अल्जाइमर बीमारी का जल्द पता लगाने के लिए अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के दल ने एक आसान ब्लड टैस्ट विकसित किया है, जो 96 फीसदी सटीक है। इस खोज को हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के नेतृत्व में किया गया है।
वर्तमान में किसी व्यक्ति को अल्जाइमर रोग है या नहीं इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर कॉग्निटिव टैस्ट पर भरोसा करते हैं। इसके साथ ही वो इस बीमारी के कारण मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तनों का पता लगाने के लिए ब्रेन इमेजिंग और लंबर पंचर जैसी चिकित्सा प्रक्रियाओं का प्रयोग करते हैं। हालांकि देखा जाए तो यह विधियां बहुत महंगी हैं। जो आमतौर पर दुनिया के कई देशों में उपलब्ध नहीं हैं।
अल्जाइमर कितनी खतरनाक बीमारी है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दुनिया भर में 5 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। जिनके मस्तिष्क की कोशिकाओं की शिथिलता आ चुकी है और उन्हें नुकसान पहुंचा है। इसके लक्षणों में समय के साथ याददाश्त में कमी आना, सोचने-समझने, तर्क और निर्णय करने की क्षमता पर असर पड़ना शामिल हैं।
अक्सर रोगी उस समय जांच और इलाज के लिए जाते हैं जब उन्हें याददाश्त सम्बन्धी समस्याएं होने लगती हैं। लेकिन देखा जाए तो अल्जाइमर, लक्षणों का प्रकट होने से कम से कम 10 से 20 वर्ष पहले मस्तिष्क को प्रभावित कर चुका होता है।
कैसे काम करता है यह टैस्ट
लेकिन हाल ही में प्रोफेसर नैन्सी आईपी के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक दल ने रक्त में मौजूद 429 प्लाज्मा प्रोटीन में से 19 की पहचान की है जो अल्जाइमर से जुड़े होते हैं। यह रक्त में मौजूद अल्जाइमर के हस्ताक्षर की तरह होते हैं, इन बायोमार्कर की मदद से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने इनकी मदद से एक स्कोरिंग सिस्टम विकसित किया है, जो 96 फीसदी सटीकता के साथ अल्जाइमर से ग्रस्त मरीज और स्वस्थ व्यक्ति में अंतर कर सकता है।
यही नहीं यह सिस्टम इस बात का पता लगा सकता है कि यह बीमारी शुरुवाती या अंतिम किस चरण में है। साथ ही समय के साथ रोग में होने वाली प्रगति की निगरानी के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। इन निष्कर्षों की मदद से वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर का जल्द पता लगाने के लिए ब्लड टैस्ट विकसित किया है जो इस बीमारी को ठीक करने के लिए नए चिकित्सीय उपचार का मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है।
इस बारे में प्रमुख शोधकर्ता नैन्सी आईपी ने जानकारी दी है कि हमने अति संवेदनशील रक्त आधारित प्रोटीन का पता लगाने वाली तकनीक की मदद से यह सरल ब्लड टैस्ट विकसित किया है, जोकि सटीकता के साथ इस बीमारी का पता लगा सकता है। इसकी मदद से बड़े पैमाने पर बीमारी का पता लगाया जा सकता है और यह जाना जा सकता है कि बीमारी किस स्टेज पर है।
यह शोध यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के साथ-साथ प्रिंस ऑफ वेल्स और क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल के चिकित्सकों की मदद से किया गया है। इसके लिए उन्होंने हांगकांग में अल्जाइमर से ग्रस्त रोगियों के प्लाज्मा में मौजूद 1,000 से अधिक प्रोटीन के स्तर की जांच की है।
इसके लिए उन्होंने प्रोक्सिमिटी एक्सटेंशन एस्से (पीईए) तकनीक का उपयोग किया है जोकि रक्त में मौजूद प्रोटीन को मापने की एक अत्याधुनिक और अतिसंवेदनशील तकनीक है। इससे जुड़ा शोध अल्जाइमर एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित जर्नल अल्जाइमर और डिमेंशिया में प्रकाशित हुआ है।