
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में आम चुनाव एक बड़ी प्रक्रिया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजादी के बाद जब सबसे पहला चुनाव हुआ था, तब क्या हुआ था?
1951-52 में, जब पहली बार आम चुनाव हुआ था, तब कई बड़ी घटनाए हुई थी। जैसे कि दुनिया भर में सबसे अधिक लोगों को मतदान का अधिकार मिलेगा था। उस समय कई देशों में लोकतंत्र स्थापित नहीं हुई थी और कई देशों में तो महिलाओं को मतदान का अधिकार ही नहीं था।
चुनाव आयोग ने देश के पहले चुनाव की पूरी जानकारी पर एक डॉक्यूमेंट तैयार किया है। आइए, जानते हैं पहले आम चुनाव से जुड़े रोचक तथ्य
सरकार ने मतदाता सूची तैयार करने का काम जुलाई 1948 में शुरू किया था, लेकिन तब तक कोई ऐसा कानून नहीं था, जिसके तहत चुनाव कराया जाना था। नियम और उपनियमों के अभाव में पहले चुनाव में लगभग दो साल की देरी हुई। 1950 में पीपुल एक्ट तैयार किया गया, लेकिन उस समय भी विस्तृत नियम तैयार नहीं हुए थे।
संसदीय क्षेत्रों का भी तब तक निर्धारण नहीं हो पाया था। इसलिए जनगणना आंकड़ों के आधार पर संसदीय क्षेत्रों का गठन किया गया, लेकिन जनगणना 1951 में हुई।
आखिरी जनगणना रिपोर्ट के आधार पर चुनाव कराने को लेकर काफी बहसें हुई। साथ ही, इस पर लंबा विचार विमर्श हुआ कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण किस आधार पर किया जाए। इसके चलते चुनाव में देरी होती चली गई।
कई राज्यों, खासकर बिहार में उस समय खाने की कमी थी, इसलिए प्रशासन खाद्य पदार्थों के वितरण और राहत कार्यों में व्यस्त था। यह भी एक बड़ी वजह रही, जिस कारण चुनाव 1950 के अंत और 1951 के आरंभ में नहीं हो पाया।
चुनाव 497 उम्मीदवारों के लिए हुआ, उस समय लोकसभा में इतनी सीटें थी। तब राष्ट्रपति ने एंग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को मनोनित किया था।