कोरोनासंकट के बीच उत्तर प्रदेश में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं और व्यवस्था की कमियां उजागर हो रही हैं। इस बीच कोरोना महामारी से लड़ाई के लिए संसाधनों का संकट बना हुआ है। टीके की कमी और क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंकरों की कमी से जूझते उत्तर प्रदेश ने ग्लोबल टेंडर जारी कर दिया है लेकिन इससे महामारी में जल्द ही कोई राहत नहीं मिलने वाली है।
कुल 20.12 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में करीब 10 करोड़ ऐसी आबादी है जो कि 18-44 आयु वर्ग की है। इनमें से महज 65 हजार युवाओं को टीके की पहली डोज दी गई है। इसके अलावा 45 से अधिक आयु वालों में सिर्फ एक करोड़ आबादी को टीके की पहली डोज लगाई है। इनमें से 17 फीसदी आाबादी ही ऐसी है जिसे दूसरी डोज मिली है। ऐसे में 98 फीसदी आबादी को अभी वैक्सीन दिया जाना है। जानकारों का मानना है कि यह लक्ष्य इतनी आसानी से पूरा नहीं होने वाला है।
ग्लोबल टेंडर भले ही जारी किया गया हो लेकिन यह एक लंबी प्रक्रिया है। उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन (एमएससीएल) की ओर से 5 मई को 4 करोड़ शॉर्ट टर्म ग्लोबल ई-टेंडर नोटिस जारी किया गया। टेंडर भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप है। 7 मई, दोपहर 3 बजे से लेकर 21 मई के 3 बजे तक इस टेंडर में कंपनी भागीदारी कर पाएंगी।
स्पष्ट है कि 21 मई तक 4 करोड़ टीकाककरण के लिए कोई कंपनी यदि आती है तो प्रक्रिया पूरा करते हुए मई का महीना समाप्त हो जाएगा। इसमें और भी देरी लग सकती है। हालांकि शासन के अधिकारी ऐसा नहीं मानते हैं।
उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक शिशिर डाउन टू अर्थ से बताते हैं कि सरकार का मकसद वैक्सीनेसन को जल्द से जल्द लोगों तक पहुंचाना है। इसलिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। हमें 3 लाख टीके और 07 मई को कोविशील्ड से मिल जाएंगे। इसका इस्तेमाल 18-44 आयु वर्ग में ज्यादा से ज्यादा टीका लगाने के लिए किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक मई, 2021 से ही 18-44 आयु वर्ग का टीकाकरण शुरु किया लेकिन यह बेहद सीमित जिलों में और सीमित बूथ पर ही उपलब्ध है। अगले सप्ताह से ज्यादा क्षेत्र कवर करने की कोशिश की जाएगी।
अभी तक 18-44 आयु वर्ग का टीकाकरण लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, बरेली, मेरठ, कानपुर नगर, प्रयागराज में ही सीमित नगरीय बूथ पर हो रहा था। अब अगले स्पताह से प्रदेश के 17 नगर निगमों और 8वां जिला गौतमबुद्ध नगर होगा जहां 18-44 आयु वर्ग का टीकाकरण शुरु किया जाएगा।
इसका यह भी मतलब है कि दूसरी डोज में भी काफी देरी होने वाली है। केंद्र से हासिल होने वाले टीके का स्टॉक भी अभी 45 से अधिक आयु वालों की विशाल आबादी में पहली डोज के लिए किया जाना बाकी है। संकट गांवों का है, जिससे टीकाकरण काफी दूर दिखाई दे रहा।
डाउन टू अर्थ की हालिया एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में सर्वाधिक मृत्यु गांवों में ही हो रही है। ऐसे राज्यों में उत्तर प्रदेश भी शामिल है।
वैक्सीन भले ही महामारी से लड़ने की अचूक दवा मानी जा रही हो लेकिन टेंडर इतनी जल्दी मरहम नहीं लगाएगा।
इसके इतर ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए लॉजिस्टिक की कमजोरी भी खूब उभर कर सामने आई है। प्रदेश के पास इस वक्त 89 टैंकर ऑक्सीजन क्रियाशील हैं। भारत सरकार ने प्रदेश को 400 मीट्रिक टन के टैंकर दिए हैं। इसके अलावा निजी कंपनियों से भी ऑक्सीजन टैंकर दिए गए हैं।
हालांकि अभी टैंकर की कमी बनी हुई है। इसी वजह से बाहरी क्षेत्रों से प्रदेश में आपूर्ति नहीं हो पाई है। इसलिए अब क्रायोजेनिक टैंकर का भी टेंडर निकाला जा रहा है।
शिशिर डाउन टू अर्थ से बताते हैं कि नोएडा प्राधिकरण की ओर से यह ग्लोबल टेंडर निकाला जाएगा। इसकी बातचीत पूरी की जा चुकी है।