चीन और संयुक्त राज्य (अमेरिका) के बाद कैंसर के मरीजों के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। यहां मुंह के कैंसर का 90 प्रतिशत कारण तंबाकू है। बल्कि अब भारत को दुनियाभर में मुंह के कैंसर की राजधानी के रूप में जाना जाने लगा है। सर्वाइकल कैंसर के बारे में लैंसेट ग्लोबल हेल्थ के एक अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 2018 में इससे भारत में सबसे अधिक लोगों की मौत हुई है।
4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर विशेषज्ञ इस डाटा को साझा करते हुए हमें यह समझाते हैं कि यह संख्या लोगों में घबराहट पैदा करने के लिए नहीं है, बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए है कि ऐसे कई कैंसर हैं, जिन्हें जल्दी पहचाना जा सकता है, जो सफल उपचार परिणामों की संभावना को बेहतर बनाने में मदद करता है। साथ ही, इस कारण से कैंसर के इलाज पर खर्च भी कम आएगा और इससे रोगियों पर कैंसर का दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट) कम पड़ेगा।
रक्त कैंसर को छोड़ दें तो कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के भीतर तब पैदा होती है जब सामान्य कोशिकाओं का एक समूह अनियंत्रित, असामान्य रूप से बढ़कर एक गांठ (ट्यूमर )के रूप में परिवर्तित हो जाता है। यदि इस अनियंत्रित और असामान्य गांठ का उपचार नहीं किया जाए तो ट्यूमर रक्त के प्रवाह और लसिका तंत्र के माध्यम से या आसपास के सामान्य ऊतक में या शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है और पाचन, तंत्रिका तथा संचार प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है या हार्मोन को छोड़ सकता है जो शरीर के कार्य को प्रभावित कर सकता है।
40 प्रतिशत कैंसर तंबाकू के कारण
मुंह के कैंसर के मामलों और इससे होने वाली लोगों की मृत्यु को कम करने के लिए निवारक उपाय किए जाने की आवश्यकता है। विश्व कैंसर दिवस पर बात करते हुए टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई के उप निदेशक डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा किपुरुषों में होने वाले 5 मुख्य कैंसर ओरल केविटि, फेफड़े, गला, खाने की नली का कैंसर शामिल है। ये सारे कैंसर तंबाकू के कारण होते है। खासतौर पर भारत में होने वाले इन कैंसर में 40 प्रतिशत कैंसर तंबाकू के कारण हेाता है। इसलिए तंबाकू पर प्रभावी नियंत्रण से इन सभी कैंसर से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।
डा.चतुर्वेदी ने कहा कि पान मसाला का बड़े पैमाने पर विज्ञापन और उसकी बढ़ती बिक्री और खपत को सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाना अत्यंत जरुरी है। क्योंकि पान मसाला से भी कैंसर हेाता है। मुंह और फेफड़ों के कैंसर के कारण 25 प्रतिशत से अधिक पुरूषों की मृत्यु होती है जबकि मुंह और स्तन के कैंसर में 25 प्रतिशत से अधिक महिलाओं की मृत्यु हेाती है। हम तंबाकू के खतरे को रोककर 90 प्रतिशत मुंह के कैंसर को रोक सकते हैं।”
गले के दर्द, मुंह में लंबे समय तक अल्सर, आवाज में बदलाव और चबाने और निगलने में कठिनाई जैसे लक्षणों से ओरल कैंसर का निदान किया जा सकता है। तंबाकू का सेवन करने वाले लेागों को नियमित रूप से मुंह के कैंसर की आत्म-परीक्षण करने की सलाह दी जाती है। स्वस्थ पीढ़ी ही स्वस्थ भारत बनाएगी। इसके साथ ही उन्होेने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा शराब की नीति पर नियंत्रण वक्त की जरुरत है।
संबंध हेल्थ फाउंडेशन के ट्रस्टी, संजय सेठ ने कहा, “राज्य सरकारें‘ प्लेज फॉर लाइफ - टोबैको फ्री यूथ कैंपेन’जैसे अभियानों को शुरु करके बड़ी पहल कर रही हैं, जिसका उद्देश्य तंबाकू उत्पादों के अत्यधिक नशे की लत की शुरूआत को रोकना है। सरकारों द्वारा इस तरह के ऐतिहासिक कदमों से आने वाले वर्षों में रोकथाम योग्य कैंसरों में भारी कमी आएगी। ”