लेकिन आज हम एक लोकतंत्र में रहते हैं, जहां का शासनाध्यक्ष एक चुना हुआ जन-प्रतिनिधि होता है, जो हमारे टैक्स के पैसों से सुविधाएं पाता है। अगर भारत सरकार लोगों की भलाई वाले किसी ऐसे काम के लिए अपने मुखिया को धन्यवाद दे रही है, जो लोगों का अधिकार है, तो इससे ऐसा लगता है कि सरकार और प्रधानमंत्री दो अलग-अलग सत्ताएं अथवा संस्थाएं हैं।