यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा के अनुसार 'रेमेडिसविर' नामक दवा कोविड-19 की रोकथाम में कारगर हो सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार यह दवा कोरोनावायरस को अपनी नकल बनाने से रोक देती है जोकि आगे जाकर कोविड-19 का कारण बनती है। यह खोज उसी अध्ययन को आगे बढ़ता है जिसमें यह दिखाया गया था कि किस तरह यह दवा मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) के खिलाफ काम करती है। जोकि कोरोनावायरस का ही एक रूप है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है।
गौरतलब है कि ' रेमेडिसविर' उन कई दवाओं में से एक है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तेजी से परीक्षण करने के लिए चुना है। जबकि कनाडा सहित करीब एक दर्जन देश अपने अस्पतालों में कोविड-19 के संभावित उपचार के रूप में इस दवा को देख रहे हैं। इससे पहले 2014 में इबोला वायरस को खत्म करने के लिए इस दवा का निर्माण किया गया था|
यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा में मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलोजी के प्रमुख मथायस गोट ने बताया कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि यह दवा कोविड-19 को रोकने में भी कारगर सिद्ध होगी। उनके अनुसार यह दवा कोरोनवायरस पॉलीमरेस को रोक सकती है। जैसा की यह मर्स के खिलाफ काम करती थी| उन्होंने बताया कि पॉलीमरेस वायरस के इंजन की तरह होता है, जिसकी मदद से यह वायरस अपने जीनोम की नकल तैयार करता है। यदि आप पॉलीमरेस को लक्ष्य करते हैं और रोक देते हैं, तो इस वायरस का फैलना रुक जाता है। जोकि इस रोग का एक संभावित इलाज हो सकता है| शोध से पता चला है कि यह दवा वायरस के बिल्डिंग ब्लॉक्स की नकल कर लेती है जिससे यह वायरस के पॉलीमरेस को चकमा देने में सफल हो जाती है और उसमें शामिल हो जाती है। जिससे यह वायरस अपनी नकल तैयार करने में सफल नहीं होता है।
इससे पहले अमेरिका, कनाडा, यूरोप और जापान में कोविड-19 के रोगियों पर इस दवा का परिक्षण किया गया था। जिसमें से करीब 68 फीसदी मरीजों को इस दवा से लाभ हुआ था। गौरतलब है कि इससे संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन और वेंटीलेटर की जरुरत पड़ती है। ऐसे में अगर इस दवा का ट्रायल सफल रहता है तो यह दवा कोविड-19 के इलाज में काफी मददगार हो सकती है। इससे जुड़ा अध्ययन न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ था|
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी माना है कि ‘रेमेडिसविर’ कोविड-19 के इलाज में लाभदायक हो सकती है। दुनिया भर में कोरोना की दवा को लेकर शोध जारी हैं। शोधकर्ता इस वायरस से निपटने के रास्ते तलाश रहे हैं और कई दवाओं पर शोध चल रहा है। पर अब तक किसी के हाथ कोई ख़ास सफलता नहीं लगी है। डॉक्टर सिर्फ ‘रेमेडिसविर’, 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' और कुछ अन्य एंटी वायरल दवाओं और उपायों की मदद से संक्रमित लोगों का इलाज करने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐसे में यदि इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल सफल होते हैं तो इससे कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज में बहुत मदद मिलेगी। वैज्ञानिकों को पूरी उम्मीद है कि दुनिया भर में जिस तरह से इस बीमारी के इलाज को लेकर शोध हो रहे हैं और शोधकर्ता आपस में मिलकर इस वायरस से निपटने का प्रयास कर रहें हैं। उनके चलते जल्द ही इस वायरस के एक या एक से अधिक प्रभावी उपचारों की खोज हो जाएगी।