नर्मदा पर बांधों के गेट नहीं खोले जाने के कारण आई बाढ़, गांवों में भरा पानी

बरगी बांध के ऊपर नर्मदा और उसकी सहायक नदी बंजर व बुढनेर में आए तेज पानी से डूब प्रभावित कई गांवों में पानी भर गया है
मध्य प्रदेश के जबलपुर में बने बरगी बांध के गेट नहीं खोले जाने के कारण आसपास के शिवनी और मंडला जिलों के कई गांवों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। फोटो: एनबीए
मध्य प्रदेश के जबलपुर में बने बरगी बांध के गेट नहीं खोले जाने के कारण आसपास के शिवनी और मंडला जिलों के कई गांवों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। फोटो: एनबीए
Published on

लगातार भारी बारिश के कारण मध्य प्रदेश की नर्मदा नदी पर बने बांध पूरी तरह से लबालब भर चुके हैं। और इनमें कई बांधों के गेट नहीं खोले जाने के कारण नर्मदा नदी के ऊपरी क्षेत्र (अपस्ट्रीम) के किनारों में बसे गांवों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है।

अब जब गांवों में पानी भर चुका है तब कुछ बांधों के गेट खोले दिए गए हैं ताकि बाढ़ की विभिषिका को कम किया जा सके। बरगी बांध के ऊपर नर्मदा और उसकी सहायक नदी बंजर व बुढनेर में आए तेज पानी से बरगी बांध के बेक वाटर से डूब प्रभावित गांव में पानी भर गया है।

हालांकि अब बरगी बांध के 19 गेट खोलकर पानी निकाला जा रहा है। अधिकारीयों की लापरवाही के चलते जबलपुर से लगे शिवनी जिले के बीजासेन गांव और मंडला के पदमी गांवों के विस्थापित बस्तियों में भी बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है।

मध्य प्रदेश में विशेषकर जबलपुर और आसपास के इलाकों में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। बरगी बांध प्रबंधन ने 11 सितंबर 2024 को बांध के 11 गेट खोले लेकिन इससे भी स्थिति में सुधार होता न देख 12 सितंबर 2024 की सुबह आठ बजे तक 6 और गेट खोलने पड़े। इससे नर्मदा नदी में 4,300 क्यूमेक पानी छोड़ा जा रहा है।

लेकिन अब बांध से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण नर्मदा नदी के डाउन स्ट्रीम यानी निचले इलाकों के किनारे बसे कई बसे गांवों में भी बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। दूसरी ओर इस बाढ़ से बरगी के विस्थापितों के गांवों की स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

विशेषकर बरगी बांध से विस्थापित पदमी गांव के ग्रामीणों की स्थिति सबसे अधिक चिंताजनक बताई जा रही है। भारी बारिश और बांध से छोड़े जा रहे पानी के चलते इन गांवों के घरों में पानी घुस गया है।

ग्रामीणों के घर और फसलें डूब चुकी हैं। प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम घंसौर और तहसीलदार बीजा सेन मौके पर पहुंचे, लेकिन अभी भी राहत कार्यों में और तेजी लाने की जरूरत बताई जा रही है।

भारतीय मौसम विभाग ने गत एक सितम्बर को अपने फ्लड बुलेटिन में चेतावनी जारी की थी कि मध्यप्रदेश के नर्मदा घाटी के कई जिले बाढ़ की चपेट में आने वाले हैं।

अगर इस चेतावनी को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारी ध्यान रखते हुए बरगी जलाशय के पानी को पहले से नियंत्रित करते हुए गेट खोलकर बांध खाली करते तो ये हालात नहीं बनते और बांध के नीचले इलाके में बसी बस्तियां भी सुरक्षित रहतीं। पानी का बहाव इतना तेज है कि पिछली रात को जलाशय में आए तेज बहाव के कारण मछुआरों द्वारा डाला गया जाल भी बह गया है।

साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डेम, रिवर्स एंड पियूपिल (संड्रप) के अनुसार यह सारा पानी सरदार सरोवर बांध में आने की संभावना है। मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बने बरगी (96 प्रतिशत भरा हुआ), तवा (94 प्रतिशत), इंदिरा सागर (97 प्रतिशत) और ओंकारेश्वर (72 प्रतिशत) जैसे बड़े बांध लगभग भर चुके हैं। ये सभी आंकड़े 29 अगस्त 2024 तक नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के दैनिक जलाशय बुलेटिन से लिए गए हैं।

ऐसी स्थिति में इन सभी बांधों में आने वाले दिनों में संभावित अतिरिक्त जलप्रवाह को अवशोषित करने की बहुत कम क्षमता बची हुई है। ऐसे में जब भारी बारिश के कारण इनमें और पानी आया तो उसे वे संभालने की स्थिति में नहीं थे।

कायदे से इन बांधों को भी आने वाले दिनों में संभावित जलप्रवाह के लिए जगह बनाने के लिए तुरंत पानी छोड़ना शुरू करना चाहिए था। सरदार सरोवर बांध और इंदिरा सागर बांध के लिए 1 सितंबर 2024 तक सीडब्ल्यूसी का 7-दिवसीय पूर्वानुमान भी पुष्टि करता है कि संबंधित बांधों में जलप्रवाह 3 सितंबर 2024 को चरम पर पहुंचने वाला है, जो 1 सितंबर को होने वाले जलप्रवाह से कई गुना अधिक है।

प्रदेश में लगातार बारिश के कारण बाढ़ के कारण कुछ और इलाकों में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। छतरपुर के बक्सवाहा, रायसेन के बेगमगंज, दमोह, टीकमगढ़ और शिवपुरी जैसे इलाकों के घरों में पानी भर चुका है। ग्रामीण इलाकों में कई कच्चे मकान भी गढ गए हैं। सिवनी, सागर और पथरिया जैसे क्षेत्रों में भी भीषण जलभराव की स्थिति बनी हुई है, यहां पिछले 24 घंटों में 8 से 11 इंच तक बारिश हो चुकी है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in