भारी बारिश से खराब हुई सोयाबीन की फसल, एमपी में सबसे अधिक नुकसान की आशंका

144 जिले में सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण सोयाबीन जैसी फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है, राज्य सरकारों ने इसका सर्वे शुरू कर दिया है
सोयाबीन की खराब फसल दिखाते किसान। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
सोयाबीन की खराब फसल दिखाते किसान। फोटो: मनीष चंद्र मिश्रा
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राकेश मालवीय ने मध्यप्रदेश होशंगाबाद जिले में 15 एकड़ में खेती की है जिसमें 12 एकड़ में सोयाबीन और 3 एकड़ में धान लगाया है। धान की फसल अच्छी बारिश की वजह से लहलहा रही है लेकिन सोयाबीन के खेत बर्बाद हो गए। फसलों में फूल और फल न लगने की वजह से मालवीय को इस बार अच्छे खासे नुकसान की चिंता सता रही है। उनका कहना है कि कई-कई दिनों तक धूप के दर्शन नहीं हो रहे हैं जिस वजह से सोयाबीन की फसल में फूल नहीं लग पाया। खेत में पानी जमे होने की वजह से पौधों को भी काफी नुकसान हुआ है। राकेश की ही तरह सोयाबीन की खेती करने वाले लगभग सभी किसान परेशान हैं।

होशंगाबाद देश के उन जिलों में शामिल हैं, जहां इस बार सामान्य से अधिक (लगभग 30 फीसदी) बारिश हो रही है। देश में 42 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से बहुत ज्यादा (60 से 99 फीसदी तक) बारिश हो चुकी हैं। जबकि 102 जिले ऐसे हैं, जहां सामान्य से अधिक (20 से 60 फीसदी तक) बारिश हो चुकी है।  इस तरह मॉनसून, जो अब तक समाप्त हो जाने चाहिए था, न केवल कई राज्यों में बना हुआ है, बल्कि वहां लगातार भारी बारिश हो रही है, जबकि 247 जिले ऐसे हैं, जहां मॉनसून सामान्य से कम बरसा है।

मॉनसून के इस रवैये के कारण किसान परेशान हैं। खासकर, सोयाबीन की खेती को बहुत नुकसान पहुंचने का अंदेशा है। देश भर में लगभग 113.3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई हो चुकी है। इसमें से अकेले मध्यप्रदेश में 55.160 (48 फीसदी) लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई हुई है। इसके बाद महाराष्ट्र में 39.550 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई हुई है। यानी कि केवल इन दो राज्यों में देश के लगभग 84 फीसदी सोयाबीन की बुआई की गई है।

जहां तक इस मॉनसून सीजन में हुई बारिश के आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है, जहां सामान्य से सबसे अधिक बारिश हुई है। यहां के 51 जिलों में 22 में सामान्य से अधिक और 8 जिलों में अति वृष्टि हो चुकी है। बारिश का सिलसिला अभी भी जारी है। जबकि महाराष्ट्र में भी सामान्य से अधिक बारिश हो रही है। यहां के 36 में से 8 जिलों में सामान्य से अधिक और 8 जिलों में सामान्य से बहुत अधिक बारिश हो रही है।

मध्यप्रदेश के अकेले मालवा क्षेत्र में सोयाबीन का बुआई क्षेत्र 22 से 25 लाख हेक्टेयर है, जबकि उज्जैन में 4 लाख हेक्टेयर है। और आंकड़े बताते हैं कि इन जिलों में ही मॉनसून जमकर बरसा है। मौसम विभाग के 16 सितंबर तक आंकड़े बताते हैं कि मालवा क्षेत्र में आने वाले जिले रतलाम में सामान्य से 77 फीसदी, उज्जैन में 67 फीसदी, आगर मालवा में 127 फीसदी, इंदौर में 62 फीसदी और भोपाल में 81 फीसदी अधिक बारिश हुई है। जो सोयाबीन के लिए नुकसानदायक साबित होगी।

मध्यप्रदेश में फसलों की स्थिति को बताते हुए जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय से फसल विज्ञान की पढ़ाई करने वाले कृषि विशेषज्ञ और किसान राजेंद्र पटेल बताते हैं कि प्रदेश में मक्का, सोयाबीन, कपास की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। उज्जैन के कुछ गांवों में तो अति बारिश की वजह से सोयाबीन की खड़ी फसल में अंकुरण हो गया। छत्तीसगढ़ की स्थिति बताते हुए रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञानी डॉ. गोपी कृष्णा दास कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में धान की फसल अनिश्चित वर्षा से प्रभावित रही और कुछ इलाकों में सूखे की स्थिति भी देखी गई। मानसून में देरी की वजह से किसान समय पर धान की फसल नहीं लगा पाए जिससे फसल में देरी हुई। इस वजह से धान को कुछ नुकसान हुआ है। यहां सोयाबीन की फसल की बुआई भी प्रभावित हुई है। छतीसगढ़ में इस बार 1.366 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में सोयाबीन बुआई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इससे लगभग आधा यानी 0.730 लाख हेक्टेयर में ही बुआई की जा सकी है।

मध्यप्रदेश में मानसून में देरी की वजह से किसानों ने पहले बोरवेल से सींचकर बुआई की थी जिसमें उनकी लागत बढ़ी लेकिन अब अति बारिश की वजह से उन्हें अधिक नुकसान सहना पड़ रहा है। फसलों के नुकसान के आंकलन पर मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री सचिन यादव कहते हैं कि फसलों की हालत खराब है और स्थिति को देखते हुए सरकार ने सभी जिलों में सर्वे के आदेश दिए हैं जिसपर काम चल रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही नुकसान की सही स्थिति पता चल पाएगी।

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