कुछ हटकर: आठ में से एक वयस्क व्यक्ति को अत्यधिक पसंद है खट्टा खाना

अभी तक किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि लगभग तीन में से एक बच्चा, तीव्र खट्टे स्वाद का आनंद लेता है, लेकिन वयस्कों में इसका सीधा परीक्षण नहीं किया गया है।
शोध ने पहली बार दिखाया कि काफी संख्या में लोगों के लिए, खट्टे स्वाद का आनंद वयस्क होने पर भी बना रहता है। फोटो साभार: आईस्टॉक
शोध ने पहली बार दिखाया कि काफी संख्या में लोगों के लिए, खट्टे स्वाद का आनंद वयस्क होने पर भी बना रहता है। फोटो साभार: आईस्टॉक
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दुनिया भर में ज्यादातर लोगों का नींबू चबाने से उनका मुंह सिकुड़ जाता है और वे खट्टे स्वाद से दूर भागते हैं। लेकिन अब पेन स्टेट के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि लगभग आठ में से एक वयस्क को बहुत ज्यादा खट्टा स्वाद पसंद है।  

हालांकि, मेडिकल न्यूज टुडे के मुताबिक, नींबू एक पौष्टिक फल है जिससे स्वास्थ्य को कई तरह के फायदे होते हैं। नींबू विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत हैं और इसका सेवन हृदय रोग और कैंसर के खतरे को कम कर सकता है

पिछले अध्ययनों से पता चला है कि लगभग तीन में से एक बच्चा, तीव्र खट्टे स्वाद का आनंद लेता है, लेकिन वयस्कों में इसका सीधा परीक्षण नहीं किया गया था। इटली में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन ने पहली बार देखा गया कि काफी संख्या में लोगों के लिए, खट्टे स्वाद का आनंद वयस्क होने पर भी बना रहता है।

अध्ययन में दो अलग देशों में अलग-अलग खाद्य संस्कृतियों से संबंधित लोगों के दो समूहों में खट्टेपन के पसंद के पैटर्न का परीक्षण किया गया। जिसमें पहला देश इटली और दूसरा अमेरिका था।

टीम ने पानी में साइट्रिक एसिड (खट्टापन) के विभिन्न स्तरों के प्रति 143 अमेरिकी वयस्कों की प्रतिक्रियाओं को मापा। उन्होंने विभिन्न मात्रा में साइट्रिक एसिड के साथ नाशपाती के रस के प्रति 350 इटली के वयस्कों की प्रतिक्रियाओं को भी मापा।  

फ़ूड क्वालिटी एंड प्रेफरेंस नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में प्रतिभागियों से अलग-अलग खट्टेपन के स्तर वाले नमूनों की तीव्रता और पसंद का मूल्यांकन करने के लिए कहा गया।

दोनों समूहों के लिए, शोधकर्ताओं को प्रतिक्रिया के तीन अलग-अलग पैटर्न के सबूत मिले, पहला ऐसा समूह था जिसमें खट्टेपन में वृद्धि होने से लोगों की पसंद में गिरावट आई, एक मध्यवर्ती समूह जिसमें अधिक खट्टेपन की वजह से पसंद में हल्की गिरावट देखी गई और तीसरा, एक ऐसा समूह जिसमें लोगों ने अधिक खट्टापन पसंद किया।

अध्ययनकर्ता ने बताया कि अधिकांश लोगों को खट्टापन पसंद नहीं था, इसलिए यदि पूरे समूह का औसत निकाले तो अधिक खट्टेपन को लेकर प्रतिक्रिया ठीक नहीं देखी गई। लेकिन यदि गहराई से खोजा जाए तो लोगों में  खट्टेपन को लेकर बहुत बड़ा अंतर मिलता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि इटली और अमेरिकी दोनों समूहों ने खट्टेपन के प्रति प्रतिक्रिया पैटर्न के समान अनुपात देखे गए, जिसमें लगभग 63 से 70 फीसदी खट्टा पसंद नहीं करने वाले लोग थे और लगभग 11 से 12 फीसदी खट्टा पसंद करते है, यह दर्शाता है कि ये अनुपात अलग-अलग संस्कृतियों में एक जैसे हैं।

शोधकर्ता ने अध्ययन में कहा, इटली की खाद्य संस्कृति और अमेरिकी खाद्य संस्कृति बहुत अलग हैं। खट्टे को लेकर फिर भी लगभग समान प्रतिशत देखा गया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि खट्टापन पारंपरिक रूप से एक नकारात्मक संवेदी विशेषता माना जाता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि दोनों देशों के लगभग आठ  प्रतिभागियों में से एक ने खट्टापन बढ़ने से पसंद में वृद्धि दिखाई।

अध्ययन के हवाले से शोधकर्ता ने कहा, यह अध्ययन व्यक्तिगत अंतर और संभावित उपभोक्ता समूहों को देखने के महत्व को उजागर करता है।

क्योंकि जब हम प्रतिक्रिया का औसत निकालते हैं, तो हम केवल खट्टापन के प्रति नापसंदगी देखते हैं, हम समूहों में उन लोगों को खो देते हैं जो वास्तव में इसे पसंद करते हैं।

शोधकर्ता ने आगे कहा, यह शोध स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों की खपत को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है जो मिठास में कम हों लेकिन फिर भी उपभोक्ताओं को स्वीकार्य हों।

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