टीबी के बैक्टीरिया को मार देता है यह विष

शोध टीम को जो नया विष मिला है, जिसे मेनटी (MenT) कहा जाता है। यह टीबी के जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस द्वारा बना होता है
Photo: Wikimedia commons
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इंडियन जर्नल ऑफ ट्यूबरक्लोसिस में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन से 2020 में भारत में दो लाख अतिरिक्त क्षय रोग (टीबी) के मामले सामने आएंगे। इसके साथ ही टीबी से लगभग 87,000 से अधिक मौतों की आशंका जताई गई है।

भारत ने 2025 तक टीबी के मामलों को 80 प्रतिशत और इससे होने वाली मौतों को 90 प्रतिशत तक कम करने का महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत को युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत होगी। एक शोध इसमें मददगार साबित हो सकता है।

दरअसल, वैज्ञानिकों ने एक ऐसा विषाणु खोजा है जो टीबी के जीवाणु (बैक्टीरिया) के जीवित रहने के लिए आवश्यक प्रोटीन का उत्पादन करने ओर बैक्टीरिया द्वारा अमीनो एसिड के उपयोग पर रोक लगा सकता है।

डरहम विश्वविद्यालय, यूके के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम, टूलूज, फ्रांस में मॉलिक्यूलर माइक्रोबायोलॉजी और जेनेटिक्स/ सेंटर इंटीग्रेटिव बायोलॉजी की प्रयोगशाला ने टीबी के लिए दवाओं को विकसित करने के लिए इस विष (विषाणु) का फायदा उठाने का लक्ष्य रखा है।

क्षयरोग दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारियों में से एक है। इससे हर साल लगभग 15 लाख मौतें होती हैं जबकि अधिकांश मामलों को उचित उपचार करके ठीक किया जा सकता है। अब एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी संक्रमणों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

यह संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकली छोटी बूंदों में सांस लेने से फैलता है और यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। हालांकि यह ग्रंथियों, हड्डियों और तंत्रिका तंत्र सहित शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। यह शोध साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

टीबी का कारण बनने वाले कीटाणु, वातावरण में तनाव के अनुकूल होने में मदद करने के लिए विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करते हैं। इन विषाक्त पदार्थों को आमतौर पर एक ऐन्टिडोट द्वारा ठीक किया जाता है, लेकिन जब वे सक्रिय होते हैं तो वे संभावित रूप से बैक्टीरिया के विकास को धीमा कर सकते हैं और यहां तक कि संक्रमित कोशिका भी नष्ट हो सकती है।

शोध टीम को जो नया विष मिला है, जिसे मेनटी (MenT) कहा जाता है। यह टीबी के जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस द्वारा बना होता है।

शोधकर्ताओं ने मेनटी की एक अत्यंत विस्तृत 3-डी तस्वीर बनाई, जो आनुवांशिक और जैव रासायनिक आंकड़ों के साथ संयुक्त रूप से दिखाती है कि विष प्रोटीन के उत्पादन के लिए बैक्टीरिया द्वारा आवश्यक अमीनो एसिड के उपयोग को रोकता है। यदि यह अपने मेन-ए (Men A), एंटी-टॉक्सिन से बेअसर नहीं होता है, तो मेनटी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के विकास को रोक देता है, जिससे बैक्टीरिया मर जाते हैं।

बायोसाइंसेज विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और डरहम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अध्ययनकर्ता टिम ब्लोवर ने कहा प्रभावी रूप से टीबी खुद को ही मेनटी नामक जहर देकर खुद के संक्रमण को समाप्त कर देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा मेनटी की जबरन सक्रियता के माध्यम से या टॉक्सिन और इसके एंटी-टॉक्सिन मेन-ए के बीच संबंध को अस्थिर करके, हम उन बैक्टीरिया को मार सकते हैं जो टीबी का कारण बनते हैं।

मॉलिक्यूलर माइक्रोबायोलॉजी एंड जेनेटिक्स के शोध निदेशक और वरिष्ठ शोधकर्ता पियरे जिनेवक्स ने कहा कि हमारा शोध एक तंत्र की पहचान करता है जो प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए (बैक्टीरिया) जीवाणु द्वारा आवश्यक अमीनो एसिड के उपयोग को रोककर टीबी या अन्य संक्रमण का इलाज कर सकता है। यह काम अगली पीढ़ी की दवाओं के लिए शोध और खोज के नए रास्ते भी खोलता है।

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