बच्चों के हड्डियों की मजबूती और टूटने से विटामिन डी की खुराक से कोई लेना देना नहीं: अध्ययन

शोध में पाया गया कि विटामिन डी की खुराक, विटामिन डी की कमी वाले बच्चों में हड्डियों की ताकत कोनहीं बढ़ाती है या हड्डी को टूटने से नहीं रोक सकती है।
फोटो: आईस्टॉक
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लंदन की चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक शोध में पाया गया है कि विटामिन डी की खुराक, इसकी कमी वाले बच्चों में हड्डियों की ताकत को नहीं बढ़ाती है या हड्डी को टूटने से नहीं रोकती है। इस बात को सिद्ध करने के लिए, लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड टी.एच. के नेतृत्व में एक क्लिनिकल ट्रायल या नैदानिक परीक्षण किया गया। शोध के निष्कर्ष हड्डियों के स्वास्थ्य पर विटामिन डी के प्रभाव से संबंधित धारणाओं को चुनौती देते हैं।

शोध में कहा गया है कि लगभग एक तिहाई बच्चों की 18 वर्ष की आयु से पहले कम से कम एक बार हड्डी टूटने की घटना होती है। यह दुनिया भर में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, क्योंकि बचपन में हड्डी टूटने के कारण जीवन भर विकलांगता या जीवन की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ सकता है।

हड्डियों की मजबूती में सुधार करने के लिए विटामिन डी की खुराक की क्षमता को लेकर हाल के वर्षों में रुचि बढ़ी है, जो हड्डियों के खनिजकरण को बढ़ावा देने में विटामिन डी की भूमिका पर आधारित है। हालांकि, विटामिन डी की खुराक बच्चों में हड्डियों के टूटने को रोक सकती है या नहीं, इसका परीक्षण करने के लिए डिजाइन किए गए नैदानिक परीक्षण पहले आयोजित नहीं किए गए हैं।

शोधकर्ता ने बताया कि मंगोलिया में सहयोगियों के साथ काम करते हुए, जहां हड्डी के टूटने की घटनाएं अधिक होती है और जहां विटामिन डी की अत्यधिक कमी भी है। क्वीन मैरी और हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने यह सिद्ध करने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण किया कि क्या विटामिन डी सप्लीमेंट से हड्डियों के टूटने का खतरा कम होगा या हड्डियों की ताकत बढ़ेगी। द लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन, बच्चों में विटामिन डी सप्लीमेंट का अब तक का सबसे बड़ा नियंत्रित परीक्षण है।

तीन वर्षों के दौरान, मंगोलिया में रहने वाले छह से 13 आयु वर्ग के 8,851 स्कूली बच्चों को विटामिन डी सप्लीमेंट की साप्ताहिक खुराक दी गई। 95.5 फीसदी प्रतिभागियों में शुरुआत में विटामिन डी की कमी थी और अध्ययन में खुराक विटामिन डी के स्तर को सामान्य सीमा तक बढ़ाने में अत्यधिक प्रभावी रही। हालांकि, अल्ट्रासाउंड की मदद से 1,438 प्रतिभागियों के एक छोटे समूह को मापा गया, जहां हड्डी टूटने के खतरे या इसकी ताकत पर उनका कोई प्रभाव नहीं दिखा। 

परीक्षण के निष्कर्षों से वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को हड्डियों के स्वास्थ्य पर विटामिन डी की खुराक के प्रभावों पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

शोध के हवाले से हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉ. गणमा दवासाम्बु ने कहा, विटामिन डी की कमी वाले बच्चों में हड्डियों के टूटने का खतरा या हड्डियों की मजबूती पर निरंतर, विटामिन डी के किसी भी प्रभाव की अनुपस्थिति अनोखी है।

वयस्कों में, जब कैल्शियम दिया जाता है तो विटामिन डी सप्लीमेंट हड्डियों के टूटने की रोकथाम के लिए सबसे अच्छी तरह काम करता है। वहीं दूसरी ओर शोधकर्ताओं के परीक्षण में प्रतिभागियों को विटामिन डी के साथ कैल्शियम का सुझाव नहीं दिया गया, इस अध्ययन से निकले निष्कर्षों से व्याख्या हो सकती है।

लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर इम्यूनोबायोलॉजी के प्रोफेसर एड्रियन मार्टिनो ने कहा, यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि परीक्षण के दौरान जिन बच्चों में रिकेट्स पाया गया, उन्हें भागीदारी से बाहर रखा गया, क्योंकि उन्हें प्लेसीबो एक तरह से बनावटी दवा देना सही नहीं है।

शोधकर्ता ने बताया कि इस प्रकार, हमारे निष्कर्ष केवल विटामिन डी की कमी वाले बच्चों के लिए जरूरी है, जिनमें हड्डियों की जटिलताएं विकसित नहीं हुई हैं। रिकेट्स की रोकथाम के लिए पर्याप्त विटामिन डी के सेवन के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और यूके सरकार के मार्गदर्शन में 400 आईयू विटामिन के दैनिक सेवन की सिफारिश की गई है। उन्होंने कहा, विटामिन डी महत्वपूर्ण बना हुआ है और इसका अभी भी पालन किया जाना चाहिए।

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