बलिराम सिंह
देश के सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने मूसलाधार बारिश और बाढ़ की वजह से बर्बाद फसल का मुआवजा किसानों को अगले 15 दिनों में करने का आदेश तो दे दिया, लेकिन मुख्यमंत्री के इस आदेश का बीमा कंपनियां और बैंकों पर कोई असर नहीं पड़ा। अब रबी की फसल की बुआई शुरू होने को है, लेकिन खरीफ की फसल का अब तक किसानों को मुआवजा नहीं मिला। मुआवजे के लिए किसान बैंकों और बीमा कंपनियों का चक्कर लगा कर थक गए।
प्रदेश के लगभग हर जिला में बारिश और बाढ़ की वजह से बर्बाद फसल के मुआवजे के लिए किसान बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें मुआवजा नहीं मिला। यूपी के तराई बेल्ट में स्थित लखीमपुर खीरी कुंभी गोला ब्लॉक के कुटखेला गांव के किसान राम सिंह वर्मा की ताज वेराइटी की धान की एक एकड़ फसल बारिश की वजह से बर्बाद हो गई, लेकिन उन्हें अभी तक मुआवजा नहीं मिला।
हरदोई के सिरखौरा गांव, टंडियावां ब्लॉक के प्रगट सिंह का 5 एकड़ धान की फसल बारिश की वजह से नष्ट हो गई, लेकिन उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिला।
बाराबंकी के सिद्धौरा ब्लॉक के अलुआ मऊ गांव के रामबरन नामक किसान बारिश की वजह से बर्बाद फसल का मुआवजा के लिए बीमा कंपनी का चक्कर लगा रहे हैं। नोएडा के दनकौर ब्लॉक के मुइद्दीनपुर सेहड़ी गांव के किसान पवन खटाना ने 1121 धान की वेराइटी की रोपाई की थी, बारिश की वजह से उनकी फसल क्षतिग्रस्त हो गई, लेकिन अब तक मुआवजा नहीं मिला।
जालौन निवासी एवं भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर जादौन कहते हैं कि इस साल बारिश एवं यमुना में बाढ़ की वजह से जालौन जनपद के लगभग 50 से ज्यादा गांवों के किसान प्रभावित हुए हैं, लेकिन अब तक किसी भी किसान को मुआवजा नहीं मिला।
सितंबर में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत के नेतृत्व में 11 सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और फसलों के मुआवजा का मुद्दा उठाया था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया था कि किसानों को 15 दिन के अंदर मुआवजा मिल जाए। बावजूद इसके अभी तक मुआवजा की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की समस्या के निदान के लिए महात्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की। प्रदेश में 2.33 करोड़ से ज्यादा किसान परिवार हैं, लेकिन प्रदेश में लगभग 40 लाख के पास क्रेडिट कार्ड होने के कारण फसल बीमा हो पाया है। स्वेच्छा से बीमा कराने वाले किसानों की संख्या बेहद कम है।
आंकड़े बताते हैं कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पिछले साल 5.58 लाख किसानों को 419.54 करोड़ रुपए का क्लेम दिया गया, लेकिन इस साल अब तक किसी भी किसान को क्लेम नहीं मिला है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के लखनऊ मंडल के अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा कहते हैं कि फसल बीमा के लिए कम पढ़े-लिखे किसान को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सबसे पहले उसे योजनाओं के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दी जाती है, जिसकी वजह से फसल बर्बाद होने पर उसे उचित मुआवजा नहीं मिल पाता है।
हरिनाम सिंह कहते हैं कि यदि किसान ने एक लाख का लोन मंजूर कराया तो उसे इसका काफी हिस्सा अन्य मदों व बैंक कर्मियों की जेब में चला जाता है। उसे प्रीमियम शुल्क, वकील के द्वारा कागजात तैयार कराने में, स्टेशनरी, चेक बुक, सर्वियर इत्यादि के लिए खुद भुगतान करना पड़ता है। किसान से नो ड्यूज के भी पैसे काटे जाते हैं। यदि किसान ने गेहूं पर क्रेडिट लिया और उसने दूसरी फसल की बुआई कर दी तो उसे फसल बीमा का लाभ नहीं मिलेगा।
किसान नेता राजवीर जादौन कहते हैं कि अमूमन हर साल कंपनियां बदलती रहती हैं, जिसकी वजह से किसानों को दिक्कत आती है। राजवीर कहते हैं कि एक ही कंपनी को संबंधित क्षेत्र में एक निर्धारित अवधि तक जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रहने वाले भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद बताते हैं कि इस बार आई बेमौसम बारिश की वजह से करीब 15 गांव के फसल बर्बाद हो गए हैं जिसमें अरहर, चरी, ज्वार, बाजरा के फसल शामिल हैं, इसके अलावा सब्जियों का फसल सभी पूरी तरह गलकर नष्ट हो गया, और मुआवजा के नाम पर अभी तक सर्वे भी नहीं हुआ है। करीब दो सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, कृषि अधिकारी, पशुपालन अधिकारी, जिले में आए थे और कहा था कि जल्द से जल्द मुआवजा मिल जाएगा लेकिन अभी तक सर्वे का काम ही नहीं शुरू हुआ है।
साथ में, रिजवाना तब्बसुम