उत्तराखंड: अल्मोड़ा के गांवों में 9 की मौत के बाद सचेत हुआ स्वास्थ्य विभाग

अब तक अस्पताल में भर्ती 11 लोगों के खून के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं, जिनमें चार में टाइफाइड की पुष्टि हुई है। बाकी रिपोर्टों का इंतजार है
एक साथ 9 लोगों की मौत के बाद अल्मोड़ा जिला प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य कर्मियों को गांव-गांव भेजा रहा है। फोटो: दीपक पुरोहित
एक साथ 9 लोगों की मौत के बाद अल्मोड़ा जिला प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य कर्मियों को गांव-गांव भेजा रहा है। फोटो: दीपक पुरोहित
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सारांश
  • उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी ब्लॉक में गंदे पानी से फैले बैक्टीरियल संक्रमण के कारण 9 लोगों की मौत हो गई है।

  • स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए डॉक्टरों की टीमों को गांवों में भेजा है।

  • जांच में पाया गया कि पानी के टैंक में कोलीफार्म बैक्टीरिया है, जिससे टाइफाइड और डायरिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं।

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले का धौलादेवी ब्लॉक पिछले दो हफ्तों से बेचैनी में है। देवलीबगड़, विवड़ी, धुराटाक, मला, खेती आदि गांवों में बुखार ने ऐसा कहर बरपाया कि अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है और 50 से ज्यादा लोग बीमार हैं।

बीमारी की शुरुआत अचानक हुई। लोगों को तेज बुखार आया, शरीर टूटने लगा, और दो दिन के भीतर हालत बिगड़ गई। गांवों में डर फैला है, लोग पानी भी घबराकर पी रहे हैं। ग्रामीण गणेश पांडे बताते हैं कि ज्यादातर मृतक 50 से 70 साल की उम्र के थे।

शुरू में सबने सोचा कि यह मौसम बदलने का असर है, लेकिन जब एक के बाद एक मौतें हुईं तो मामला गंभीर लगने लगा। कई घरों में एक साथ पूरा परिवार ही बीमार पड़ गए। अस्पताल दूर हैं और स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित, इसलिए इलाज में भी देर हुई।

स्वास्थ्य विभाग ने जब स्थिति पर ध्यान दिया तो तुरंत डॉक्टरों की टीमों को गांवों में भेजा गया। जांच में सामने आया कि यह कोई रहस्यमयी बीमारी नहीं, बल्कि गंदे पानी से फैला बैक्टीरियल संक्रमण है। जो लोगों बुजुर्गों की जान लेरहा है।

ब्लॉक के जिन गांवों में लोग बीमार पड़े हैं, वहां की पानी सप्लाई व्यवस्था खराब मिली। जिस टैंक से गांवों में पानी भेजा जाता है, उसमें कोलीफार्म बैक्टीरिया पाया गया है। यह वही बैक्टीरिया है जो मलजन्य संक्रमण का संकेत देता है और टाइफाइड, डायरिया, हैजा जैसी बीमारियां फैला सकता है।

जिला सर्वेलांस अधिकारी डॉ. कमलेश जोशी ने बताया कि जांच में टैंक के पानी में कोलीफार्म बैक्टीरिया पाया गया है। इसकी रिपोर्ट जल संस्थान को भेज दी गई है। पानी का क्लोरीनेशन कर इसे साफ कर दिया गया है। इसी बैक्टीरिया के कारण टाइफाइड, डायरिया, उल्टी, पेट दर्द, हैजा जैसी बीमारियां होती हैं। लोगों को पानी उबालकर पीने को कहा गया है।

धार के ग्रामीण सुरेश पांडे ने बताया कि पानी के टैंक की सफाई भी समय से नहीं हो पाती। धौलादेवी ब्लॉक की करीब सात हजार आबादी सरयू–दन्या पेयजल योजना पर निर्भर है। यह पानी ऊर्धेश्वर में बने टैंक से गांवों तक पहुंचता है। कई महीनों से शिकायतें की जा रही थीं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

