Photo: Wikimedia Commons
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एशियाई देशों में मानव अपशिष्ट शहरी जल को दूषित कर फैला रहा है सुपरबग

निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मानव अपशिष्ट द्वारा शहरी झीलों, नदियों और सतही जल के दूषित होने से 'सुपरबग' फैल रहा हैं।
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आज भी कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अपशिष्ट जल के पर्याप्त उपचार की सुविधा नहीं है। वहीं दूसरी ओर कृषि और मछली पालन में एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक उपयोग के कारण पर्यावरण में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया फैल गए हैं।  

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के फैलने का अध्ययन करने के लिए एक स्वास्थ्य (वन हेल्थ) अवधारणा निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। क्योंकि इनमें से कई देशों में अरबों लोगों की आजीविका कृषि और मछली पालन से जुड़ी हुई है, इनमें अधिकतर लोग सबसे गरीब हैं।  

वन हेल्थ के नजरिए से एशिया में एएमआर के फैलने पर आज भी जानकारी का बड़ा अभाव है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए नदियों और झीलों में अब एंटीबायोटिक फैलने के बारे में जांच पड़ताल की गई है।

एक नए अध्ययन से पता चला है कि मानव अपशिष्ट की वजह से शहरी झीलों, नदियों और सतही जल के दूषित होने से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 'सुपरबग' फैल रहा हैं। लेकिन साफ पानी, स्वच्छता और सीवरेज के बुनियादी ढांचे तक पहुंच में सुधार से लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने में मदद मिल सकती है। यहां यह बताते चले कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध विकसित करने वाले सूक्ष्मजीवों को 'सुपरबग' कहा जाता है।

शोधकर्ताओं ने बांग्लादेश के तीन क्षेत्रों - मयमनसिंह, शरीयतपुर और ढाका में शहरी और ग्रामीण जगहों में पानी के स्रोतों या निकायों का अध्ययन किया। उन्होंने ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी सतह के पानी में अधिक एंटीबायोटिक प्रतिरोधी मल कोलीफॉर्म पाया गया, जो पूरे एशिया की नदियों में ऐसे बैक्टीरिया पाए जाने की रिपोर्ट है।  

यह अध्ययन बर्मिंघम विश्वविद्यालय और बांग्लादेश के इंटरनेशनल सेंटर फॉर डायरियाल डिजीज रिसर्च, के शोधकर्ताओं ने बांग्लादेश में सतही जल में एंटीबायोटिक प्रतिरोध को मापने के लिए और अधिक शोध करने का आह्वान किया है।

बर्मिंघम विश्वविद्यालय में माइक्रोबायोलॉजी और संक्रमण के प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययनकर्ता विलेम वैन शैक ने कहा की ढाका की नदियां और झीलें अत्यधिक आबादी वाले मलिन बस्तियों से घिरे हुए हैं। इन इलाकों में मानव अपशिष्ट सीधे पानी में छोड़ा जाता है। मानव आंत के बैक्टीरिया की उपस्थिति एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन के उच्च स्तर से जुड़े हुए है। इस सब से स्पष्ट है कि इस तरह के पानी में 'सुपरबग' बढ़ रहे हैं।

स्वच्छ पानी, स्वच्छता और सीवरेज के बुनियादी ढांचे तक पहुंच में सुधार लाने के उद्देश्य से बांग्लादेश और अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में फैलने वाले रोगाणुरोधी प्रतिरोध के जोखिम को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। यह शोध एमसिस्टम्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

जबकि शहरी परिवेश की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन का स्तर काफी कम पाया गया है। हमने पाया कि मछली पालन में आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है और उनके उपयोग को कम करने के लिए आगे की नीतियों को विकसित करने की आवश्यकता है।

संक्रमण पैदा करने वाले एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया की व्यापकता विश्व स्तर पर बढ़ रही है, लेकिन नैदानिक ​​मुद्दे, जिनमें रोंग लगने और मृत्यु दर शामिल हैं। इन जीवाणुओं से निम्न और मध्यम आय वाले देश खतरनाक रूप से प्रभावित हैं। स्वस्थ मनुष्यों में बहुऔषध-प्रतिरोध ई. कोलाई की अधिकता बांग्लादेश में अपेक्षाकृत अन्य मध्यम आय वाले देशों से अधिक है।  

ढाका में लगभग 160 लाख लोगों की आबादी है, जिसका जनसंख्या घनत्व किसी भी महानगर में सबसे अधिक है, लेकिन सिर्फ 20 फीसदी से भी कम घर सीधे सीवरेज बुनियादी ढांचे से जुड़े हैं।

शोध दल ने पाया कि बांग्लादेश में शहरी सतह के पानी विशेष रूप से एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन में समृद्ध हैं, उनमें से अधिक संख्या में प्लाज्मिड से जुड़े हैं, यह दर्शाता है कि उनके आबादी के माध्यम से फैलने की सबसे अधिक आसार हैं।

मानव आंत में पाए जाने वाले एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया को नदियों, झीलों और तटीय क्षेत्रों में अनुपचारित अपशिष्ट जल, मानसून के मौसम के दौरान गड्ढे वाले शौचालयों के अतिप्रवाह या खुले में शौच जैसी प्रथाओं के माध्यम से फैल सकते हैं।

इन दूषित वातावरण के पानी का उपयोग अक्सर नहाने, कपड़े धोने और भोजन तैयार करने के उपकरणों के लिए किया जाता है, इस प्रकार एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया द्वारा मानव आंत में जाने का खतरा बढ़ जाता है।

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