लाहौल स्पीति के नाडला गांव के पास भारी भूस्खलन से चंद्रभागा नदी के प्रवाह रूकने से बनी झील। फोटो: रोहित पराशर
लाहौल स्पीति के नाडला गांव के पास भारी भूस्खलन से चंद्रभागा नदी के प्रवाह रूकने से बनी झील। फोटो: रोहित पराशर

हिमाचल में एक और भूस्खलन, चंद्रभागा नदी का प्रवाह थमने से बाढ़ का खतरा

इस मानसून सीजन में लाहौल स्पीति जिले में प्राकृतिक आपदा की यह दूसरी बड़ी घटना है
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हिमाचल के जनजातीय जिले लाहौल स्पीति में एक बार फिर कुदरत का कहर देखने को मिला है। लाहौल के नालडा गांव के पास 13 अगस्त की सुबह के समय भारी भूस्खलन की वजह से वहां से बहने वाली चंद्रभागा नदी का प्रवाह पूरी तरह रूक गया है।

लाहौल स्पीति की प्रमुख्य नदी चंद्रभागा का प्रवाह रूकने की वजह से तैयार हुई झील में कई गांवों के डूबने का खतरा खड़ा हो गया है। वहीं नदी का प्रवाह रूकने की वजह से तैयार हुई इस झील के टूटने से नालडा गांव के नीचले क्षेत्र में एक साथ भारी आने की वजह से बाढ़ का खतरा खड़ा हो गया है।

प्रशासन की ओर से झील बनने के बाद सबसे अधिक प्रभावित होने वाले दो गांवों जसरथ और तडंग को खाली करवा दिया है। लाहौल निवासी शाम आजाद ने डाउन टू अर्थ को बताया कि लाहौल स्पीति में प्राकृतिक आपदाओं में दिनों-दिन बढ़ोतरी देखी जा रही है।

उन्होंने बताया कि शुक्रवार सुबह हुए इस भारी भूस्खलन में बनी झील के कारण् तडंग गांव के दो घर पानी में दब गए हैं और जसरथ गांव के डूबने का खतरा भी बन गया है। प्रशासन को चाहिए कि झील का जल्द ही तोड़ा जाए, ताकि ऊपरी क्षेत्रों के साथ नदी के निचले क्षेत्रों में आने वाली भारी बाढ़ से भी बचा जा सके।

जसरथ गांव के निवासी सुदर्शन जास्पा ने बताया कि जसरथ गांव और तडंग गांव में भूस्खलन की वजह से भारी खतरा पैदा हो गया है। एहतियातन गांव से लोगों को खाली करवा लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि मौके की गंभीरता को समझते हुए झील से निपटने के लिए जल्द ही कार्रवाई की जाए।

लाहौल स्पीति के विधायक रामलाल मारकंडा ने कहा कि भूस्खलन की वजह से बनी झील से गांवों का खतरा पैदा हो गया है। इसके लिए प्रशासन को मौके पर जाने के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री से भी बात की गई है और झील बनने से उत्पन हुई विकट स्थिति से निपटने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और मैं खुद मौके के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ स्थिति का जायजा लेने के लिए निकल गया हूं।

इससे पहले भी पिछले माह 27 जुलाई को लाहौल स्पीति में आई भारी बाढ़ की वजह से 10 लोगों की जानें चली गई थी और इससे लाहौल का उदयपुर क्षेत्र कई दिनों तक शेष दुनिया से पूरी तरह कट गया था। बाढ़ की वजह से यातायात सुविधांए पूरी तरह प्रभावित हुई थी और इस क्षेत्र में फसें पर्यटकों को एयलिफ्ट करना पड़ा था।

वहीं 11 अगस्त को किन्नौर जिले के निगुलसरी में हुए भूस्खलन की चपेट में अभी तक 15 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। वहीं, 13 लोगों को जिंदा रेस्क्यू कर लिया गया है। इसके अलावा अभी भी एनडीआरएफ, आईटीबीपी और पुलिस की ओर से एचआरटीसी बस में मौजूद अतिरिक्त 13 लोगों की तलाश है और रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी रखा गया है।

लाहौल स्पीति में आई इन प्राकृतिक आपदाओं से जान-माल के नुकसान के साथ सबसे अधिक असर जनजातीय क्षेत्र के लोगों की आर्थिकी पर पड़ा है। साल के छह माह तक बर्फ से ढके रहने वाले इस क्षेत्र में एक ही फसल ली जाती है, ऐसे इन प्राकृतिक आपदाओं की वजह से लोगों की खड़ी फसलें खेतों में ही खराब हो जा रही है।

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