फोनी से ओडिशा में भारी नुकसान, सामान्य नहीं हो पाया जनजीवन

फोनी की वजह से उड़ीसा में 11 लोगों की मौत हो गई और कई जगह बिजली पानी व संचार की व्यवस्था ठप पड़ी है
Photo : Ashis Senapati
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भयावह चक्रवाती तूफान फोनी को उड़ीसा से गए तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक राज्य के लोगों का जनजीवन सामान्य नहीं हो पाया है। फोनी की वजह से 11 लोगों की मौत का आंकड़ा दर्ज हो पाया है, लेकिन इसके अलावा राज्य को काफी नुकसान हुआ है। प्रभावित इलाकों में बिजली-पानी की आपूर्ति सामान्य नहीं हो पाई है। रेल सेवाएं भी शुरू नहीं हो पाई है। वहीं, फोनी की वजह से राज्य के पर्यटन क्षेत्र को भी काफी नुकसान हुआ है, जो राज्य में लगभग 9 फीसदी की दर से विकास कर रहा था।

फोनी तीन मई को उड़ीसा के तटवर्ती इलाके से टकराया था। पुरी जिले में एशिया की सबसे बड़ी चिल्का झील के पास चक्रवाती तूफान फोनी ने काफी तबाही मचाई। चिल्का झील के आस-पास करीब दो लाख की आबादी मौजूद है। कई तटबंध क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसके चलते गांव जलमग्न हो गए, जहां हालात अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं। गांव छोड़ कर लोग लौट रहे हैं।

पुरी जिले में तीन लोगों की मौत एक पेड़ के नीचे दबकर हो गई। नयागढ़ जिले में 30 वर्षीय महिला की मौत हुई है। मृतका का नाम सुषमा परीदा है। दासपल्ला में एक दीवार के गिरने के दौरान महिला दब गई। केंद्रपाड़ा जिले में राजनगर ब्लॉक स्थित गुप्ती पंचायत की एक 74 वर्षीय वृद्धा की मौत हो गई। वह देवेंद्रनारायणपुर में बने शेल्टर के लिए जा रही थी। मृतका की पहचान हो गई है। वृद्धा का नाम उषा बैद्य है। मृतका के पति का नाम अश्विनी बैद्य है। इनके अलावा प्रशासन ने छह और लोगों की मौत की पुष्टि की है।

चिल्का ब्लॉक के वाइस चेयरमैन उत्पल कुमार पारिकरे ने बताया कि मानसिंहपुर, जारीपदा, कालाकालेश्वर, सोराना, चंदेश्वर, बिरीबाडी, हाताबारेडी, हरिपुर, सनानैरी, बाउलाबंधा, कुमानडालपटाना, अंकुला, सिंघेश्वर, अथराबेतिया, बाडाकुला, डुंगामाला, निमिखेता ग्राम पंचायतों को काफी नुकसान पहुंचा है।

समुद्र का पानी सीधा गांवों में प्रवेश कर गया। मिट्टी की दीवार वाले कच्चे घर ढह गए। समुद्र के पानी को गांव में आने से रोकने के लिए तैयार किए गए मिट्टी के तटबंधों के निर्माण का प्रयास भी व्यर्थ रहा। वे बड़ी जल्दी टूट गए और समुद्र का पानी सीधा गांवों में प्रवेश कर गया।

चिल्का झील उत्तर-दक्षिण दिशा में 64 किलोमीटर लंबी है। वहीं, 13.5 किलोमीटर पूर्व-पश्चिम में चौड़ी है। सतपाड़ा के पास समुद्र का झील से मिलन होता है। यह जगह बेहद संकरी है। वर्षा के दिनों में यह इलाका जलमग्न होता है वहीं, सूखे के समय उथली जमीन दिखाई देने लगती है।

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