वर्तमान में गुजरात में बरस रही आसमानी आफत ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है, कई जिले बाढ़ का दंश झेल रहे हैं। वहीं अरब सागर में बन रहे भयंकर चक्रवाती तूफान 'असना' ने परेशानी में और इजाफा कर दिया है।
मौसम विभाग ने अपने ताजा अपडेट में अरब सागर के ऊपर चक्रवात बनने का अंदेशा जताया है। यह तूफानी चक्रवात इसलिए खास है क्योंकि 48 साल के बाद अरब सागर में अगस्त के महीने में कोई चक्रवात बन रहा है। साल 1976 के बाद यह अपनी तरह का पहला तूफान है।
तूफानी गतिविधि के चलते, पिछले 24 घंटों से आज 30 अगस्त भारतीय समयानुसार सुबह 08:30 बजे तक सौराष्ट्र और कच्छ के मांडवी (जिला कच्छ) 330 मिमी, मुंद्रा (जिला कच्छ) 220 मिमी, ओखा (जिला देवभूमि द्वारका) में 170 मिमी, अब्दासा (जिला कच्छ) में 160 मिमी, नलिया (जिला कच्छ) 160 मिमी, द्वारका (जिला देवभूमि द्वारका) 80 मिमी, अंजार (जिला कच्छ) 80 मिमी, गांधीधाम (जिला कच्छ) 70 मिमी तक बारिश दर्ज की गई।
मौसम विभाग के मुताबिक, यह चक्रवाती तूफान पश्चिम-दक्षिण की ओर ओमान तक की ओर बढ़ सकता है। इस तूफान को पाकिस्तान के द्वारा 'असना' नाम दिया गया है। मौसम विभाग के मुताबिक, अगस्त के महीने में अरब सागर पर तूफान बनना एक बहुत दुर्लभ घटना है। अब तक जब भी अरब सागर में अगस्त के महीने में तूफान आए हैं, वे तट पर पहुंचते-पहुंचते कमजोर पड़ जाते हैं। साल 1964 में भी एक चक्रवात आया था जो कि तट पर पहुंचने के बाद कमजोर हो गया था।
अगले 12 घंटे के दौरान उत्तर-पूर्व-अरब सागर में पश्चिम की ओर बढ़कर एक चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की आशंका जताई गई है। मौसम विभाग ने कहा है कि इसके बाद यह अगले दो दिनों के दौरान भारतीय तट से दूर पश्चिम-उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ेगा।
इस दौरान दक्षिण गुजरात तथा सौराष्ट्र एवं कच्छ के तटीय जिलों में 65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तूफानी हवाएं चलने की आशंका जताई गई है। इस दौरान झोपड़ियों और कच्चे घरों में रह रहे लोगों को सुरक्षित इलाकों में आश्रय लेने को कहा गया है।
अगर गहरा अवसाद या डीप डिप्रेशन चक्रवात में तब्दील होता है तो इसका नाम ‘असना’ होगा, जिस नाम का सुझाव पाकिस्तान द्वारा दिया गया है। उर्दू में असना का मतलब है जिसकी प्रशंसा की जाए।
इस दौरान समुद्र की स्थिति के खतरनाक बने रहने के आसार हैं, यहां भी भयंकर समुद्री लहरें उठने का अनुमान है। गुजरात के तट पर तूफानी हवाओं की रफ्तार के 75 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने के आसार जताए गए हैं।
तूफानी गतिविधि को देखते हुए मौसम विभाग ने मछुआरों को 31 अगस्त तक पश्चिम-मध्य और उससे सटे उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी तथा इसी दौरान दक्षिण ओडिशा और उत्तरी आंध्र प्रदेश के तटों पर मछुआरों को न जाने की चेतावनी जारी की है।
मौसम विभाग ने गुजरात, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भारी बारिश की वजह से फसलों को नुकसान होने की आशंका जताई है। मौसम विभाग की ओर से सलाह देते हुए कहा गया है कि गुजरात, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में फसल वाले खेतों को जल जमाव से बचाने के लिए अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। तूफानी हवाओं से बचाने के लिए बागवानी फसलों को बाहर से सहारा देना और सब्जियों के पौधों को तूफान से बचाने के लिए सहारा देने की बात कही गई है।