वैक्सीन न लेने वालों की वजह से उन लोगों में भी बढ़ सकता है संक्रमण का खतरा जो लगवा चुके हैं टीके

शोध के मुताबिक वैक्सीन न लेने वाले लोग, उनके लिए भी संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकते हैं जो पहले ही वैक्सीन ले चुके हैं
वैक्सीन न लेने वालों की वजह से उन लोगों में भी बढ़ सकता है संक्रमण का खतरा जो लगवा चुके हैं टीके
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कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल (सीएमएजे) में प्रकाशित एक नए अध्ययन में कहा गया है कि जिन लोगों ने कोविड-19 वैक्सीन नहीं लगाई है और वे कोरोनावायरस से संक्रमित हो जाते हैं तो वे उन लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं, जिन्होंने वैक्सीन लगा ली है।  

इस शोध से जुड़े शोधकर्ता डॉक्टर डेविड फिसमैन के अनुसार वैक्सीन को अनिवार्य करने का विरोध कर रहे बहुत से लोग, टीके को व्यक्तिगत पसंद मानते हैं। ऐसे में डॉक्टर फिसमैन के मुताबिक वैक्सीन न लेने वाले लोग उन लोगों के लिए भी संक्रमण का खतरा पैदा कर सकते हैं जो वैक्सीन ले चुके हैं।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सार्स-कॉव-2 जैसी संक्रामक बीमारी की गतिशीलता को समझने के लिए एक सरल मॉडल का उपयोग किया है जिसमें उन्होंने वैक्सीन ले चुके और उसे न लेने वाले लोगों के बीच महामारी के प्रसार का अध्ययन किया है। 

इसमें उन्होंने अलग-अलग परिदृश्यों का अध्ययन किया है जिसमें वैक्सीन ले चुके लोगों के बीच और वैक्सीन ले चुके और उससे वंचित लोगों के बीच संक्रमण को समझने की कोशिश की है। पता चला है कि जब वैक्सीन नहीं लेने वाले लोगों को साथ-साथ रखा जाता है तब वैक्सीन ले चुके लोगों में संक्रमण का खतरा कम रहता है।

क्या कुछ निकलकर आया अध्ययन में सामने

वहीं इसके विपरीत जब टीकाकरण करवा चुके लोगों को वैक्सीन न लेने वाले लोगों के समूह के साथ रखा जाता है तो टीकाकरण करवा चुके लोगों के समूह में भी नए संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यहां तक की यह स्थिति तब भी देखी गई थी जब टीकाकरण की दर अधिक थी। 

अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं वो तब भी स्थिर थे जब संक्रमण की रोकथाम में वैक्सीन की प्रभावकारिता कम थी। जैसा की उन लोगों के मामले में है जिन्हें बूस्टर खुराक नहीं मिली है या फिर जहां सार्स-कॉव-2 के नए वेरिएंट का खतरा मौजूद है। ऐसे में यह निष्कर्ष भविष्य में कोविड-19 के प्रसार और नए रूपों के व्यवहार के लिए भी प्रासंगिक हो सकते हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक खतरा केवल वैक्सीन न लेने वालों के लिए ही नहीं है। दूसरे शब्दों जो लोग वैक्सीन नहीं लगवाते, यह सिर्फ न केवल उनको बल्कि उनके आसपास रहने वाले लोगों को भी प्रभावित कर सकता है। 

ऐसे में यह जरुरी है कि जिन लोगों ने वैक्सीन को चुना है उनके साथ पूरी तरह न्याय हो सके। साथ ही जिन लोगों को वैक्सीन नहीं मिल पाई है, टीकाकरण सम्बन्धी नीतियों पर उनपर विचार करने की जरुरत है। दुनिया में अभी भी बहुत बड़ी आबादी ऐसी है जिसे वैक्सीन नहीं मिल पाई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैश्विक स्तर पर जहां करीब 58.8 फीसदी आबादी का टीकाकरण पूरा हो चुका है। वहीं पिछड़े देशों में केवल 15.2 फीसदी आबादी को वैक्सीन की पहली खुराक ही मिल पाई है।

वैक्सीन से वंचित है बुरुंडी और कांगो की 99 फीसदी आबादी

ऐसे में जहां एक तरफ यूएई, ब्रूनई, सिंगापुर, चिली, माल्टा, कतर जैसे देश हैं जहां की 90 फीसदी आबादी का पूरी तरह टीकाकरण हो चुका है। वहीं दूसरी तरफ बुरुंडी और कांगो जैसे देश भी हैं जहां एक फीसदी आबादी का भी अभी पूर्णतः टीकाकरण नहीं हुआ है, मतलब की 99 फीसदी आबादी अभी भी इससे वंचित है।

वहीं हैती, यमन, पापुआ न्यू गिनी, मेडागास्कर, कैमरून, दक्षिण सूडान, माली और बुर्किना फासो की 5 फीसदी से भी कम आबादी का टीकाकरण अब तक पूरा हो पाया है।  ऐसे में इन लोगों का जल्द से जल्द टीकाकरण कैसी हो पाएगा, इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरुरत है।   

गौरतलब है कि दुनिया भर में अब तक 51 करोड़ से ज्यादा लोग इस महामारी से संक्रमित हो चुके हैं जिनमें से 62.5 लाख लोगों की जान जा चुकी है। वहीं 46.3 करोड़ इस बीमारी से उबर चुके हैं। भारत में भी 4.3 करोड़ से ज्यादा लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से 5.2 लाख लोगों की जान जा चुकी हैं वहीं 4.2 करोड़ इस महामारी से ठीक हो चुके हैं।

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