उत्तरी अटलांटिक में आई मौसमी गड़बड़ी के चलते भारत में पड़ रहा है सूखा

आईआईएससी द्वारा किए शोध के अनुसार पिछले 100 वर्षों में मानसून के दौरान पड़ने वाले सूखे की करीब आधी घटनाओं के लिए उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई गड़बड़ी जिम्मेदार थी
उत्तरी अटलांटिक में आई मौसमी गड़बड़ी के चलते भारत में पड़ रहा है सूखा
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भारत में मानसून के दौरान बारिश में आ रही कमी और सूखे के लिए उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई गड़बड़ी जिम्मेदार है। यह जानकारी भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक एंड ओशनिक साइंसेज (सीएओएस) द्वारा किए शोध में सामने आई है, जोकि अंतराष्ट्रीय जर्नल साइंस में प्रकाशित हुआ है। शोध के अनुसार पिछली एक सदी में मानसून में पड़ने वाली सूखे की करीब आधी घटनाओं के लिए उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई गड़बड़ी जिम्मेदार थी।

भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी एक बड़ी आबादी आज भी सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर है। यही वजह है कि भारत में फसलों के लिए मानसून बहुत मायने रखता है। भारत में जून से सितम्बर के बीच मानसून का मौसम रहता है। देश में एक अरब से भी ज्यादा लोग इस मानसूनी बारिश पर निर्भर है। ऐसे में यदि मानसून फेल होता है तो उसका न केवल कृषि बल्कि साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ता है।

यही वजह है कि पिछले कई वर्षों से वैज्ञानिक दक्षिण एशिया में मानसून का अध्ययन कर रहे हैं और यह समझने का प्रयास कर रहे है कि आखिर क्यों कभी-कभी मानसून फेल हो जाता है। पहले किए अध्ययनों के अनुसार अल नीनो के चलते मानसून के दौरान बारिश में कमी आती है, और सूखे की स्थिति बनती है, लेकिन इस नए शोध से पता चला है कि ऐसा हमेशा नहीं होता है। यही वजह है कि शोधकर्ता अल नीनो के साथ-साथ अन्य घटनाओं को भी जानने का प्रयास कर रहे हैं जो मानसून को प्रभावित कर सकती हैं। इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने दक्षिण एशियाई मौसम के पिछले 100 वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है।  

अल नीनो के साथ-साथ क्या कुछ कर रहा है मानसून को प्रभावित 

शोध से पता चला है कि पिछले 100 वर्षों में सूखे की लगभग आधी घटनाएं (23 में से 10) उस समय हुई थी जब अल नीनो वर्ष नहीं था। साथ ही यह भी पता चला है उन वर्षों में जब अल नीनो नहीं था तब सूखे के समय उत्तरी अटलांटिक के मौसम में गड़बड़ी पाई गई थी। वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तरी अटलांटिक के मौसम में आई इस गड़बड़ी के चलते मध्य अक्षांशों से ‘रोसबी धाराएं’ विकसित हुई, जिन्होंने भारत में मानसून के लिए जिम्मेदार कारकों को प्रभावित किया। जिसके परिणामस्वरूप मानसून के दौरान बारिश में कमी आई और सूखे की स्थिति बनी थी।

इसके साथ ही शोधकर्ताओं को मानसूनी बारिश और सूखे के बारे में एक और खास बात पता चली है, यह घटना एक विशिष्ट पैटर्न में होती है। मानसून का मौसम जून में सामान्य से कम बारिश के रूप में शुरू होता है उसके बाद अगस्त की शुरुवात में सामान्य बारिश होती है, उसके बाद अचानक से बारिश बंद हो जाती है। शोधकर्ताओं के अनुसार अगस्त के मध्य में बारिश में आई यह गिरावट उत्तरी अटलांटिक महासागर की मौसमी गड़बड़ी से मेल खाती है। हालांकि इस गड़बड़ी की प्रकृति क्या है उसके बारे में अभी तक वैज्ञानिकों को पता नहीं चला है। लेकिन उनके अनुसार इस गड़बड़ी के चलते उत्तरी अटलांटिक के ठंडे पानी पर उठती चक्रवाती हवाएं, ऊपरी वायुमंडल में बहने वाली हवाओं से मिल गई थी। इन हवाओं ने पूरी एशिया से होते हुए भारतीय मानसून को प्रभावित किया था। 

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