स्टेट प्लेन से भोपाल पहुंचे रेमडिसिवर अस्पताल से चोरी

प्रदेश में पिछले एक पखवाड़े से रेमडिसिवर इंजेक्शन की भारी किल्लत है, यह इंजेक्शन दोगुने से अधिक दामों पर कालाबाजारी के रास्ते मिल रहा है
 शहर के भदभदा विश्राम घाट में लगातार शवदाह किया जा रहा है। फोटो गगन नायर
शहर के भदभदा विश्राम घाट में लगातार शवदाह किया जा रहा है। फोटो गगन नायर
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जिन इंजेक्शनों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारी पहल करके स्टेट प्लेन से मंगवाया, उन्हीं इंजेक्शनों का एक डिब्बा राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल से चोरी हो गया। इस डिब्बे में 850 इंजेक्शन थे। चोरी होने का खुलासा होते ही अस्पताल में हडकंप मच गया। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। मध्यप्रदेश में इंजेक्शन चोरी होने का यह पहला मामला है।  
प्रदेश में पिछले एक पखवाड़े से रेमडिसिवर इंजेक्शन की भारी किल्लत है। यह इंजेक्शन दोगुने से अधिक दामों पर कालाबाजारी के रास्ते मिल रहा है। इस संकट के बाद 15 अप्रैल को सरकार के प्लेन से तकरीबन 9 हजार वायल बुलाकर प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में भिजवाए गए थे। कल ही कोविड समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने बताया था कि अब तक प्रदेश में 42 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन प्राप्त हुए हैं। 50 हजार का और आर्डर दिया गया है। प्रदेश के कई और नेता भी अपने स्तर पर इंजेक्शन और आक्सीजन की आपूर्ति की कोशिश कर रहे हैं। 
शुक्रवार को गांधी मेडिकल कॉलेज में भी रेमेडिसिवर पहुंचाए गए थे, जिन्हें यहां स्टोर रूम में सुरक्षित रख दिया गया था। सुबह इनमें से एक डिब्बा गायब मिला। प्रबंधन ने चोरी की बात स्वीकार की है, लेकिन कहा है कि विस्तृत विवरण जांच के बाद ही बता पाएंगे। 
इतनी मात्रा में मिलने के बाद भी इंजेक्शन की मांग के अनुपात में आपूर्ति सामान्य नहीं हो पाई है। प्रदेश के जिलों में लोग इंजेक्शन के लिए भोपाल—इंदौर में परेशान हो रहे हैं, इसके बावजूद नहीं मिल पा रहा है। 
बिस्तरों की संख्या कम, डॉक्टरों की भर्ती  
हेल्थ बुलेटिन के अनुसार एमपी में 15 अप्रैल तक कुल 55694 एक्टिव मरीज हैं। इसके विरुदध कुल 37 हजार 719 बिस्तर उपलब्ध हैं। 21 हजार 516 सरकारी अस्पताल तथा 16 हजार 213 निजी अस्पतालों में हैं। सरकार ने अनुमान जताया है कि इस माह के अंत तक प्रदेश में तकरीबन एक लाख एक्टिव मरीजों तक संख्या पहुंच सकती है। ऐसे में सरकार ने इंतजाम तेज कर दिए हैं। एम्स भोपाल में 500 बिस्तर बढ़ाए जाएंगे। प्रदेश में इंदौर में सबसे ज्यादा मरीज आ रहे है। यहां पर 6,774 बिस्तर हैं जबकि भोपाल में अभी 6,361 बिस्तर हैं। इन्हें बढ़ाकर क्रमश: तेरह हजार और 9822 किया जाएगा। जबलपुर, ग्वालियर में भी बिस्तर बढ़ाए जा रहे हैं। 
एक साल पहले 20 अप्रैल 2020 को 565 कोविड अस्पतालों में 33514 आइसोलेशन बेड, 865 आईसीयू बेड और 592 वेंटीलेटर उपलब्ध थे। सरकार अब वेंटीलेटर और आईसीयू का आंकड़ा अलग से जारी नहीं कर रही है। उस वक्त प्रदेश में केवल 938 पाजीटिव मरीज थे।
आक्सीजन की आपूर्ति भी कम 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 295 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की उपलब्धता है, जिसे बढ़ाया जा रहा है। आईनोक्स गुजरात से 120 एम.टी. तथा भिलाई से 112 एम.टी. ऑक्सीजन मिलेगी। इसकी शुरुआत हो गई है। आक्सीजन लाने के लिए ग्रीन कॉरीडोर भी बनाया जा रहा है। शनिवार को एक टैंकर भिलाई से इंदौर पहुंचा। केन्द्र ने कुल 450 एम.टी. ऑक्सीजन देने की बात कही है। 
उल्लेखनीय है कि एमपी आक्सीजन की आपूर्ति के लिए अन्य राज्यों पर निर्भर है।  पहली लहर में आक्सीजन की जरूरत को देखते हुए सरकार मध्यप्रदेश के बाबई मुहासा में आक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणा पिछले साल अक्टूबर में की थी। 210 मीट्रिक टन प्रतिदिन  क्षमता वाले प्लांट को 125 करोड़ की लागत से बनाया जाना था, लेकिन बीते सात महीनों में इसकी केवल चारदीवारी ही खड़ी हो सकी। उधर मध्यप्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा नेता अजय विश्नोई ने टवीट करके सवाल किया है, जब महाराष्ट्र में 50 हजार मरीजों की संख्या पर 457 मीट्रिक टन आक्सीजन खर्च हुई तो मध्यप्रदेश में पांच हजार मरीजों पर 732 मीट्रिक टन आक्सीजन कैसे खर्च हो गई। 
कुंभ से लौटे महंत कोविड पॉजीटिव: कुंभ से शनिवार को भोपाल लौटे महंत चंद्रमादास त्यागी कोविड संक्रमित पाए गए हैं। उनका शहर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

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