वैज्ञानिकों ने खोजा खतरनाक इन्फ्लूएंजा के पता लगाने का तरीका

शोध ने एक आधार तैयार किया कि कैसे प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी) इन्फ्लूएंजा और कोविड-19 से मुकाबला करती है।
Photo: Wikimedia Commons
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शोधकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती इन्फ्लूएंजा के रोगियों में गंभीर बीमारी होने और उनकी रिकवरी किस तरह होगी इसके बारे में पूर्वानुमान लगायासाथ ही उन्होंने यह भी पता लगाया कि इन्फ्लूएंजा से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूनिटी) किस तरह काम करती है।

इन्फ्लूएंजा एक फैलने वाला रोग है, जिसकी वजह से आमतौर पर बुखार, मांसपेशियों में दर्द, गले में खरा, थकावट आदि होती है। सामान्यतः इन्फ्लूएंजा वायरस दो तरह के होते हैं, जिन्हें इन्फ्लूएंजाए’ और इन्फ्लूएंजाबी’ के नाम से जाना जाता है। एक और इन्फ्लूएंजा होता है जिसेसी’ के नाम से जाना जाता है, इसके कारण लोगों में सांस की नली का संक्रमण होता है लेकिन यह आम नहीं है। 

इन्फ्लूएंजा से ग्रसित लोग अपने आपको कई दिनों तक बीमार महसूस करते हैं और फिर धीरे-धीरे स्वस्थ हो जाते हैं। कुछ परिस्थितियों में, इन्फ्लूएंजा के कारण निमोनिया भी हो सकता है, इससे अन्य खतरनाक स्वास्थ्य समस्याएं यहां तक की मौत भी हो सकती है।

चार साल के इस शोध में शोधकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती के दौरान इन्फ्लूएंजा से पीड़ित मरीजों से पांच बार नमूने लिए और उन्हें 30 दिनों के बाद छुट्टी दे दी गई। उन्होंने प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया, जिससे उन्हें मारने वाले और सहायक टी कोशिकाओं, बी कोशिकाओं और जन्मजात कोशिकाओं सहित कई विभिन्न प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाओं की विशिष्ट भूमिकाओं का वर्णन करने में मदद मिली।

मेलबर्न विश्वविद्यालय के डॉ. ओन्ह गुयेन ने कहा कि शोध के दो महत्वपूर्ण निष्कर्षों में बायोमेकर को समझना शामिल है, बायोमेकर वो है जो खतरनाक बीमारी के बारे में पता लगाते हैं। बायोमेकर रिकवरी में मदद करने के साथ-साथ चार विशिष्ट साइटोकिन्स की पहचान करते हैं जिसके कारण इन्फ्लूएंजा वायरस के संक्रमण के दौरान गंभीर सूजन, जलन होती है।

डॉ न्युजेन ने कहा कि साइटोकिन्स एक महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए आवश्यक अणु हैं। हालांकि, इन साइटोकिन्स में से बहुत से सूजन, जलन और इन्फ्लूएंजा के मामले में, बहुत अधिक गंभीर संक्रमण के लिए जाने जाते हैं। शोधकर्ता ने बताया कि हमें चार विशिष्ट प्रकार के साइटोकिन्स मिले हैं जिनसे भयंकर सूजन, जलन होती है और इससे चिकित्सकों को यह अनुमान लगाने में मदद मिलती है कि क्या कोई  रोगी इन्फ्लूएंजा से वास्तव में बीमार हो सकता है या नहीं।

टीम ने लगातार प्रतिरक्षा कोशिकाओं की बड़ी आबादी को देखा, जिन्हें टी-फॉलिक्युलर हेल्पर सेल कहा जाता है, जो एंटीबॉडी-स्रावित कोशिकाओं के समानांतर काम करते हैं, रोगियों में लगभग पहले तीन दिनों में उनकी पुनर्प्राप्ति होती है।

डॉ. गुयेन ने कहा ये निष्कर्ष सबसे पहले तेजी से फैलने वाले इन्फ्लूएंजा वायरस संक्रमण के दौरान टी-फॉलिक्युलर हेल्पर कोशिकाओं के महत्व के बारे में बताते हैं, जो पिछली खोजों और अन्य लोगों में इन्फ्लूएंजा टीकाकरण के बाद इन प्रतिरक्षा कोशिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताता हैं। इन कोशिकाओं के संकेतों को इन्फ्लूएंजा से उबरने के लिए बायोमार्कर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रोफेसर चेंग ने कहा कि हमने कोविड-19 महामारी और इससे पहले, स्वाइन फ्लू महामारी, के गंभीर परिणामों और भविष्य के संभावित उपचार के बारे में पता लगाया है। यह रोगियों की पहचान करने में सुधार के लिए सांस संबंधी संक्रमण की हमारी समझ को बढ़ाने में मदद करता है। यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।

यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के प्रोफेसर कैथरीन केडिज़ेर्का, डोहर्टी इंस्टीट्यूट में प्रयोगशाला प्रमुख और इन्फ्लूएंजा रोग विज्ञानी ने कहा, इस शोध ने उनकी टीम की समझ के लिए आधार तैयार किया कि कैसे प्रतिरक्षा प्रणाली कोविड-19 से मुकाबला करती है। इन्फ्लूएंजा पर यह अध्ययन हमारे कोविड-19 शोध के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

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