दो दिन से हो रही भारी बारिश के बाद उत्तराखंड में एक और बड़ी घटना हुई है। रविवार देर रात उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लाॅक में 5 गांव अतिवृष्टि के कारण हुए भूस्खलन की चपेट में आ गये। इन सभी गांवों में मलबा भर गया। लोगों ने घरों से बाहर आकर जान बचाई। लेकिन, अचानक आये मलबे के कारण अफरा-तफरी में मांडो गांव में तीन लोगों की मौत हो गई। 4 लोग अब भी लापता बताये जाते हैं। हालांकि जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने तीन लोगों के शव बरामद होने और एक व्यक्ति के लापता होने की पुष्टि की है।
पिछले तीन महीनों के दौरान उत्तराखंड अतिवृष्टि और भूस्खलन से होने वाले नुकसान की 7 घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन, इनमें तीन महीने में तीन ऐसी घटनाएं हुई, जिनमें जनहानि हुई।
उत्तराखंड में मानसून आने के बाद बारिश का यह दूसरा दौरा शनिवार शाम से शुरू हुआ। शनिवार रात और रविवार दिन पर्वतीय क्षेत्रों में मैदानों की तुलना में कम बारिश दर्ज की गई। ज्यादातार पर्वतीय जिलों में तो शनिवार रात और रविवार शाम तक बारिश हुई ही नहीं, जबकि इस दौरान मैदानी क्षेत्रों में कई जगह 160 मिमी तक बारिश दर्ज की गई। रविवार शाम से राज्य के पर्वतीय इलाकों में बारिश तेज हुई और देर रात तक कई इलाकों में जबरदस्त बारिश शुरू हो गई।
इसी दौरान रात 10 बजे के करीब उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लाॅक मुख्यालय के पास के कुछ गांवों के ऊपर पहाड़ी दरकने लगी। पहाड़ी के नीचे के माडो, निराकोट, पनवाड़ी और कंकराड़ी गांव में तेज बहाव के साथ मलबा आने लगा। सबसे ज्यादा मलबा कंकराड़ी और मांडों गांव में आया। मलबा घरों में घुसने लगा तो लोग घरों से निकलकर सुरक्षित जगहों की तरफ भागने लगे। कंकराड़ी गांव में सबसे ज्यादा मलबा आया। इस गांव में अब तक तीन घरों के टूटने की सूचना मिली है। लेकिन, घरों के टूटने से पहले ही सभी लोग सुरक्षित जगहों पर पहुंच गये थे, जिससे कंकराड़ी में कोई जनहानि नहीं हुई।
मांडो गांव में भी तेजी से मलबा आया और घरों में घुसने लगा। लोग घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित जगहों पर जाने लगे। इसी बीच गांव के पास के नाले में भी जबरदस्त उफान आ गया। कई लोग नाला पार करने में सफल रहे, लेकिन कुछ लोग गांव में ही फंस गये। रात करीब 10 बजे इस बारे में जिला आपदा नियंत्रण कक्ष को इस बारे में सूचना मिली। सूचना मिलने के तुरंत बाद एसडीआएफ अन्य संबंधित विभागों को सूचना दी गई। एसडीआरएफ की टीम रात 11 बजे के बाद गांव में पहुंच पाई और राहत और बचाव का काम शुरू किया। मांडों गांव में टीम को पता चला कि नाले में उफान के कारण कुछ लोग गांव में ही फंसे हुए हैं और गांव में खतरा बढ़ रहा है तो सबसे पहले फंसे हुए लोगों की निकालने का प्रयास शुरू किया गया।
इस अभियान के दौरान मांडो में चार लोगों को सुरक्षित निकाला गया। इनमें से एक बुजुर्ग मलबे में फंसे हुए थे। इसके साथ ही दो महिलाओं और 8 साल की बच्ची के शव मलबे से निकाले गये। एक व्यक्ति अब भी लापता बताया जाता है। हालांकि अपुष्ट सूत्रों ने लापता लोगों की संख्या 4 बताई है।
ब्लाॅक मुख्यालय भटवाड़ी में मौजूद जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल ने डाउन टू अर्थ को बताया कि अब तक दो महिलाओं और एक बच्ची के शव बरामद हुए हैं। एक व्यक्ति के लापता होने की सूचना है। उन्होंने बताया कि अभी तक 4 भवनों के क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिली है। कुछ गांवों में पहुंचने के लिए सड़क मार्ग बंद है, जेसीबी लगातार सड़कें खोलने का काम तेजी से किया जा रहा है।
इससे पहले 19-20 मई को समुद्री तूफान और पश्चिमी विक्षोभ के असर से उत्तराखंड में जबरदस्त बारिश हुई। 20 मई को देहरादून जिले के चकराता में भूस्खलन से एक घर मलबे में दब गया और तीन लोगों की मौत हुई। जबकि 16 से 20 जून के बीच पूरे राज्य में भारी बारिश हुई। चमोली जिले में तो सामान्य से 800 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई। हालांकि यहां जनहानि नहीं हुई। लेकिन, इस दौरान पौड़ी में एक महिला की और अल्मोड़ा में पोकलैंड मशीन के चालक की मलबे में दबकर मौत हो गई। जबकि 19 जुलाई देर रात उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लाॅक के गांवों में हुई घटनाओं में अब तक तीन लोगों की मौत होने की सूचना है।
इसके अलावा 3 मई को रुद्रप्रयाग जिले के खांखरा और उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ में, 4 मई को चमोली के घाट में, 5 मई को अल्मोड़ा का चैखुटिया में और 11 मई को टिहरी जिले के देवप्रयाग में अतिवृष्टि और भूस्खलन से नुकसान होने की घटनाएं सामने आई।