
आज, यानी सात जनवरी की सुबह शिज़ांग में 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप महसूस किया गया। वहीं आज सुबह मध्य नेपाल और भारत के कुछ हिस्सों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) के मुताबिक, भूकंप सुबह भारतीय समयानुसार 6:35 बजे आया, जिसका केंद्र अक्षांश 28.86 डिग्री नॉर्थ और देशांतर 87.51डिग्री ईस्ट पर, 10 किलोमीटर की गहराई पर था। भूकंप का केंद्र नेपाल सीमा के पास जिज़ांग (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) में था।
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, आज सुबह नेपाल-चीन सीमा क्षेत्र के पास भूकंप आने के बाद बिहार के शिवहर जिले में झटके महसूस किए गए। भूकंप नेपाल के लोबुचे के उत्तर-पूर्व में 93 किलोमीटर की गहराई पर आया।
आज सुबह तिब्बत में आए छह भूकंपों में कम से कम 36 लोगों की मौत होने की खबर है, जिनमें रिक्टर पैमाने पर 7.1 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप भी शामिल है। दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कई हिस्सों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।
पटना समेत बिहार के कई इलाकों और राज्य के उत्तरी हिस्से में कई जगहों पर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप का असर पश्चिम बंगाल और असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में भी महसूस किया गया।
वहीं, इसी जिज़ांग के इलाकों में 4.7 और 4.9 तीव्रता के दो झटके महसूस किए गए। मीडिया रिपोर्ट में चीनी अधिकारियों के हवाले से तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े शहर शिगात्से में 6.8 तीव्रता वाले एक और भूकंप की जानकारी दी गई।
चीन के सरकारी प्रसारक सीसीटीवी के अनुसार, पिछले पांच सालों में शिगात्से शहर के 200 किलोमीटर के दायरे में तीन या उससे अधिक तीव्रता वाले 29 भूकंप आए हैं, जिनमें से सभी आज, यानी सात जनवरी की सुबह आए भूकंप से छोटे थे।
अप्रैल 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद इस क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली था जिसमें लगभग 10,000 लोग मारे गए थे।
आज सुबह आए भूकंप का स्थान ऐसे क्षेत्र में है जो भूकंप के प्रति संवेदनशील है। विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान से लेकर भारत के पूर्वोत्तर के अंतिम छोर तक पूरा हिमालय क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय है क्योंकि भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के बीच टकराव होता रहता है जो एक दूसरे को धक्का देते हैं। हिमालय पर्वतों का निर्माण भी इसी भूगर्भीय गतिविधि के कारण हुआ है।
भूकंप से होने वाला नुकसान इस बात पर भी निर्भर करता है कि क्षेत्र कितना आबादी वाला है। ज्यादातर नुकसान भूकंप की उत्पत्ति के आस-पास होता है। भूकंप की उत्पत्ति धरती के नीचे कितनी गहराई पर हुई है, इस पर निर्भर करते हुए भूकंप के झटके दूर से भी महसूस किए जा सकते हैं, लेकिन इनसे अधिक नुकसान नहीं होता।
भूकंपीय तरंगों के रूप में फैलते हैं और जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते हैं, वे ऊर्जा खोते जाते हैं। उत्पत्ति जितनी गहरी होगी, वे उतनी ही दूर तक जा सकते हैं, लेकिन कोई स्थान उत्पत्ति से जितना दूर होगा, विनाश की आशंका उतनी ही कम होगी।