कोविड-19 महामारी के शुरू होने के कुछ समय बाद से ही यह कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस के फैलने में गर्म मौसम की भूमिका होती है।बल्कि कुछ विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के फैलने के लिए गर्म और नमी वाले मौसम को अनुकूल बताया था, लेकिन विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने 17 मई, 2023 को इसे खारिज करते हुए कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों से यह पता नहीं चलता हैं कि मौसम ने वायरस के फैलने में कोई भूमिका निभाई।
डब्ल्यूएमओ की कोविड-19 टास्क टीम की एक रिपोर्ट में कहा गया है, "इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कुछ मौसम संबंधी परिस्थितियां जैसे - कि गर्म और नमी वाली स्थिति, पूरी तरह से संक्रमण फैलने को रोकती है, जैसा कि महामारी के शुरुआती दिनों में कुछ समीक्षकों द्वारा सुझाया गया था।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम विज्ञान और वायु गुणवत्ता ने महामारी को फैलाने में एक माध्यमिक भूमिका निभाई है। महामारी के पहले ढाई सालों के विश्लेषणों से पता चलता है कि रोग के फैलने पर मौसम विज्ञान और वायु गुणवत्ता का प्रभाव बिना-दवा संबंधी हस्तक्षेपों, टीकाकरण अभियानों, प्रतिरक्षा प्रोफाइल में बदलाव, वेरिएंट और व्यवहार में परिवर्तन के प्रभाव की तुलना में कम रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, हालांकि, दूसरे कारण भी कोविड-19 महामारी के संक्रमण और मौतों की संख्या को भारी मात्रा में प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, शोधकर्ताओं को महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए वायरस में ऐसे तत्वों की भूमिका का अध्ययन करना जारी रखना चाहिए।
डब्ल्यूएमओ ने सितंबर 2020 में विशेषज्ञ टीम का गठन किया था। उस समय, इस बात पर जोर दिया गया था कि, यदि कोविड-19 कुछ वर्षों तक जारी रहता है, तो यह अन्य सांस संबंधी संक्रमण फैलाने वाली बीमारियों की तरह एक विशेष मौसम में अपने आपको विकसित करेगा, जो कि ठंडे और समशीतोष्ण स्थानों में ज्यादा असर दिखाएंगे।
कुछ प्रायोगिक आंकड़ों ने सुझाव दिया कि वायरस के ठंडे और शुष्क वातावरण में जीवित रहने की बेहतर संभावना होती है। इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों के पिछले अनुभव ने भी इसी बात की ओर इशारा किया था कि, यह बीमारी सर्दियों में और बढ़ सकती है, खासकर ऐसे देशों में जहां तापमान कम होता है।
इस धारणा को कम से कम संक्रमणों के मामले में अफ्रीका और अन्य उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रोग की तुलनात्मक रूप से कम आवृत्ति द्वारा सत्यापित किया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सांस संबंधी अन्य बीमारियों के समान अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण कोविड-19 के लक्षणों को बढ़ा सकता है, इसके कारण मृत्यु के खतरे भी बढ़ सकते हैं।
मार्च 2021 में जब महामारी दुनिया के अधिकांश हिस्सों में सक्रिय थी, तब विशेषज्ञ पैनल ने अपने शुरुआती निष्कर्ष प्रस्तुत किए। तब भी, यह कहा गया था कि जलवायु परिस्थितियां वायरस के फैलने में केवल एक छोटी सहायक भूमिका निभा सकती हैं।
डब्ल्यूएमओ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में अपने पहले के विचारों को दोहराया है। कुल मिलाकर, मौजूदा साहित्य ने तापमान, नमी और कोविड-19 की घटनाओं के बीच संभावित जुड़ाव के प्रमाण प्रदान किए, लेकिन ये जुड़ाव बड़े जटिल और अस्पष्ट हैं।
विशेषज्ञ पैनल के अध्यक्ष डॉ बेन ज़ैचिक ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "इन अध्ययनों के निष्कर्ष जटिल हैं और आने वाले वर्षों में इसकी जांच जारी रहेगी"।
ज़ैचिक ने कहा उन परिणामों की बारीकियों के बावजूद, यह स्पष्ट है कि शोधकर्ताओं और जनता ने इस बारे में बहुत कुछ सीखा है, सांस से संबंधित वायरस के फैलने का पूर्वानुमान लगाते समय पर्यावरणीय आंकड़ों का उपयोग कैसे किया जा सकता है? खासकर सांस संबंधी वायरस के फैलने के लिए तो इसका उपयोग बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता है।