फोटो का इस्तेमाल प्रतीकात्मक किया गया है
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क्या इस साल के अंत तक हार जाएगा 'टीबी'?

भारत में टीबी के इलाज के लिए नेशनल रणनीति योजना (2017-2025) चलाई जा रही है
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हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने वैश्विक क्षय रोग (टीबी) 2024 रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट वैश्विक, क्षेत्रीय और देश स्तर पर टीबी महामारी एवं रोग की रोकथाम, निदान और उपचार में प्रगति का व्यापक एवं अद्यतन मूल्यांकन प्रदान करती है। वर्ष 2023 में भारत में लगभग 25.2 लाख टीबी के मामले रिपोर्ट किए, जो 2022 में 24.2 लाख मामलों से अधिक हैं। भारत और इण्डोनेशिया वर्ष 2021 से 2023 तक टीबी के वैश्विक मामलों में कुल वृद्धि के 45 प्रतिशत के लिए उत्तरादायी थे।

शीर्ष पांच देश जिसमें भारत, इण्डोनेशिया, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान शामिल हैं जो कुल वैश्विक मामलों के 56 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार थे। भारत में वर्ष 2015 से 2023 तक टीबी के मामलों में 18 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2025 तक 50 प्रतिशत कमी के लक्ष्य से बहुत कम है। इसी प्रकार, टीबी से संबंधित मौतों में 75 प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले केवल 24 प्रतिशत की कमी आई है।

भारत द्वारा टीबी की स्थिति में लगातार सुधार किया जा रहा है इसलिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रिपार्ट में भारत की प्रशंसा की। टीबी एक संक्रामक रोग है जो बैक्टीरिया, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होता है। यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, जिसमें फेफड़े, लिम्फ नोड्स, आंत, रीढ़ हैं।

टीबी के सामान्य लक्षण अनेक हैं जैसे लंबे समय तक खांसी, छाती में दर्द, कमजोरी, थकान, वजन घटना, बुखार आदि। मधुमेह रोगी व्यक्तियों, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली व्यक्तियों, कुपोषित व्यक्तियों, तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्तियों में टीबी रोग के खतरे बढ़ जाते हैं। टीबी के तीन चरण होते हैं एक्सपोजर, लेटेंट और एक्टिव डिजीज।

स्किन टेस्ट या ब्लड टेस्ट की मदद से इस बीमारी का निदान किया जा सकता है, टीबी स्किन या ब्लड टेस्ट केवल यह बताता है कि एक व्यक्ति टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित हो गया है, यह जांच यह नहीं बताती कि व्यक्ति को लेटेंट टीबी संक्रमण है या वह टीबी रोग में बदल गयी है। इन दो ट्यूबरक्लोसिस टेस्ट के अलावा सीबीएनएटी टेस्ट, छाती का एक्स-रे और स्पयूटम टेस्ट हैं। टीबी से बचने के लिए अनेक उपायों का सावधानीपूर्वक पालन करना होगा।

दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें, टीबी से पीड़ित व्यक्ति के पास न जाएं अगर जाएं तो मास्क अवश्य लगाएं। टीबी से पीड़ित मरीज के विस्तर, रूमाल या तौलिया किसी अन्य व्यक्ति को प्रयोग नहीं करना चाहिए। अगर आपके पास कोई खांस रहा अपने मुंह को रूमाल से ढ़क लें और वहां से दूर हट जाएं।

अगर आप ट्यूबरक्लोसिस से पीड़ित मरीज से मिलने जा रहे हैं तो वापस आकर हाथ और मुंह को अच्छी तरह से धोंए और कुल्ला करें। रोगी व्यक्ति विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्सियम और फाइबर से भरपूर खाद्य-पदार्थों का सेवन करें, इससे रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।

टीबी के मुख्य उपचार में कम से कम 6 महीने तक एंटीबायोटिक्स लेना शामिल है। अगर टीबी रोगी के मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी या आपके हृदय के आस-पास के क्षेत्र में फैल गया है तो आपको कुछ सप्ताहों के लिए स्टेरॉयड दवा लेना आवश्यक है। टीबी से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लोबल फंड और स्टॉप टीबी पार्टनरशिप के साथ एक संयुक्त पहल “फाइंड.टीट.ऑल.#EndTB” की शुरुआत हुई है।

तपेदिक उन्मूलन के लिए “ मास्को घोषणा पत्र ” जिसमें 2030 तक टीबी उन्मूलन के लिए वैश्विक लक्ष्य रखा है। भारत में टीबी के इलाज के लिए नेशनल रणनीति योजना (2017-2025) चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य टीबी रोगियों का शीघ्र निदान, गुणवत्ता सुनिश्चित दवाओं के साथ त्वरित उपचार करना है।

निक्षय पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा देशभर में एमडीआर मामलों सहित सभी टीबी रोगियों का डेटाबेस बनाना है। निक्षय पोषण योजना द्वारा प्रधानमंत्री ने टीबी से ग्रसित लोगों के लिए योजना शुरू की गयी इस योजना के तहत टीबी से पीड़ित लोगों को 500 रुपएपए प्रतिमाह देने का प्रावधान है।

टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान 2019 से चलाया जा रहा है। वैश्विक स्तर पर टीबी के प्रति जागरूक करने के लिए 24 मार्च को विष्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है, गौरतलब है कि 24 मार्च को 1882 को डॉक्टर राबर्ट कोच ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की थी। “2025 तक टीबी को समाप्त करने” के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को पहली बार प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने मार्च 2018 में नई दिल्ली में आयोजित “ टीबी समाप्त शिखर सम्मेलन ” के दौरान व्यक्त किया गया था और विश्व टीबी दिवस 2023 पर वाराणसी में “ एक विश्व टीबी शिखर सम्मेलन ” में इसकी पुष्टि की गई थी।

इस शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री ने टीबी के लिए निर्णायक और पुनजीर्वित प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अतिरिक्त, भारत गांधीनगर घोषणापत्र का भी हस्ताक्षरकर्ता है, जो स्वास्थ्य मंत्रियों और विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रीय कार्यालय का संयुक्त घोषणापत्र है। जिस पर अगस्त 2023 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 2030 तक “टीबी को समाप्त करने के लिए निरंतरता, गति और नवाचार ” पर उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक में हस्ताक्षर किए गए थे। यह बात सही है विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा टीबी को खत्म करने के प्रयास में भारत की प्रशंसा की परन्तु, अभी सुधार की आवश्यकता है।

लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं

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