स्वास्थ्य बीमा से महरुम हैं कचरा बीनने वाले, 33 प्रतिशत के पास जनधन खाते नहीं

यूएनडीपी ने कचरा बीनने वालों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का बेसलाइन विश्लेषण जारी किया गया
Photo: Agnimirh Basu/CSE
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देश के बड़े शहरों में कचरा बीनने वालों के पास पांच फीसदी से भी कम स्वास्थ्य बीमा है, जबकि 79 प्रतिशत सफाई साथियों के जनधन खाते नहीं हैं।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की ओर से 25 जनवरी 2022 को कचरा बीनने वालों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का बेसलाइन विश्लेषण जारी किया गया। यूएनडीपी की प्लास्टिक मैनेजमेंट यूनिट और पॉलिसी यूनिट ने यह रिपोर्ट तैयार की है। कचरा बीनने वालों को सफाई साथी की संज्ञा दी गई है।

इसके लिए यूएनडीपी ने 2020 में 10 राज्यों के 14 शहरों के 9300 सफाई साथियों पर सर्वे किया। दावा किया गया है कि यह अब तक का सबसे बड़ा असेसमेंट है। इसमें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, स्वास्थ्य सेवाओं, वित्तीय योजनाओं और रोजगार के बारे में जानकारी ली गई है।

सर्वे में दिल्ली, मुंबई, पटना, औरंगाबाद, भुवनेश्वर, चैन्नई, कटक, गाजियाबाद, जयपुर, जम्मू, पणजी, पुरी, ऋषिकेश, वाराणसी को शामिल किया गया है। सर्वे में लगभग आधे घूम फिर कचरा बीनने, गलियों में सफाई करने और लैंडफिल से कचरा बीनने वाले हैं, जो पूरी तरह अनियमित थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में शामिल सफाई साथियों में 65 प्रतिशत के पास औपचारिक शिक्षा नहीं थी, इनमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 72.3 प्रतिशत थे।

रिपोर्ट के मुताबिक शहरों में कचरे बीनने वालों में 10 प्रतिशत के पास आधार कार्ड नहीं था। जबकि 33 प्रतिशत के पास वोटर कार्ड नहीं थे। इसके अलावा 94 प्रतिशत के पास जन्म प्रमाण पत्र और 88 प्रतिशत के पास व्यवसाय संबंधित पहचान पत्र नहीं थे।

कचरा बीनने वाले समुदायों के लिए सरकारें कई तरह की सामाजिक सुरक्षा योजनाएं चला रही है, लेकिन यह सर्वे बताता है कि यह काम करने वालों के पास जाति प्रमाण पत्र तक नहीं थे। सर्वे में शामिल सफाई साथियों के पास 99.5 प्रतिशत के पास जाति और आय प्रमाण पत्र नहीं मिले।

कचरा प्रबंधन और रिसाइकिल का इंतजाम करने वाले इस काम में लगे लोगों की आमदनी भी पर्याप्त नहीं है। सर्वे रिपोर्ट बताती है कि 10 में सात लोगों ने अपने परिवार की आय 10 हजार रुपए मासिक से कम बताई। केवल 4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी आय 20 हजार रुपए मासिक से अधिक है।

केंद्र व राज्य सरकारें ज्यादातर योजनाओं को डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (डीबीटी) से जोड़ 33 प्रतिशत के पास बैंक खाते नहीं थे। जबकि 10 में 7 लोगों के खाते बैंक खाते जनधन योजना से जुड़े थे।

सर्वे के मुताबिक, इस वर्ग के पास राशन कार्ड भी नहीं है और राशन कार्ड न होने का कारण आवश्यक कागजात का न होना है। सर्वे में शामिल सफाई साथियों में से 50 फीसदी के पास राशन कार्ड नहीं था।

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