ओडिशा के समुद्र तट पर स्थित पोडंपट्टा गांव की रहने वाली सी.एच. पैंदी के लिए यह समय और लहरों के खिलाफ जंग है। कभी इस गांव में सैकड़ों लोग रहते थे, लेकिन आज यहां केवल वे ही बची हैं। क्योंकि ओडिशा के तटीय इलाकों को धीरे-धीरे समुद्र निगल रहा है। 1990 से 2015 के बीच ओडिशा के लगभग आधे तटीय क्षेत्र जो 196 वर्ग किमी में फैला है में भारी कटाव हुआ। 2015 से लहरें दिन-प्रतिदिन अधिक आक्रामक होती जा रही हैं। राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबंधन केंद्र के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य के 74 गांव तटरेखा के कटाव से गंभीर रूप से प्रभावित हैंं, जो देश में सबसे अधिक है। सरकार इस संकट से अच्छी तरह वाकिफ है और 2012 से राज्य के समुद्र तट के चुनिंदा क्षेत्रों को स्थिर करने के उपायों को लागू कर रही है। पोडंपट्टा में अब तक 200 घर समुद्र में समा चुके हैं। बाकी 100 घर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, जिसके चलते पोडंपट्टा भूतहा गांव जैसा भयावह रूप ले चुका है। पोडंपट्टा में, सरकार ने हर परिवार को घर बदलने और नया घर बनाने के लिए 3 लाख रुपए दिए। लेकिन सी.एच. पैंदी, जिनके परिवार में 7 लोग हैं, के लिए 3 लाख रुपए कोई मायने नहीं रखते।