उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में जीका वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां अब तक 89 मरीजों की पहचान हो चुकी है। इसके अलावा कन्नौज में भी एक मरीज की पहचान हुई है।
कानपुर नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा 7 नवंबर 2021 को जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि अब तक कुल 3465 सैंपल लिए जा चुके हैं। रविवार यानी 7 नवंबर को 10 नए मरीजों को पहचान हुई।
सर्विलांस के तौर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित 70 टीमों ने 3 किलोमीटर के परिधि एरिया में घर-घर जाकर सर्वे किया और गर्भवती महिलाओं के अलावा बुखार या अन्य लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित करके उनके सैंपल लिए जा रहे हैं। रविवार को 186 सैंपल लिए गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुल मरीजों में केवल एक महिला गर्भवती है, जबकि तीन संक्रमित वायु सेना कर्मी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे पहला मामला भी वायु सेना कर्मी का ही था। यह मामला कानपुर के पोखरपुर इलाके में आया था।
यहां वायु सेना के एक कर्मचारी को कई दिन से बुखार आ रहा था, जब उन्होंने अस्पताल में जांच कराई और उनके सैंपल पुणे भेजे गए तो पता चला कि वे जीका वायरस से संक्रमित हैं।
सबसे पहले मामले की पहचान 24 अक्टूबर को हुई थी। इसके बाद वहां लगातार मामले बढ़ रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि अब तक जिन इलाकों में जीका वायरस के मामले पाए गए हैं। उस इलाके को फॉगिंग के साथ-साथ सेनिटाइज कराया जा रहा है।
8 नवंबर को प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि कानपुर के अलावा कन्नौज में भी एक मामला पाया गया है।
क्या है जीका वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार डेंगू की तरह जीका वायरस भी एडीज मच्छर की वजह से फैलता है। पहली बार 1947 में युगांडा में बंदरों में जीका वायरस की पहचान हुई। बाद में युगांडा और संयुक्त गणराज्य तंजानिया में 1952 में मनुष्यों में इसकी पहचान की गई।
इसके बाद 1960 से 1980 बीच अफ्रीका और एशिया में इंसानों में संक्रमण के छिटपुट मामले पाए गए। इसका पहला प्रकोप 2007 में माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य याप द्वीप में फैला। इसके बाद इसका प्रकोप न केवल बढ़ा, बल्कि देशों में फैलता चलता गया। अब तक 86 देशों और क्षेत्रों में मच्छरों से जीका संक्रमण के प्रमाण मिल चुके हैं।
जीका वायरस के संकेत और लक्षण
जीका वायरस से संक्रमित अधिकांश लोगों में लक्षण विकसित नहीं होते हैं। आमतौर पर हल्के लक्षण होते हैं। जैसे- बुखार, दाने, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, अस्वस्थता और सिरदर्द शामिल हैं और आमतौर पर यह 2 से 7 दिनों तक रहते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए घातक
गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस संक्रमण की वजह से विकासशील भ्रूण और नवजात शिशु में माइक्रोसेफली और अन्य जन्मजात विषमता बन जाती है। गर्भावस्था में जीका संक्रमण के परिणामस्वरूप गर्भावस्था की जटिलताएं भी होती हैं जैसे कि भ्रूण का नुकसान, मृत जन्म और समय से पहले जन्म आदि।