बीते सप्ताह दो चक्रवात एक साथ बने, जैसा कि सामान्य तौर पर ऐसा नहीं होता। ऐसा अब तक पहले तीन बार ही हुआ है, लेकिन पिछले 6 साल में तीसरी बार हो रहा है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इसे दुर्लभतम से भी दुर्लभ घटना बताया है।
27 अक्टूबर को अपने साप्ताहिक बुलेटिन में मौसम विभाग ने बताया कि बीते सप्ताह 20 अक्टूबर को चक्रवात तेज अरब सागर में बना, जो 23 अक्टूबर को यमन तट से टकराया था। उसी समय 21 अक्टूबर को बंगाल की खाड़ी में एक और चक्रवात बना, जिसे हामून नाम दिया गया था। यह चक्रवात 24 अक्टूबर को बांग्लादेश तट पर टकराया था।
विभाग की प्रवक्ता ने बताया कि आमतौर पर ऐसा नहीं होता है कि एक साथ दो चक्रवात बनें। इससे पहले 1977 में नवंबर में दो चक्रवात बने थे। एक चक्रवात नौ नवंबर को बना, जिसने आंध्रप्रदेश को प्रभावित किया था, जबकि दूसरा चक्रवात 14 नवंबर को बना था, जो तमिलनाडु को प्रभावित करते हुए अरब सागर पहुंचा था और वहां से लौटकर कर्नाटक को प्रभावित किया था।
इसके बाद 2018 में ऐसा हुआ, जब अरब सागर व बंगाल की खाड़ी में एक साथ चक्रवात बने। इन चक्रवातों को लुबान व तितली नाम दिया गया था। लुबान अरब सागर में बना था और तितली बंगाल की खाड़ी में बना था। लुबान ने यमन को प्रभावित किया था, जबकि तितली ने ओडिशा को प्रभावित किया था।
भारतीय मौसम विभाग ने तब भी इसे अति दुर्लभ घटना बताया था, लेकिन यह घटना फिर से अगले साल यानी 2019 को फिर घटी, जब एक अति गंभीर चक्रवात केयार बना हुआ था, उसी समय महा नाम का चक्रवात भी बन गया, लेकिन साथ ही बुलबुल चक्रवात भी बना। बुलबुल चक्रवात ने पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में तबाही मचाई थी।
मौसम विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि एक साथ दो चक्रवातों के बनने के कारण क्या हैं और 2018 के बाद यह सिलसिला क्यों बढ़ रहा है। लेकिन यह जरूर है कि पिछले कुछ सालों के दौरान चक्रवातों की प्रवृति में बदलाव देखा जा रहा है। चक्रवाती तूफानों की तीव्रता में वृद्धि देखी जा रही है।