डब्ल्यूएचओ ने मरीजों के अधिकारों को रेखांकित करने वाला पहला मरीज सुरक्षा अधिकार चार्टर किया लॉन्च

सुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल न मिल पाने के कारण हर साल 30 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह स्थिति कहीं ज्यादा गंभीर है
कब मिलेगा सबको सबको सुरक्षित और बेहतर इलाज; दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में इलाज पाने के लिए जद्दोजहद करते मरीज और उनके परिजन; फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट
कब मिलेगा सबको सबको सुरक्षित और बेहतर इलाज; दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में इलाज पाने के लिए जद्दोजहद करते मरीज और उनके परिजन; फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 18 अप्रैल 2024 को पहले रोगी सुरक्षा अधिकार चार्टर को लॉच कर दिया है। इस चार्टर को मरीजों की सुरक्षा के लिए 17 से 18 अप्रैल 2024 के बीच चिली में संपन्न हुए हुए वैश्विक मंत्रिस्तरीय शिखर सम्मेलन के दौरान जारी किया गया है।

गौरतलब है कि यह अपनी तरह का पहला दस्तावेज है, जो मरीजों की सुरक्षा के लिए उनके अधिकारों को रेखांकित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को भरोसा है कि यह चार्टर मरीजों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कानूनों, नीतियों और दिशानिर्देशों को तैयार करने में मददगार होगा।

दुनिया में हर व्यक्ति को सुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल पाने का अधिकार है। भले ही चाहे वो किसी भी उम्र, लिंग, नस्ल, भाषा या धर्म से जुड़ा हो। इसी तरह चाहे वो शारीरिक रूप से विकलांग हो या उसकी सामाजिक आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, सुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल पाना उसका एक बुनियादी मानव अधिकार है।

असुरक्षित सर्जरी, दवा संबंधी त्रुटियां, निदान में देरी, गलत इंजेक्शन, असुरक्षित रक्त और सेप्सिस जैसे स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े संक्रमणों को फैलने से रोकने में होने वाली गलतियों से मरीजों की सुरक्षा खतरा में पड़ सकती है।

इस चार्टर में जोखिमों को कम करने और अप्रत्याशित नुकसान को रोकने के उद्देश्य से मरीजों के दस महत्वपूर्ण सुरक्षा अधिकारों को शामिल किया गया है। इनमें समय पर प्रभावी और उपयुक्त देखभाल, सुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल प्रक्रियाएं एवं प्रथाएं, कुशल एवं सक्षम स्वास्थ्यकर्मी, चिकित्सा उत्पादों का सुरक्षित उपयोग, सुरक्षित स्वास्थ्य सुविधाएं, गरिमा, सम्मान, गैर-भेदभाव और गोपनीयता का सम्मान, सूचना, शिक्षा एवं समर्थित निर्णय-प्रक्रिया, मेडिकल रिकॉर्ड तक पहुंच, निष्पक्ष सुनवाई और समाधान शामिल हैं।

इनके साथ ही मरीजों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल निर्णयों और प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से शामिल होने के अधिकार को भी चार्टर में शामिल किया गया है।

यहां रोगी सुरक्षा का अर्थ स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में मौजूद प्रक्रियाओं, प्रथाओं और मूल्यों की मदद से मरीजों को होने वाले संभावित नुकसान से सुरक्षित रखना है। इसका लक्ष्य जहां एक तरफ मरीजों की सुरक्षा को बढ़ावा देना है वहीं साथ ही उनकों होने वाले नुकसान की सम्भावना को कम करना है।

हर दसवें मरीज को इलाज के दौरान होता है नुकसान

इसमें कोई शक नहीं कि स्वास्थ्य अधिकार को बनाए रखने के लिए मरीज की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद महत्वपूर्ण है। आंकड़े दर्शाते हैं कि हर 10 में से एक मरीज को स्वास्थ्य देखभाल के दौरान नुकसान होता है। हालांकि इस नुकसान के करीब आधे को टाला जा सकता है। इनमें से आधा नुकसान दवा संबंधी त्रुटियों की वजह से होता है।

इतना ही नहीं सुरक्षित स्वास्थ्य देखभाल न मिल पाने के कारण हर साल 30 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। यह स्थिति निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कहीं ज्यादा गंभीर है। जहां 100 में से चार मरीज सुरक्षित देखभाल न मिल पाने के कारण काल के गाल में समा जाते हैं।

मरीजों के स्वास्थ्य को होता यह नुकसान अर्थव्यवस्था को भी गहरा आघात देता है। आंकड़ों के मुताबिक मरीजों को होते इस नुकसान से वैश्विक स्तर पर होती आर्थिक वृद्धि में सालाना 0.7 फीसदी की कमी आ सकती है। दुनिया भर में, इस नुकसान की अप्रत्यक्ष लागत हर साल खरबों अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाती है।

आज स्वास्थ्य देखभाल में कमियों से मरीज को होता नुकसान एक विश्वव्यापी चुनौती बन चुका है, जो देशों को उनके आय या मौजूद स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों की परवाह किए बिना प्रभावित करता है। इसके लिए अक्सर कोई एक घटना जिम्मेवार नहीं होती, बल्कि यह तो खराब ढंग से डिजाइन की गई स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के कारण प्रणालीगत विफलताओं के कारण होता है।

यही वजह है कि मरीजों की सुरक्षा एक सर्वोच्च वैश्विक प्राथमिकता है। इसकी पुष्टि विश्व स्वास्थ्य असेंबली में लिए और वैश्विक स्तर पर मरीजों की सुरक्षा के लिए बनाई कार्य योजना में भी की गई है। बता दें कि इस कार्य योजना को 2021 से 2030 के लिए जारी किया गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन में एकीकृत स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक डॉक्टर रूडी एगर्स ने प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा है कि, "रोगी सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल के मूल सिद्धांत को दर्शाती है, जो कोई नुकसान न पहुंचाने की बात करता है।“ यह एक विश्वव्यापी प्राथमिकता है और सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आवश्यक है। साथ ही यह स्वास्थ्य संबंधी मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए देश की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

डब्ल्यूएचओ में रोगी सुरक्षा फ्लैगशिप यूनिट की प्रमुख डॉक्टर नीलम ढींगरा ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि “हर किसी को, हर जगह, एक मरीज के रूप में सुरक्षा का अधिकार है।" उन्होंने चार्टर के लॉन्च होने को एक सुरक्षित और पहले से अधिक न्यायसंगत दुनिया हासिल करने की दिशा में एक ठोस कदम बताया है।

उन्होंने यह भी आशा जताई है कि चार्टर देशों को उनके स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में मरीज और परिवार की भागीदारी, समानता, गरिमा और सूचना तक पहुंच जैसी आवश्यक अवधारणाओं को एकीकृत करने में सहायता देने में महत्वपूर्ण संसाधन साबित होगा।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह चार्टर स्वास्थ्य कर्मियों, नेताओं और सरकारों को मरीजों पर केंद्रित स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का निर्माण करने में मदद करेगा। साथ ही इसकी मदद से मरीजों की सुरक्षा और नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी।

महत्वपूर्ण रूप से यह चार्टर मरीजों को स्वास्थ्य देखभाल के मामले में बोलने के लिए सशक्त बनाएगा। इसके साथ ही इससे समुदायों और स्वास्थ्य प्रणालियों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे में सभी को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच हासिल हो सके यह सुनिश्चित करने में मददगार होगा।

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