अल्मोड़ा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एन.सी. तिवारी का कहना है कि अब तक अस्पताल में भर्ती 11 लोगों के खून के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं, जिनमें चार में टाइफाइड की पुष्टि हुई है। बाकी रिपोर्टों का इंतजार है। यह कोई रहस्यमय बीमारी नहीं बल्कि गंदे पानी के कारण फैला इंफेक्शन है। जांच में पता चला है कि जिस टैंक से गांवों में पानी सप्लाई होता है उसमें कोलीफार्म बैक्टीरिया पाया गया है। पानी की सफाई व क्लोरीनेशन किया गया है। 16 टीमों को अलग-अलग गांवों में लोगों की स्वास्य जांच के लिए भेजा गया है। बताया कि 9 लोगों की मौत अलग अलग जगह हुई है। पर उनकी खून की जांच नहीं हो पाई है। जानकारी सामने आने के बाद बीमार लोगों की जांच की जा रही है और जरूरतमंदों को अस्पताल में भर्ती करवाया जा रहा है।

धौलादेवी ब्लॉक के अपर मुख्य चिकितसाधिकारी डॉ. योगेश पुरोहित ने बताया कि पूरे ब्लॉक में टीमें भेजकर लोगों की जांच की जा रही है। जिन गांवों में लोग बीमार हैं, वहां चिकित्सा टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं। उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है, जो ज्यादा बीमार हैं उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया जा रहा है। लोगों को सावधानी बरतने के लिए जागरूक किया जा रहा है। शुरुआती जांच से पता चला है कि पाइपलाइन टूटने से गंदा पानी पीने के पानी में मिल गया, और वहीं से संक्रमण फैला। इसलिए लोगों को पानी उबालकर पीने की सलाह दी गई है।

इन लोगों की मौत हुई

मृतकों में बिबड़ी गांव के 75 वर्षीय गंगा दत्त जोशी और 60 वर्षीय हरीश चंद्र जोशी शामिल हैं। दोनों की मौत एक ही दिन हुई। उनके परिजन भी बीमार बताए जा रहे हैं। काभड़ी गांव के 68 वर्षीय मदन राम, जागेश्वर की आशा कार्यकर्ता 50 वर्षीय हंसी भट्ट, खेती गांव के पंडित शैलेंद्र पांडे और नैनी बजेला निवासी गोविंद सिंह खनी का भी यही अंजाम हुआ। अब गांवों में हर घर में यह चर्चा है कि अगर समय पर जांच होती, तो शायद कुछ जानें बचाई जा सकती थीं। दावा है कि अब हालात काबू में हैं।

बुनियादी ढांचे की कमी

यह घटना बताती है कि पहाड़ के गांवों में बुनियादी ढांचे की हालत कितनी कमजोर है। जब तक कोई हादसा न हो, तब तक पानी के टैंक की सफाई, पाइपलाइन की मरम्मत या नियमित जांच किसी की प्राथमिकता नहीं होती। स्वास्थ्य सेवाएं भी इतनी सीमित हैं कि बीमारी फैलने के बाद ही सरकारी अमला हरकत में आता है।

धौलादेवी की यह कहानी सिर्फ एक ब्लॉक की नहीं, बल्कि पहाड़ों के उन सैकड़ों गांवों की है जो दूषित पानी और कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच हर दिन किसी अदृश्य खतरे से जूझ रहे हैं। गांवों में अब भी लोग अपने कुओं और टैंकों की सफाई खुद करने की कोशिश कर रहे हैं। यह अच्छा संकेत है, लेकिन सरकार को चाहिए कि वह इसे एक चेतावनी की तरह ले। जल संस्थान और स्वास्थ्य विभाग दोनों को मिलकर स्थायी समाधान खोजने की जरूरत है, ताकि अगली बार कोई गांव ऐसे संक्रमण की मार न झेले।

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