केवल गर्म मौसम ही कोरोनावायरस को फैलने से नहीं रोक सकता: अध्ययन

शोधकर्ताओं ने बताया कि हर डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि होने पर लोगों के संक्रमित होने की संख्या में लगभग 0.04 की कमी आई।
Photo : Wikimedia Commons
Photo : Wikimedia Commons
Published on

कोविड-19 के हमारे पर्यावरण और महामारी विज्ञान को प्रभावित करने वाले कारणों के बारे में अभी भी बहुत कुछ जानना और समझना बाकी है। मौसम किस तरह वायरस को फैलाने या रोकने में अहम भूमिका निभाता है, इसी को जानने के लिए एक अध्ययन किया गया है।

नए अध्ययन से पता चलता है कि कोरोनावायरस संक्रमण की दर अलग-अलग मौसम में अलग-अलग होती है। यह सही है कि संक्रमण के प्रसार की दर गर्मियों में कम होती है, लेकिन इस प्रसार को रोकने में केवल गर्म मौसम होना ही काफी नहीं है। इस अध्ययन की अगुवाई लंदन के इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने की है। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ता बताते है कि तापमान और जनसंख्या घनत्व सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि वायरस कितनी आसानी से फैलेगा। इसके फैलने को कम करने के लिए विभिन्न प्रतिबंधित उपायों में से एक लॉकडाउन लगाना शामिल है।

इंपीरियल कॉलेज में डिपार्टमेंट ऑफ़ लाइफ साइंसेज के डॉ टॉम स्मिथ ने कहा कि हमारे नतीजे बताते हैं कि नीतिगत हस्तक्षेपों के मुकाबले तापमान में बदलाव का वायरस के फैलने पर बहुत कम असर पड़ता है। इसलिए जब लोग बिना टीकाकरण के रहते हैं, तो सरकारों को हस्तक्षेप करना नहीं छोड़ना चाहिए। जैसे, लॉकडाउन लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग करवाना आदि। सिर्फ मौसमी बदलाव अर्थात गर्म होते मौसम से वायरस का प्रसार नहीं रुकने वाला है।

शोधकर्ताओं ने बताया कि हमारे अध्ययन से यह भी पता चलता है कि शरद ऋतु और सर्दियों के दौरान तापमान कम होता है, इस समय पर नीतिगत हस्तक्षेप या कोविड यथोचित व्यवहार के अभाव में वायरस अधिक आसानी से फैल सकता है।

कोविड-19 के फैलने पर मौसम का असर
मौसमी बदलाव के चलते सार्स-सीओवी-2 फैलने का पूर्वानुमान लगाना बहुत कठिन होता है। अन्य वायरस, जैसे फ्लू का वायरस और अन्य कोरोनावायरस, पर्यावरणीय कारणों से प्रभावित होने के लिए जाने जाते हैं। उदाहरण के लिए, उच्च तापमान और कम आर्द्रता में फ्लू के प्रसार को रोकने, श्वसन बूंदों के फैलने को कम करती है। उच्च तापमान को हवा में और सतहों पर अन्य कोरोनावायरस को निष्क्रिय करने के लिए भी जाना जाता है।

स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस संक्रमण के फैलने के कारणों को जानने के लिए देशों के बीच तुलना करना मुश्किल है। जैसे कि ब्राजील, भारत और ईरान जैसे कुछ देशों में, जहां गर्म जलवायु होने के बावजूद भी इन देशों में कोरोना तेजी से फैलता है। हालांकि शोधकर्ताओं को इस बात के पुख्ता सबूत मिले कि कम तापमान और उच्च जनसंख्या घनत्व वाली जगहों पर सार्स-सीओवी-2 अधिक फैला।

शोधकर्ताओं का दावा है कि एक डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि होने पर लोगों के संक्रमित होने की संख्या में लगभग 0.04 की कमी आई। हालांकि लॉकडाउन जैसे हस्तक्षेपों से मौसम के किसी भी प्रभाव के बारे में ज्यादा पता नहीं चला।

नीति और कोविड यथोचित व्यवहार
इंपीरियल में डिपार्टमेंट ऑफ़ लाइफ साइंसेज के प्रमुख शोधकर्ता डॉ विल पियर्स ने कहा कि तापमान और जनसंख्या घनत्व सार्स-सीओवी-2 के फैलने पर असर डालते हैं। हमारे निष्कर्ष पुष्टि करते हैं कि कोरोना को रोकने या फैलाने वाले सबसे महत्वपूर्ण चीजें सार्वजनिक नीति और व्यक्तिगत व्यवहार हैं। 

इसका मतलब कतई यह नहीं है कि गर्म क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को ठंडे क्षेत्रों से पहले इधर-उधर जाने, कोरोना से संबंधित नियमों, प्रतिबंधों को कम करने की उम्मीद करनी चाहिए। यह सच है क्योंकि गर्म क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अधिक होता है - उदाहरण के लिए, अमेरिका के फ्लोरिडा में जनसंख्या मिनेसोटा की तुलना में अधिक घनी है।

शोधकर्ता अब अपने अध्ययन को नए रूप में आगे बढ़ा रहे हैं और वे कहते हैं कि उनके पर्यावरणीय परिणामों को भविष्य के पूर्वानुमानों में शामिल किया जाना चाहिए ताकि बीमारी फैलने के बारे में पहले ही पता लगाया जा सके।

इम्पीरियल कॉलेज में एमआरसी सेंटर फॉर ग्लोबल इंफेक्शियस डिजीज एनालिसिस की डॉ इलारिया डोरिगट्टी ने कहा हमें इस बात के सबूत मिले हैं कि महामारी के शुरुआती चरणों में, ठंडी जगहों पर सार्स-सीओवी-2 के फैलने की तीव्रता अधिक थी। हालांकि, सार्स-सीओवी-2 के फैलने पर जलवायु, जनसंख्या घनत्व और साथ ही नीतिगत हस्तक्षेपों के प्रभाव भी पड़े हैं।

इसका तात्पर्य यह है कि, जैसे ही हम उत्तरी गोलार्ध में गर्मियों की ओर बढ़ते हैं, सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति के फैसले महामारी नियंत्रण के लिए अधिक मायने रखते हैं और सिफारिशों का पालन करने से सार्स-सीओवी-2 फैलने से रोका जा सकता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in