केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने 12 सितंबर, 2023 को पुष्टि की है कि केरल के कोझिकोड में दर्ज दो "अप्राकृतिक मौतें" निपाह वायरस संक्रमण के कारण हुईं हैं। जानकारी दी गई है कि वायरस को आगे फैलने से रोकने के लिए उन लोगों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं, जो मृतकों के निकट संपर्क में आए थे।
वायरस की मौजूदगी की पुष्टि के लिए अब तक पांच संदिग्ध नमूने जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को भेजे गए हैं। ये नमूने 49 वर्षीय मृतक के चार रिश्तेदारों के हैं, जिनकी हाल ही में इस वायरस के कारण मृत्यु हो गई थी। इन सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने मीडिया को बताया कि उनमें से एक 10 महीने का बच्चा भी है, जबकि एक बुजुर्ग रिश्तेदार और मृतक का नौ साल का बच्चा भी शामिल है। फिलहाल यह बच्चा वेंटिलेटर पर है, लेकिन उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। 12 सितंबर 2023 को राज्य सरकार ने आपात स्थिति से निपटने के लिए कोझिकोड में एक नियंत्रण केंद्र भी बनाया है।
गौरतलब है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए 11 सितंबर को पूरे जिले में स्वास्थ्य अलर्ट जारी कर दिया गया था। वहीं जिले में स्थिति का जायजा लेने और राज्य सरकार को सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र से एक टीम भी केरल भेजी गई है।
इससे पहले केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने 12 सितंबर को स्थिति का आकलन करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक भी की थी। उन्होंने बताया कि 16 समितियां बनाई गई हैं। साथ ही संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सुरक्षात्मक गियर (पीपीई किट) पहनने जैसे स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा गया है।
समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने जानकारी दी है कि यह समितियां "निगरानी, नमूनों की जांच, अनुसंधान प्रबंधन, संपर्क में आए लोगों का पता लगाने, सहित रोगी के लिए परिवहन की व्यवस्था करने जैसे मामलों में सहायता करेंगी।"
जॉर्ज ने कहा है कि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है, उपरोक्त उपाय केवल एहतियाती हैं। हालांकि उन्होंने जनता को मास्क पहनने की सलाह दी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस (एनआईवी) एक जूनोटिक वायरस है, जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। बता दें कि यह वायरस दूषित भोजन के माध्यम से या सीधे एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। फिलहाल इस बीमारी के इलाज के लिए कोई दवा या टीका उपलब्ध नहीं है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस वायरस से कुछ लोगों में संक्रमण के कोई लक्षण सामने नहीं आते, जबकि कुछ में हल्के या गंभीर सांस संबंधी समस्याएं सामने आ सकती हैं। वहीं कुछ मामलों में घातक एन्सेफलाइटिस भी हो सकता है, जो मस्तिष्क में सूजन से जुड़ा है।
आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से मरने वाले लोगों का प्रतिशत, 40 से 75 फीसदी के बीच है। हालांकि यह दर स्थान और प्रकोप के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। यह इस पर निर्भर करता है कि स्थानीय अधिकारी बीमारी के प्रसार की कितनी अच्छी तरह निगरानी और चिकित्सा देखभाल प्रदान कर सकते हैं।
यह वायरस पहली बार 1999 में सामने आया था, जब मलेशिया में सुअर पालकों के बीच इसका प्रकोप फैल गया था। बाद में इससे जुड़े संक्रमण के मामले 2001 में बांग्लादेश में सामने आए था। जहां हर साल इसके प्रकोप की सूचना सामने आती है।
भारत में अब तक इससे पहले चार बार इस वायरस का प्रकोप फैल चुका है। पहली बार यह पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में रिपोर्ट किया गया था। जहां 75 फीसदी मामले अस्पताल के कर्मचारियों में या वहां आने वाले मरीजों में देखे गए थे।
संयोग से, कोझिकोड ही वो जगह है जहां दक्षिण भारत में पहली बार निपाह वायरस का प्रकोप दर्ज किया गया था। इससे पहले 2018 और फिर 2021 में कोझिकोड में निपाह वायरस का संक्रमण फैल चुका है, जब इससे मौतें भी हुई थी। हालांकि, 2019 में केरल में इसके प्रकोप के दौरान कोई मौत नहीं हुई थी।