रवांडा ने वर्ष 2014 और 2018 के बीच अपने स्वास्थ्य बजट को 22.9 प्रतिशत बढ़ाया है (क्रिस्टोफ हितायेजू)
रवांडा ने वर्ष 2014 और 2018 के बीच अपने स्वास्थ्य बजट को 22.9 प्रतिशत बढ़ाया है (क्रिस्टोफ हितायेजू)

राह दिखाता रवांडा

स्वास्थ्य क्षेत्र में रवांडा का काम देखकर लगता है कि यह उन चुनिंदा अफ्रीकी देशों में शामिल होगा जो एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे
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रवांडा के पूर्वी प्रांत किगाली में रहने वाले मोटरसाइकिल सवार वेनुस्ते नियोंनसाबा दुर्घटना का शिकार हो गए और एक हफ्ते तक उन्हें अस्पताल में रहना पड़ा, किन्तु उन्हें अपने इलाज के खर्च की चिंता नहीं करनी पड़ी। डाउन टू अर्थ से बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्हें 2,000 से भी कम रवांडा फ्रैंक (आरडब्ल्यूएफ) यानी 2.3 अमेरिकी डॉलर देने पड़े। उनके बिल का भुगतान बीमा की रकम से हुआ। मुटुएल डि सेंटे नामक इस समुदाय आधारित स्वास्थ्य बीमा की शुरुआत 2004 में की गई थी। इसके परिणामस्वरूप लोगों के स्वास्थ्य संबंधी खर्च में कमी आई और अब उन्हें अपने बिल का केवल 10 प्रतिशत ही देना पड़ रहा है। इस बीमा व्यवस्था को चलाने के लिए जनता अपनी आय के हिसाब से भुगतान करती है। अमीर प्रतिवर्ष 7,000 आरडब्ल्यूएफ (8.5 अमेरिकी डॉलर) देते हैं जबकि गरीबों को कुछ नहीं देना पड़ता। वैश्विक स्वास्थ्य तक पहुंच सतत विकास लक्ष्य-3 (एसडीजी-3) बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण के तहत प्राप्त किया जाना वाला एक लक्ष्य है तथा रवांडा उन कुछेक अफ्रीकी देशों में से है जो इस लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर बढ़ता प्रतीत हो रहा है।

हालांकि अफ्रीकी देशों ने वर्ष 2015 तक प्राप्त किए जाने वाले शताब्दी विकास लक्ष्यों (एमडीजी) के संबंध में प्रगति दर्शायी थी, फिर भी यह महाद्वीप इसे प्राप्त करने से चूक गया था। वर्ष 2030 के लिए निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों ने अफ्रीका को यह सुनिश्चित करने का एक और मौका दिया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी उनके आर्थिक विकास को न रोके। हालांकि रास्ता कठिन है। वर्ष 2013 तक अफ्रीका के कुल 54 देशों में से केवल 6 देश ही वार्षिक सरकारी बजट का 15 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने के लक्ष्य को हासिल कर पाए थे। वर्ष 2001 के अबुजा घोषणा पत्र में यह लक्ष्य तय किया गया था। अधिकांश देशों में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था होने के कारण कराधान से राजस्व प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। परिणामस्वरूप पूरे महाद्वीप में स्वास्थ्य पर किए गए निवेश में काफी अंतर देखने को मिलता है। जहां कैमरून में यह केवल 4 प्रतिशत है वहीं स्वाजीलैंड में यह 17 प्रतिशत है। रवांडा उन देशों में से है जो अबुजा के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। इसने एक प्रभावी स्वास्थ्य व्यवस्था लागू की है तथा अन्य देश इससे काफी कुछ सीख सकते हैं।

