकता है।

सभी चक्रवात के नामों की पिछली सूची में से एक नाम (अंफन) का उपयोग जारी रखा गया है। वर्ष 2004 से जारी आखिरी सूची को आठ सदस्य देशों के योगदान से तैयार किया गया था। नई सूची में 13 देशों के योगदान को शामिल किया गया है, जिसमें पांच नए सदस्य देश शामिल हैं। सितंबर, 2018 में ओमान के मस्कट में आयोजित डब्ल्यूएमओ/एस्केप ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात पर आयोजित 45वें सत्र के दौरान नामों की एक नई सूची की आवश्यकता पर सभी सदस्य देशों ने निर्णय लिया था।

इसी सत्र में आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा को भी पैनल में नामित किया गया था, जिनकी जिम्मेदारी सदस्य देशों के बीच नामों को लेकर समन्वय बनाने और सूची को अंतिम रूप देने की थी।आईएमडी, डब्ल्यूएमओ का एक विशेष स्थानीय मौसम विज्ञान का केंद्र (आरएसएमसी) भी है जो कि नोडल एजेंसी की तरह काम करता है। भारत ने पिछले वर्ष 9 से 13 सितंबर के बीच हुए डब्ल्यूएमओ/एस्केप ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात पर आयोजित 46वें सत्र में नेपीडॉ, म्यांमार में सभी देशों के तालमेल से तैयार रिपोर्ट को पेश किया था। सदस्य देश अप्रैल 2020 में नामों पर सहमत हो गए।

इन मानदंडों पर तय हुए नाम

इस पैनल ने नामों को अंतिम रूप देने के लिए कई मानदंडों का पालन किया। इसमें सबसे पहले प्रस्तावित नाम सभी देशों के राजनीतिक और धार्मिक मान्यताओं, सांस्कृति और जेंडर संबंधित मान्यताओं को लेकर तटस्थ हो। ये नाम ऐसे न चुने जाएं जिससे विश्व के किसी भी कोने में किसी समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचे। मानदंडों में यह भी शामिल था कि ये नाम असभ्य या क्रूरता से भरे न हों। साथ ही, इनकी लंबाई आठ अक्षरों से अधिक न हो और उच्चारण में आसान हो। इन नामों को सुझाने के समय इनका उच्चारण का भी एक नमूना भेजा जाना जरूरी होता है।

सदस्य देशों के द्वारा बनाए पैनल के पास इस बात का अधिकार रहता है कि वह किसी मानदंड की पूर्ति न होने पर नाम को खारिज कर सकें। सालाना सत्र के दौरान भी तय किए हुए नामों में बदलाव की गुंजाइश रहती है।इसके अलावा मानदंडो में उत्तरी भारतीय समूद्र में एक बार जिस नाम का उपयोग हो गया उसका दोबारा उपयोग न करने की भी शर्त है। इसलिए सभी नाम नए होते हैं।

डब्ल्यूएमओ का स्थानीय मौसम विज्ञान का केंद्र (आरएसएमसी), नई दिल्ली को नामकरण की प्रक्रिया को लागू करना है।जब भी कभी उष्णकटिबंधीय तूफान उत्तर भारतीय समुद्री क्षेत्र से 62 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी तो इस तूफान को एक नाम दिया जाएगा। अगर यह उष्णकटिबंधीय चक्रवात दक्षिण चीन सागर (जहां उन्हें टाइफून के रूप में नामित किया गया है) से बंगाल की खाड़ी में जाता है तो इसका नाम नहीं बदला जाएगा।

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