वैज्ञानिकों ने बनाई ऐसी चिप, जिससे कोविड-19 दवा परीक्षण को मिल सकती है रफ्तार

अनुसंधान का उद्देश्य यह जानना है कि सार्स सीओवी-2 वायरस मानव कोशिका झिल्ली पर कैसे हमला करता है और इसे कैसे रोका किया जा सकता है
वैज्ञानिकों ने बनाई ऐसी चिप, जिससे कोविड-19 दवा परीक्षण को मिल सकती है रफ्तार
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कोरोनावायरस बीमारी (कोविड-19) की दवा परीक्षण में लगा वैज्ञानिक समुदाय दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहा है। हर दिन उपचार और परीक्षण में लगे  वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक मानव कोशिका "मैंबरेन ऑन अ चिप" विकसित की है, जो कि संक्रामक एजेंट और कोशिकाओं के संपर्क करने की प्रक्रिया और इसके परिणामों का रिकॉर्ड रख सकती है।

इस परीक्षण से जुड़े तीन विश्वविद्यालयों कैम्ब्रिज, कॉर्नेल और स्टैनफोर्ड के शोधकर्ताओं ने कहा– इस अनुसंधान से समझना था कि: 

- सार्स सीओवी-2  वायरस मानव कोशिका झिल्ली पर कैसे हमला करता है?

- इसे कैसे अवरुद्ध किया जा सकता है?

- कोशिका झिल्ली कोशिका के आंतरिक हिस्सों को बाहरी दुनिया के संपर्क में आने से रोकती है। वह जैविक संकेतन (बायोलॉजिकल सिग्नलिंग) में मदद करती है और कोशिका के घटकों से अवांछित पदार्थों को बाहर रखने में अवरोधक (बैरियर) के रूप में कार्य करती है।

इन परिणामों पर आधारित शोधपत्र लैंगमुइर और एसीएस नैनो में हाल ही में प्रकाशित किए गए थे।

यह चिप या डिवाइस) कैसे काम करता है?

इस डिवाइस की संरचना और कार्यप्रणाली किसी सामान्य कोशिका झिल्ली की तरह है, लेकिन इसे कोशिका की तरह जीवित रखने की आवश्यकता नहीं है।

कोशिका बाहरी दुनिया के साथ कैसे संपर्क करती है यह समझने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक चिप का उपयोग किया गया है – ऑप्टिकल और विद्युत रिकॉर्डिंग विधियों के माध्यम से चिप कोशिका झिल्ली की हर गतिविधि को रिकॉर्ड करती है। इस तरह, वैज्ञानिक समय के साथ बाहरी व औषधि उपचारों के परिणाम स्वरूप कोशिका झिल्ली के गुणों में हुए बदलाव को दर्ज कर सकते हैं।

इस तरह यह डिवाइस शोधकर्ताओं को सुरक्षित माहौल में सार्स सीओवी-2 वायरस का अध्ययन करने के लिए उपयोगी है।

इस महामारी ने मार्च महीने में एक खतरनाक चरण में प्रवेश किया, विश्व स्तर पर कई डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मी वायरस से संक्रमित थे। परिणामस्वरूप, संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी सबसे समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं की, स्वास्थ्य सुविधाएं बौनी साबित हुईं। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस के हालिया आंकड़ों के अनुसार मई 2020 तक दुनिया भर में कम से कम 90,000 स्वास्थ्यकर्मी इस वायरस से संक्रमित थे।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज ने कॉर्नेल में केमिकल और बायोमोलेक्युलर इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर सुसान डैनियल के हवाले से कहा,"क्योंकि झिल्ली (मेंम्बरेन्स) मानव कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं, यह कोशिकीय सतह की बायोप्सी जैसी है। किसी कोशिका में जो भी तत्व होते हैं जैसे लिपिड और प्रोटीन वह सब तो हमारे पास होंगे लेकिन चुनौती यह है कि इनमें से कोई भी जीवित कोशिका जैसे नहीं है ”। 

कार्नेल शोधकर्ता और सह लेखक हान-युआन लियू के अनुसार इस डिवाइस का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह वैज्ञानिकों को जोखिम भरे वातावरण के संपर्क में आने से रोकता है। 

वैज्ञानिकों के अनुसार, वायरस मेंम्बरेन जो चिप के साथ जुड़े होंगे, वह सार्स सीओवी-2  झिल्ली के समान होगा। इस तरह, वैज्ञानिक यह जांच करेंगे कि मेजबान कोशिका में प्रवेश करने पर वायरस स्पाइक्स के खिलाफ औषधि कैसे काम करती है?

स्टैनफोर्ड के शोधकर्ता अल्बर्टो सैलिओ ने कहा कि इस प्रोजेक्ट ने यूनाइटेड किंगडम, कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क की प्रयोगशालाओं के विचारों और अवधारणाओं को एक किया है, जो कि बायोलॉजी एंड मटीरियल साइंसेज के एकीकरण का उदाहरण है।

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