रवांडा की स्वास्थ्य सुविधाओं को इसके 58,286 सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (सीएचडब्ल्यू) ने मजबूती प्रदान की है जो वर्ष 2007 में शुरु किए गए राष्ट्रीय सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता कार्यक्रम का हिस्सा हैं। वे घर-घर जाकर स्वास्थ्य देखभाल सहायता उपलब्ध कराते हैं तथा उन्हें गर्भवती महिलाओं और बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने, बीमारियों से बचाव करने, कुपोषण से लड़ने और परिवार नियोजन के संबंध में जागरुकता फैलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। सीएचडब्ल्यूएस को नियमित रूप से वेतन नहीं मिलता। इसके स्थान पर उन्हें प्रदर्शन के आधार पर भुगतान किया जाता है।

रवांडा ने वर्ष 2014 और 2018 के बीच अपने स्वास्थ्य बजट को भी 22.9 प्रतिशत बढ़ाया है। सरकार ने वर्ष 2018 में चिकित्सा सेवाओं पर प्रति व्यक्ति 27,415.22 आरडब्ल्यूएफ (36 अमेरिकी डॉलर) खर्च किए। रवांडा ने अपने को दान-आधारित वित्त व्यवस्था से स्ववित्तपोषित व्यवस्था में बदल लिया है। बाहरी वित्त 2013-14 में 57.2 से घटकर 2017-18 में 15.3 प्रतिशत रह गया। निजी क्षेत्र और नागरिकों के योगदान से घरेलू संसाधन जुटाए गए हैं।

जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के प्रयास स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ते हैं। बच्चों को मलेरिया संबंधी संक्रमण से बचाने के लिए गर्भवती महिलाओं को पहली बार अस्पताल आने पर तथा बच्चों को खसरे के टीकाकरण के विस्तारित कार्यक्रम के तहत 2006 से पहली बार अस्पताल आने पर कीटनाशक-उपचारित मच्छरदानी बांटी जाती हैं। रवांडा ने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की सहायता के लिए टेलीमेडिसिन अपनाने में भी तेजी दिखाई है। इसने अस्पतालों में जल्दी रक्त पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए नवंबर 2016 में ड्रोन मेडिकल डिलीवरी परियोजना शुरू की। रवांडा का टीकाकरण कार्यक्रम भी काफी सफल रहा है। पांच वर्ष से कम आयु के 95 प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण पूरा हो चुका है जबकि 13 से 19 वर्ष की सभी लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर से बचने का टीका लगाया गया है।

रवांडा के जनसांख्यिकी और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2014-15) के अनुसार, शिशु मृत्यु दर में वर्ष 2000 से 30 प्रतिशत, पांच वर्ष कम के बच्चों की मृत्यु दर में 25.51 प्रतिशत और नवजात शिशु मृत्यु दर में 45.45 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2005 से 2014 के बीच मातृ मृत्यु दर में तीन गुना कमी आई है जो 100,000 प्रसवों में 750 से घटकर 210 रह गई है, जबकि प्रसव में खतरे की स्थिति 2000 में 51 प्रतिशत से कम होकर 2015 में 38 प्रतिशत रह गई।

स्वास्थ्य मंत्री डाएन गशुंबा ने डाउन टू अर्थ से बात करते हुए बताया कि रवांडा 2030 तक एसडीजीएस के लक्ष्य को हासिल कर लेगा। उन्होंने कहा, “हम एमडीजीएस को प्राप्त करने में सफल रहे और इस बात में कोई संदेह नहीं कि प्रतिबद्धता और निजी क्षेत्र तथा अन्य सार्वजनिक संस्थाओं सहित अन्य क्षेत्रों के सहयोग से एवं हमारे शीर्ष नेताओं के पूर्ण समर्थन के साथ हम एसडीजीएस को भी हासिल कर लेंगे।”

योजना निदेशक पारफे उवालिरये कहते हैं, “सभी वर्गों के लिए जन केंद्रित सेवाएं प्रदान करने, एकीकृत और सतत सेवाओं के कारण स्वास्थ्य तंत्र असफल नहीं हुआ। हितधारकों को नई पहल शुरू करने की बजाय मौजूद पहलों के लिए निधि व अवसंरचना उपलब्ध कराने का अनुरोध करना तथा देश की प्राथमिकता तय करने के कारण यह व्यवस्था इतनी प्रभावी रही।”

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