मानसून सत्र के तीसरे दिन केंद्र सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले ने राज्यसभा में कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी खतरे वाले अस्पतालों और चिकित्सा अपशिष्टों के कारण मारे गए सफाई कर्मचारी के बारे में केंद्र सरकार द्वारा कोई आंकड़ा नहीं रखा गया है।
कोरोना संकट के दौरान पीएमयूवाई के तहत सिलेंडर वितरण
मार्च से अगस्त, 2020 तक कोरोना संकट के दौरान प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत नि: शुल्क रिफिल योजना पर उद्योग द्वारा 9,670.41 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसमें से उत्तर प्रदेश ने अधिकतम (1,817.28 करोड़ रुपये) प्राप्त किए, इसके बाद पश्चिम बंगाल (1,169.38 करोड़ रुपये) प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रहा।
उनके अनुसार, मार्च से अगस्त 2020 की अवधि में 1306 लाख (130.6 मिलियन) से अधिक रिफिल वितरित किए गए। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार के पास पीएमयूवाई का विस्तार करने और झारखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए, कोरोना संकट और प्रवासित मजदूरों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कोई विशेष प्रावधान करने, पात्रता शर्तों को सरल बनाने की कोई योजना नहीं है।
लॉकडाउन के दौरान राज्यों में श्रम कानूनों में बदलाव
राज्य सभा में एक प्रश्न पूछा गया कि क्या उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित कई राज्यों ने लॉकडाउन के दौरान अध्यादेशों या कार्यकारी आदेशों के माध्यम से श्रम कानूनों में बदलाव किया गया हैं? जवाब के उत्तर में राज्य मंत्री (आईसी) श्रम और रोजगार संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि कारखाना अधिनियम के तहत, राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के किसी भी संदर्भ के बिना काम के घंटे का विस्तार करने के लिए अधिसूचना जारी करने का अधिकार है। कुछ राज्य सरकारों ने कोविड -19, महामारी के दौरान श्रमिकों की सीमित उपलब्धता को हल करने के लिए काम के घंटों में वृद्धि को अधिसूचित किया है।
कोविड-19 महामारी के दौरान सुरक्षित शहरी आवासीय सुविधाएं
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी ने राज्य सभा में कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान किफायती किराए वाले आवास परिसरों (अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्स, एआरएचसीएस) की पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) के तहत एक उप-योजना 31 जुलाई 2020 को शहरी प्रवासियों को किफायती किराए पर आवास प्रदान करने के लिए शुरू की गई है। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और निम्न आय वर्ग (एलआईजी) श्रेणी के गरीब शामिल हैं।
यह योजना निम्नलिखित दो मॉडलों के माध्यम से कार्यान्वित की जाएगी:
मॉडल -1: शहरों में मौजूदा सरकारी वित्तपोषित खाली घरों को सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत या सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा एआरएचसी में परिवर्तित करके उपयोग करना।
मॉडल -2: खाली पड़ी जमीन पर एआरएचसीएस का निर्माण, संचालन और रखरखाव करने के लिए निजी / सार्वजनिक संस्थाओं को प्रोत्साहन देना।
इस्पात संयंत्रों में दुर्घटनाएं
पिछले दो वर्षों (2018-19 से 2019-20) के दौरान इस्पात निर्माण कारखानों में 61 खतरनाक घटनाएं हुई जिसमें 33 लोगों की मौतें हुई। इन दो इस्पात निर्माण सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (सीपीईएस) में भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरईएनएल) शामिल हैं। इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों में बताया गया है कि इन घटनाओं में से सेल में 44 खतरनाक घटनाएं और 29 मौतें हुईं। हांलाकि आंकड़ों पर करीब से नज़र रखने से पता चलता है कि ऐसी दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों की संख्या में गिरावट देखी गई है।
सभी महानगरों और शहरों में सीएनजी नेटवर्क
पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 9,228 एमएमएसीएम प्राकृतिक गैस का उत्पादन घरेलू तौर पर किया गया है। अप्रैल से जुलाई, 2020 की अवधि के दौरान देश में एलएनजी की 9,966 एमएमएसीएम आयात किया गया है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यसभा में कहा कि यह गैस पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) और कॉम्प्रेस्ड नैचुरल गैस (सीएनजी) की मांग को भी पूरा करती है। वर्तमान में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने देश भर में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) नेटवर्क के विकास के लिए 407 जिलों को कवर करते हुए 232 भौगोलिक क्षेत्रों को अधिकृत किया है।
देश में वेतनभोगी नौकरियों का नुकसान
सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से जुलाई 2020 के दौरान देश में 1.89 करोड़ (18.9 मिलियन) वेतनभोगी नौकरियों के नुकसान की सूचना दी गई है।
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री (आईसी) संतोष कुमार गंगवार ने राज्य सभा में कहा कि सरकारी नीतियों को तैयार करने के लिए केवल आधिकारिक आंकड़ों का उपयोग किया जाता है। गैर-सरकारी एजेंसियों द्वारा कैप्चर किए गए आंकड़ों का उपयोग नहीं किया जाता है।