तीन दिन पहले दक्षिणी पूर्वी बंगाल की खाड़ी में बना अंफान चक्रवात अब सुपर साइक्लोन बन चुका है, जो ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटीय इलाकों में भारी तबाही मचा सकता है।
मौसम और चक्रवात पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 1999 के बाद बंगाल की खाड़ी में पहली बार सुपर साइक्लोन बना है। 25 अक्टूबर से 3 नवंबर 1999 के बीच यह साइक्लोन आया था और दो हिस्सों में बंट कर ओडिशा में भारी तबाही मचाई थी। करीब 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आए इस सुपर साइक्लोन के कारण 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ एनवायरमेंटल साइंसेज में प्रोफेसर व भारत सरकार के निर्देश पर “साइक्लोनिक स्टॉर्म इन बे ऑफ बंगाल अंडर ग्लोबल वार्मिग कंडीशन” नाम से शोधपत्र तैयार कर रहे प्रो. प्रधान पार्थ सारथी ने डाउन टू अर्थ को बताया, “ये चक्रवात सामान्य चक्रवात से काफी बड़ा है और ये बहुत प्रभावशाली भी है। इसके प्रभावशाली होने को हम इस बात से समझ सकते हैं कि इसमें कितने कंसेंट्रिक सर्किल हैं। जितना ज्यादा सर्किल रहता है, वो उतना ही अधिक विध्वंसकारी होता है। चक्रवात का जो केंद्र बिंदू होता है, उसे चक्रवात की आंख कहा जाता है। इस आंख के बाहर 5 आइसोबार (कंसेंट्रिक सर्किल) बने हैं, जिसके चलते ये सुपर साइक्लोन बन गया है।” पार्थ सारथी कहते हैं, “हाल के वर्षों में जितने भी चक्रवात आए हैं, ये उन सबसे बहुत ज्यादा भयावह होने वाला है।”
भारतीय मौसमविज्ञान विभाग की तरफ से जारी बुलेटिन के मुताबिक, फिलहाल ये चक्रवात ओडिशा के पारादीप के दक्षिण हिस्से में 520 किलोमीटर दूर और दीघा (पश्चिम बंगाल) के दक्षिण-दक्षिणपश्चिम की तरफ 670 किलोमीटर दूर है। 20 मई की दोपहर या शाम तक ये पश्चिम बंगाल के दीघा और बांग्लादेश के हटिया द्वीप के बीच सुंदरवन के निकट लैंडफाल कर सकता है।
जानकारों का कहना है कि इस सुपर साइक्लोन के बनने के पीछे बंगाल की खाड़ी में तापमान में इजाफा जिम्मेवार हो सकता है।
भारती मौसमविज्ञान विभाग के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि अंफान चक्रवात के सुपर साइक्लोन बनने के पीछे कई वजहें रही हैं। इनमें समुद्र की सतह पर उच्च तापमान, वायुमंडल की मध्य परत पर अत्यधिक नमी आदि शामिल हैं।
जानकारों का कहना है कि सुपर साइक्लोन की रफ्तार 220 किलोमीटर प्रतिघंटा होनी चाहिए। अंफान चक्रवात की रफ्तार 18 मई की दोपहर 230 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा था। बताया जा रहा है कि अगले 24 घंटों तक चक्रवात की रफ्तार ऐसी ही बनी रहेगी। चूंकि समुद्र से मिलने वाली नमी अंफान को मजबूत बनाती है, इसलिए 20 मई की दोपहर से शाम के बीच जब यह लैंडफाल करेगा, तो कमजोर हो जाएगा क्योंकि तब उसे समुद्र की नमी नहीं मिलेगी।
बिहार और झारखंड में इस चक्रवात का बहुत प्रभाव नहीं दिखेगा। अलबत्ता आसमान में बादल घिरे रहेंगे और बहुत संभव है कि बारिश भी हो।
मौसमविज्ञान विभाग की तरफ से जारी बुलेटिन के मुताबिक, इस तूफान के चलते 19 मई को पश्चिम बंगाल के गंगातटवर्ती जिलों पूर्व मिदनापुर और दक्षिण तथा उत्तर 24 परगना में मामूली से सामान्य बारिश होगी जबकि 20 मई को पूर्व व पश्चिम मिदनापुर, उत्तर व दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, हुगली, कोलकाता और समीपवर्ती इलाकों में भारी बारिश का अनुमान है। मछुआरों को आगाह किया गया है कि वे 18 से 20 मई के बीच मछलियां पकड़ने के लिए समुद्र में गहरे न जाएं।
एनडीआरएफ की टीमें ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में तैनात की गई हैं। एनडीआरएफ का अनुमान है कि इस तूफान के चलते 11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की नौबत आ सकती है और टीम इसके लिए तैयार है।
इधर, मौसमविज्ञान विभाग का ये भी कहना है कि इस चक्रवात के चलते भारत में हीटवेव बढ़ सकता है क्योंकि इससे हवा का रुख बदल जाएगा। मृत्युंजय महापात्र ने कहा, अंफान जैसे चक्रवात के कारण भारतीय मेनलैंड के ऊपर से चलने वाली हवा का रुख बदल सकता है और ये उत्तरी-पश्चिमी दिशा में बह सकती है, जो गर्म और नमी-रहित होगी।” ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चक्रवात में हवा का घुमाव एंटी-क्लॉक वाइज होता है, जो स्थानीय हवा को प्रभावित करता है।
यहां ये भी बता दें कि मई महीने में अमूमन हीटवेव आते हैं, लेकिन इस बार मार्च, अप्रैल और मई के शुरुआती हफ्ते में बारिश होने के कारण मौसम अपेक्षाकृत ठंडा रहा है। मौसमविज्ञान विभाग ने 18 मई को बुलेटिन जारी कर देश के कई हिस्सों में लू चलने का पूर्वानुमान जारी किया था।