बैलाडीला-अदानी विवाद: फर्जी ग्राम सभा की जांच अटकी

फर्जी ग्राम सभा की जांच कर रही कमेटी के सामने ग्राम पंचायत सचिव पेश नहीं हुआ, जिन्हें अगले सप्ताह तक का समय दिया गया है
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Photo: Mangal Kunjum 

छत्तीसगढ़ की बैलाडीला क्षेत्र में अदानी समूह को खदान देने के बाद उठा विवाद अभी पूरी तरह शांत नहीं हुआ है। इस मामले में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। आदिवासियों का आरोप है कि फर्जी ग्राम सभा का आयोजन कर परियोजना को अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया गया। इस आरोप की जांच के लिए जिला प्रशासन ने ग्राम सभा में हस्ताक्षर करने वाले 108 लोगों के साथ-साथ ग्राम पंचायत सचिव को बुलाया था, लेकिन ग्राम सचिव गैर हाजिर होने के कारण सुनवाई नहीं हो पाई।

प्रशासन की ओर से ग्राम पंचायत सचिव बसंत नायक को 7 दिन का समय दिया गया है और 7 दिन के भीतर पेश होने को कहा गया है। स्थानीय कार्यकर्ता मंगल कुंजम ने बताया कि रविवार को प्रशासन ने सुनवाई के लिए लोगों और पंचायत सचिव को बुलाया था, लेकिन पंचायत सचिव नहीं पहुंचे, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि जब तक पंचायत सचिव उपस्थित नहीं होगा, तब तक सुनवाई का कोई फायदा नहीं है। क्योंकि वही व्यक्ति बता सकता है कि ग्राम सभा की कार्यवाही रजिस्टर में किन लोगों ने हस्ताक्षर किए थे।

दंतेवाड़ा जिले में बैलाडीला क्षेत्र में डिपोजिट-13 में खदान की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 2014 में हिरौली में एक ग्राम सभा का आयोजन किया गया था। प्रशासन का दावा है कि पंचायत के सरपंच, पंच सहित 108 लोगों ने यह लिखकर दिया था कि डिपोजिट-13 में खदान शुरू करने में उनकी कोई आपत्ति नहीं है। इस अनापत्ति के आधार पर ही खदान परियोजना तैयार की थी, जिसकी लीज दिसंबर 2018 में अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को सौंप दी गई।

पिछले दिनों (7 से 13 जून) तक चले आदिवासियों के आंदोलन के दौरान यह आरोप लगाया कि ग्राम सभा के कार्यवाही रजिस्टर पर दिखाए जा रहे हस्ताक्षर फर्जी हैं। इसकी शिकायत उसी समय पुलिस को भी की गई थी। जब यह मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पास पहुंचा तो इसे गंभीर मसला मानते हुए बघेल ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे। इसके चलते सभी लोगों को नोटिस जारी किया गया था और 24 जून को सुनवाई की तारीख रखी गई थी। लेकिन पंचायत सचिव के गैरहाजिर होने के कारण जांच प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।

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