चीन में फैले कोरोनावायरस की वजह से दुनिया भर में लग सकती है इमरजेंसी?

कोरोना वायरस की वजह से चीन में इमरजेंसी जैसे हालात हैँ, हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि दुनिया भर में हेल्थ इमरजेंसी लगाना जल्दबाजी होगी
Photo: Twitter@who
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चीन में फैले कोरोना वायरस का कहर बढ़ रहा है। वहां हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं। चीन में इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए चार शहरों में लोगों ने खुद को अपने घरों में बंद कर लिया है। लेकिन क्या दुनिया में भी इस वायरस की वजह से हेल्थ इमरजेंसी लगा देनी चाहिए, इस मुद्दे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मैराथन बैठक के बाद कहा गया कि अभी तक इस विषाणु की न तो गंभीरता का पता चला है न ही स्त्रोत और संक्रमण को लेकर ठोस जानकारी लगी है, इसलिए चीन में कोरोना वायरस से फैल रही बीमारी को स्थिति को फिलहाल वैश्विक आपातकाल यानि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता की स्थिति (पीएचईआईसी) न माना जाए।

अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक की आपात समिति ने जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में चली बैठक के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने यह घोषणा की। 

आपात समिति के प्रधान डीडीएर हौसिन ने कहा कि आपात समिति के सदस्यों के बीच इस मामले पर काफी मतभेद हैं। आधे सदस्यों का मानना था कि यह आपात स्थिति है, क्योंकि संक्रमित लोगों की संख्या और इसका फैलाव काफी अधिक है। बाकी सदस्यों ने कहा कि इस संक्रमण का फैलाव चीन के बाहर काफी सीमित है और चीन का प्रशासन इससे निपटने के लिए सही निर्णय ले रहा है। सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपात स्थिति घोषित करना इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होता है और फिलहाल ऐसा करना जल्दबाजी होगी।

डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेडरोस एडहानोम घेब्रेयासस इस समिति के निर्णय के बाद ही आपात स्थिति की घोषणा करने वाले थे। संयोगवश, इस बैठक के ठीक पहले सिंगापुर और वियतनाम से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आए थे, इस वायरस को अमेरिका, थाईलैंड, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और हांगकांग में भी पाया गया। ब्रिटेन में इस वायरस के संभावित मरीजों की पड़ताल चल रही है। डब्लूएचओ के मुताबिक अब तक 584 मामलों को पुष्टि हो चुकी है जिनमें से 17 मामले में मरीज की मृत्यु हो गई। 

घेब्रेयासस ने कहा कि डब्लूएचओ के द्वारा खतरे का मूल्यांकन किया गया और इससे पता चला कि चीन के लिए वायरस बेहद खतरनाक है और बाकी दुनिया के लिए यह स्थिति कुछ कम खतरनाक है। यह चीन के लिए आपात स्थिति है, लेकिन विश्व के लिए ऐसी स्थिति नहीं बनी कि आपातकाल घोषित किया जाए। हालांकि, ऐसी स्थिति बन भी सकती है।

उनसे जब चीन में चार शहरों को बंद करने की घटना पर टिप्पणी करने को कहा गया तो महानिदेशक ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया और कहा कि डब्लूएचओ केवल देशों को तथ्यात्मक और वैज्ञानिक सलाह देता है। अब यह उस देश पर निर्भर करता है कि वो उन सलाहों पर क्या कदम उठाते हैं।

कुछ देर पहले डब्लूएचओ के वरिष्ठ अधिकारी ने एसोसिएट प्रेस को साक्षात्कार देते हुए कहा था कि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए एक शहर को बंद कर रखने की बात उन्होंने कभी नहीं सुनी और इसका क्या असर होगा, इसके बारे में भी उन्हें कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। 

घेब्रेयासस से पूछा गया कि क्या चीन ने सीवियर एक्यूट रेसपिरेटिरी सिंड्रोम (एसएआरएस) के दौरान हुई गलतियों से कुछ सीखा है? सांस संबंधी इस बीमारी ने 2003 में चीन में 800 लोगों की जान ले ली थी और यह बीमारी भी कोरोना वायरस के द्वारा फैली थी। इसके जवाब को घुमाते हुए उन्होंने कहा कि सक्षम देश अपनी बेहतरी के लिए अपनी सोच के मुताबिक अच्छे से अच्छे कदम उठाते हैं।

कुल मिलाकर घेब्रेयासस स्वीकारते हैं कि इस वायरस का स्त्रोत तय नहीं है कि वह चमगादड़ है, या सांप या फिर कोई और जानवर। यहां तक को इस रोग की गंभीरता का अंदाजा भी अभी तक नहीं हो पाया है।

डब्ल्यूएचओ ने चीन को लेकर यात्रा संबंधी रोक भी नहीं लगाई है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा मानव पलायन का केंद है जहां करोड़ों लोग चंद्र नव वर्ष मनाने जनवरी 25 को जा रहे हैं। हालांकि, यह कहा गया है कि यात्रियों को देश में आने से पहले उनकी सख्त निगरानी की जाए। डब्लूएचओ का कहना है कि इंसानों के बीच आपस में इस विषाणु के संचरण की भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र ने चीन को वायरस से संबंधित नमूने वैश्विक वैज्ञानिक समाज से साझा करने के लिए धन्यवाद कहा है। हालांकि, जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि क्या चीन ने संक्रमण की अलग-अलग स्थिति के नमूनों को साझा किया है, जिससे कि विषाणु का अलग-अलग स्तर पर शरीर पर प्रभाव को जाना जा सके। सवाल के जवाब में माइक रयान कहते हैं कि एक दिन पहले ही यह सब साझा किया गया।

उल्लेखनीय है कि चीन में विषाणु संक्रमण का पहला मामला 23 दिन पहले 31 दिसंबर को सामने आया था। संक्रमण का चक्र जानना काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे विषाणु का शरीर पर अलग-अलग स्तर पर प्रभाव आंका जा सकता है और विषाणु को समझने में मदद मिलती है।

रयान ने कहा कि अब हमारे पास बीमारी की शुरुआत से लेकर अब तक का आंकड़ा है, जिससे इसके विभिन्न स्तरों को जांच की जा सकेगी। हालांकि उन्होंने इस बात का जवाब नहीं दिया कि वैश्विक स्तर पर इस जानकारी को कब साझा किया जाएगा।

इस विषाणु का अभी तक नाम भी नहीं तय हुआ, क्योंकि ऐसा करने के लिए डब्लूएचओ के विशेषज्ञों को समय नहीं मिला। एक विशेषज्ञ के मुताबिक नोवेल कोरोना वायरस (कोरोना वायरस का नया प्रकार) एक सही नाम है और वैज्ञानिक समाज इस नाम के साथ ही काम कर रहा है।

डब्ल्यूएचओ ने चीन को सुझाया है कि वे जानकारी साझा करने में पारदर्शी रहे, ताकि स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े दुनिया भर के विशेषज्ञ इससे बचाव के लिए आगे आ सकें। साथ ही, डब्ल्यूएचओ ने विश्व के दूसरे देशों को सलाह दी है कि वे सतर्क रहें।

घेब्रेयासस ने दोबारा आश्वस्त किया कि अगर जरूरत पड़ी तो आपात समिति की अगली बैठक कभी भी आयोजित की जाएगी, यहां तक कि सिर्फ एक दिन की पूर्व सूचना पर यह बैठक बुलाई जा सकती है।

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