नेपाल सीमा से लगे राज्य बिहार में कोराना वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए अब तक महज 69 सैंपलों की ही जांच की गई है। इनमें से 38 सैंपल की जांच पुणे में हुई है और बाकी सैंपल की जांच पटना के राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में हुई है। सभी सैंपल का रिजल्ट नेगेटिव आया है।
10 करोड़ की आबादी वाले बिहार में कोरोना वायरस की जांच का आंकड़ा देखें, तो ये बेहद कम है। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “बिहार में कोरोना के संदिग्ध मरीजों की शिनाख्त करने के दो तरीके हैं – एक तो वे लोग जो विदेशों से लौट रहे हैं, उनकी जांच की जा रही है और दूसरा वे लोग जो कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के साथ रह चुके हैं। अब तक ऐसे लोगों की ही जांच हुई है, जो कोरोना के संक्रमण वाले देशों से लौटे हैं।” लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार सरकार को जांच का तरीका बदलना चाहिए।
एईएस पर काम करने वाले मुजफ्फरपुर के जाने-माने चिकित्सक डॉ अरुण शाह ने डाउन टू अर्थ से कहा कि अभी स्क्रीनिंग उन्हीं लोगों तक सीमित है, जो लोग कोरोना से प्रभावित देशों से लौटे हैं। लेकिन, भारत में जिस तरह कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए अब वक्त आ गया है कि ऐसे सभी लोगों की जांच की जाए जिन्हें बुखार, खांसी व सांस लेने में तकलीफ है।
उन्होंने कहा, “अगर कोरोना वायरस से ग्रस्त एक भी व्यक्ति जांच के दायरे से बाहर रहा, तो ये पूरे समुदाय को अपनी चपेट में ले लेगा।”
बिहार में दूसरे देश से आए लोगों की जांच में सख्ती महज कुछ दिन पहले ही शुरू हुई है। इससे पहले लौटे लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जनवरी में इटली से लौटे एक नौजवान को अभी जांच के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, वह भी गांव के लोगों द्वारा विरोध किए जाने के बाद। भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट डॉ आरसी मंडल ने कहा कि नौजवान में कोरोना का कोई लक्षण नहीं मिला है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
देश के 15 राज्यों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज पाए गए हैं, लेकिन, इन राज्यों की सीमा सील नहीं हुई। इन राज्यों से लोगों का आना-जाना जारी है, ऐसे में ये आशंका है कि दूसरे राज्यों में ये संक्रमण फैल सकता है।
डॉ अरुण शाह ने कहा, “इस वायरस का संक्रमण आग की तरह फैलता है, इसलिए सरकार को गंभीरता से जांच करनी चाहिए। अगर समय रहते हालात को काबू में नहीं किया गया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।”
बिहार की एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ रागिनी मिश्रा हालांकि ये मानती हैं कि विदेशों से लौटे सभी लोगों की जांच नहीं हो पाई है, लेकिन वे खांसी, बुखार जैसी बीमारियों से जूझ रहे सभी मरीजों की जांच के विचार को खारिज करती हैं।
उन्होंने डाउन टू अर्थ को बताया, “ऐसा करने से लोग नाहक डर जाएंगे। अलबत्ता हम ये जरूर करने जा रहे हैं कि विज्ञापन देकर लोगों से अपील कर करेंगे कि विगत 15 दिनों में जो लोग भी विदेश से बिहार लौटे हैं, वे 104 नंबर पर कॉल कर अपना पंजीयन कराएं ताकि हमलोग उनकी और उनके साथ रहे लोगों की जांच कर सकें।”