20 मई को आए सुपर साइक्लोन अंफान के कारण पश्चिम बंगाल में भारी क्षति हुई। पिछले हफ्ते नुकसान का आकलन करने के लिए केंद्रीय टीम आई थी, तो पश्चिम बंगाल सरकार ने एक रिपोर्ट देकर 1.02 लाख करोड़ रुपए के नुकसान की बात कही थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, तूफान के कारण 28.6 लाख मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं जिससे लगभग 28,650 करोड़ रुपए की क्षति हुई है वहीं, 17 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो गई जिससे 15800 करोड़ का नुकसान हुआ है। चक्रवात का प्रभाव इतना ज्यादा था कि सुंदरवन के कई द्वीपों में अब भी पानी भरा हुआ है।
वर्ष 1999 के बाद पहली बार भारत में इतना प्रभावशाली सुपर साइक्लोन आया था। जानकार बताते हैं कि इस चक्रवात से जो नुकसान हुआ है, उससे उबरने में वर्षों लगेंगे, लेकिन जानकार ये भी कहते हैं कि चक्रवात जितना प्रभावशाली था, अगर एहतियात बरतते हुए सही समय पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर नहीं ले जाया गया होता, तो हजारों लोगों की जानें जा सकती थीं।
लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और एहतियाती कदम उठाने में भारतीय मौसमविज्ञान विभाग की ओर से नियमित अंतराल पर जारी अलर्ट और सटीक अनुमान की भी बड़ी भूमिका रही। 16 मई से भारतीय मौसम विज्ञान विभाग लगातार बुलेटिन जारी कर चक्रवात की गतिविधियों के बारे में जानकारी देता रहा, लेकिन ये सब इतना आसान नहीं था।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 14 जून को 50 पन्ने की एक रिपोर्ट जारी कर सुपर साइक्लोन अंफान को लेकर अपनाई गई रणनीति और चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया है।
मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, विशाखापत्तनम, गोपालपुर, पारादीप, कोलकाता और आगरतला के मौसमविज्ञान केंद्रों से इस साइक्लोन की पल-पल की गतिविधि पर नजर रखी गई और सूचनाएं संबंधित राज्यों को दी गई।
13 मई को बंगाल की खाड़ी के निकट अंडमान समुद्र में निम्म दबाव का क्षेत्र बना था, जो 16 मई को डिप्रेशन में तब्दील हो गया और शाम होते-होते चक्रवात बन गया। चक्रवात की आई की परिधि 15 किलोमीटर की थी और निम्न दबाव बनने के स्थान से लैंडफाल करने तक इस चक्रवात ने 1765 किलोमीटर की दूरी तय की थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, विभाग 23 अप्रैल से ही भारतीय महासागर पर लगातार नजर रखे हुए था। 1 मई को अंडमान समुद्र के दक्षिणी हिस्से में एक निम्न दबाव बना था, जो 6 मई को खत्म हो गया था। लेकिन, उस क्षेत्र में एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन 12 तक बना रहा था। इस बीच विभाग के अधिकारी अंडमान समुद्र और बंगाल की खाड़ी पर नजर बनाए हुए थे।
7 मई को विभाग को लगा कि दूसरे हफ्ते में एक चक्रवात बन सकता है। रिपोर्ट कहती है, “स्थिति पर नजर रखी गई और 9 मई को ये पूर्वानुमान जारी किया गया कि 6 से 12 मई के बीच अंडमान सागर के दक्षिण हिस्से में हुई मौसमी गतिविधियों के चलते 13 मई को एक निम्न दबाव का क्षेत्र बनेगा। फिर 11 मई को ये संकेत दिया गया कि 16 मई को डिप्रेशन बनेगा।”
मौसमविज्ञान विभाग का ये अनुमान सही निकला। इसके बाद साइक्लोन ज्यों-ज्यों मजबूत होता गया, इससे जुड़ी जानकारियां तमाम प्लेटफॉर्मों के जरिए साझा की जाने लगीं। जिस दिन चक्रवात का लैंडफाल होना था, उस दिन हर घंटे वेदर बुलेटिन जारी कर चक्रवात की जानकारी दी गई।
हालांकि, अंफान के लैंडफाल करने के समय का सही अनुमान लगाना बहुत आसाना नहीं था क्योंकि भूखंड की तरफ बढ़ते वक्त कभी चक्रवात की रफ्तार तेज हो जाती थी, तो कभी काफी धीमी।
रिपोर्ट बताती है, “शुरुआत के दो दिनों तक अंफान की रफ्तार बेहद सुस्त महज 4-5 किलोमीटर प्रतिघंटा थी जबकि आखिर के दो दिनों में इसकी रफ्तार काफी तेज 20-30 किलोमीटर प्रतिघंटा दर्ज की गई थी। वहीं, 19 मई की शाम को इसकी रफ्तार 240-250 किलोमीटर प्रतिघंटा हो गई थी। यानी कि चक्रवात की रफ्तार एक जैसी नहीं थी। ऐसे में ये पता कर पाना चुनौती भरा काम था कि ये कब लैंडफाल करेगा। साइक्लोन की रफ्तार का पता लगाने के लिए हमलोग मोटे तौर पर वैश्विक स्तर की 12 तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं।”
अंफान के मामले में इन सभी तकनीकों के अलावा वे सभी टूल इस्तेमाल किए गए, जो उपलब्ध थे और इसी के आधार पर सही अनुमान लगाया गया।