हाथों के गठिया रोग के इलाज में असरदार नहीं हैं टीके या क्रीम: शोध

हाथों का गठिया रोग या ऑस्टियोआर्थराइटिस एक आम बीमारी है जो 40 से 84 वर्ष की आयु की 15.9 प्रतिशत महिलाओं और 8.2 प्रतिशत पुरुषों को प्रभावित करती है
वयोवृद्ध महिला जो हाथ के गठिया रोग से पीड़ित है, फोटो साभार: आईस्टॉक
वयोवृद्ध महिला जो हाथ के गठिया रोग से पीड़ित है, फोटो साभार: आईस्टॉक
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एक शोध के अनुसार, हाथों के गठिया रोग से पीड़ित लोगों में इंजेक्शन असर कारक नहीं होती है और यह इसके लक्षणों में सुधार करने में नाकाम हो सकती हैं। आरएमडी ओपन नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह भी पाया गया कि कुछ सामयिक क्रीमों का असर भी नहीं पाया गया है।

शोध में कहा गया कि, हालांकि, दर्द निवारक और स्टेरॉयड गोलियां असर कारक पाई गई हैं।

दुनिया भर में हाथों का गठिया रोग सबसे आम है। लक्षणों को कम करने के उपचार में सूजन-निवारक दवाएं, स्टेरॉयड, मलहम या सीधे जोड़ों के इंजेक्शन शामिल हैं।

शोध के हवाले से, डेनमार्क में कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के अन्ना डोसिंग ने कहा कि, हाथ के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस दर्द के लिए कई औषधीय उपचार उपलब्ध हैं, जिनमें से अधिकतर की कोई प्रभावकारिता साबित नहीं है।

हाथों का गठिया रोग या ऑस्टियोआर्थराइटिस एक आम बीमारी है जो 40 से 84 वर्ष की आयु की 15.9 प्रतिशत महिलाओं और 8.2 प्रतिशत पुरुषों को प्रभावित करती है।

उम्र बढ़ने के साथ यह बढ़ता है और इस प्रकार उम्र बढ़ने वाली आबादी पर इसका बोझ भी बढ़ेगा। इसके कारण दर्द होता है और पकड़ और मोटर फ़ंक्शन को खराब करती है, जिससे लोगों की रोजमर्रा के जीवन और काम की गतिविधियों पर असर पड़ता है।

इसके कारण लोगों को जोड़ों में सुस्त या जलन वाला दर्द, सुबह के समय जकड़न और जोड़ों में सूजन का भी अनुभव होता है।

शोध में पता लगाया, जिसमें तीन महीनों की औसत अवधि में प्रदान किए गए 29 उपचारों के साथ कुल 7,609 रोगियों को शामिल करते हुए 72 परीक्षण किए  गए।

पुरे में से, 60 परीक्षणों में, जिनमें 5,246 मरीज़ शामिल थे, विशेष रूप से दर्द पर गौर दिया गया और शोधकर्ताओं द्वारा एकत्रित आंकड़ों के विश्लेषण में शामिल किया गया। परिणामों से पता चला कि बिना-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी (एनएसएआईडी) और स्टेरॉयड टैबलेट ने प्लेसबो की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।

शोध में पाया गया कि, सामयिक क्रीम और जैल की प्रभावशीलता स्पष्ट नहीं थी। शोधकर्ताओं ने कहा कि हाइलूरोनेट या स्टेरॉयड जैसे इंजेक्शन, साथ ही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट, प्लेसीबो से बेहतर नहीं थे।

डॉसिंग ने कहा, हाथ के ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए, एनएसएआईडी और मुंह से ली जाने वाली ग्लुकोकौरटिकौडस प्रभावी प्रतीत होते हैं, जबकि सामयिक एनएसएआईडी की प्रभावकारिता संदिग्ध बनी हुई है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि उनके निष्कर्ष पिछले एकत्रित आंकड़ों के विश्लेषणों के समान हैं लेकिन मौजूदा जांच के ​​दिशानिर्देशों की सिफारिशों के विपरीत हैं।

शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि, ये निष्कर्ष इंट्रा-आर्टिकुलर थेरेपी के लिए मौजूदा उपचार की सिफारिश का समर्थन करने वाले सबूतों के बारे में सवाल उठाते हैं, सामयिक एनएसएआईडी जैसे आशाजनक प्रभावकारिता स्थापित करने के लिए कठोर पद्धति के साथ भविष्य में बड़े पैमाने पर परीक्षणों की आवश्यकता पर जोर देते हैं।

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