कोरोनावायरस की जांच के लिए वैज्ञानिकों ने बनाई नई तकनीक

नई तकनीक न केवल स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों को भीड़-भाड़ से बचाने में उपयोगी होगी, बल्कि यह स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों की गंभीर कमी को भी रोक सकता है
Photo: Flickr
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अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ने कहा है कि नैनो टेक्नोलॉजी से डॉक्टर केवल कोविड-19 संक्रमण की जांच कर सकते हैं, बल्कि यह भी पहचान सकते हैं कि कौन से मरीज अधिक प्रभावित हैं, जिन्हें मृत्यु का अधिक खतरा है।

एक नए पेपर में, एमएसयू के कॉलेज ऑफ ह्यूमन मेडिसिन में प्रेसिजन हेल्थ प्रोग्राम, रेडियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर, मोर्तेजा महमौदी ने एक पॉइंट-ऑफ़-केयर जांच का सुझाव दिया है। यह संक्रमण का उपचार करने और भविष्य में खतरे का आकलन करने के लिए नैनोकणों या चुंबकीय उत्तोलन का उपयोग करता है।

महमौदी ने कहा ऐसी तकनीक केवल स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों को भीड़-भाड़ से बचाने में उपयोगी होगी, बल्कि यह स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों की गंभीर कमी को भी रोक सकता है। मृत्यु दर को कम कर सकता है और भविष्य की महामारियों और महामारी के प्रबंधन में सुधार कर सकता है।

इसका सिद्धान्त संक्रमण के विभिन्न स्तरों और बीमारी के चरणों पर आधारित है जो आंसू, लार, मूत्र और प्लाज्मा जैसे जैविक तरल पदार्थों की संरचना को बदल देती है। विभिन्न संक्रमण और बीमारियां वायरस के प्रभाव और बीमारी के चरण के लिए अलग-अलग पैटर्न बनाती हैं, कुछ हद तक यह एक फिंगरप्रिंट के समान होता है। महमौदी ने कहा कि उन पैटर्नों की पहचान करना और उन्हें सूचीबद्ध करना जांच करने वाली तकनीक की किसी भी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।

इसे शुरू करने के लिए, एक मरीज के जैविक तरल पदार्थ को मानव बाल के एक-हजारवें व्यास से भी कम नैनोकणों के एक छोटे संग्रह में लागू किया जाता है। कण की अनूठी सतह तरल पदार्थ से प्रोटीन, लिपिड और अन्य अणुओं को एक पैटर्न में इकट्ठा करती है जिसे महमौदी जैव-रासायनिक कोरोना या मुकुट कहते हैं। यह अध्ययन मॉलिक्यूलर फार्मसूटिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

महमौदी ने कहा कि सांख्यिकीय दृष्टिकोण के साथ छोटे कणों की सतह पर जैव-रासायनिक कोरोना की संरचना का विश्लेषण करके, तकनीक उन रोगियों के लिए 'फिंगरप्रिंट' पैटर्न बना सकती है, जिनकी मृत्यु होने का अधिक खतरा होता है।

इन दो नए जांच के तरीकों को उन जगहों पर लगाया जा सकता है जहां रोगियों की देखभाल की जाती है। क्योंकि रोगी के आवश्यक नमूने आसानी से प्राप्त किए जा सकते हैं, इसलिए विशेषज्ञ चिकित्सा पेशेवरों को परीक्षण का संचालन करने की आवश्यकता नहीं होगी।

उंगलियों के निशान (फिंगरप्रिंट) के रूप में पहचाने जाने वाले पैटर्न का उपयोग करने के लिए, डिवाइस में छोटे सेंसर तकनीकों का एक समूह होता है - जैसे कि 'ऑप्टोइलेक्ट्रोनिक नोज' यह परीक्षण के परिणामों का चित्र बनाने और जांच रिपोर्ट बनाने में सक्षम है। सुझाए गई तकनीक कोविड-19 से संक्रमित रोगियों की मृत्यु के अधिक खतरे की सटीक रूप से पहचान करने के लिए एक संवेदनशील, उपयोग में आसान ऑप्टिकल प्रणाली है।

महमौदी ने नैनोपार्टिकल-आधारित चुंबकीय उत्तोलन या मैगलेव में हालिया सफलता के आधार पर एक और तकनीक का प्रस्ताव रखा। नई विधि चुंबकीय नैनोकणों के एक घोल में से रोगी प्लाज्मा के नमूनों को अलग कर देती है। समय के साथ, प्रोटीन के अलग-अलग समूह अलग हो जाते हैं। प्रोटीन के मुकुट की तरह दिखने वाले, प्रोटीन के ये विशिष्ट आकार के फिंगरप्रिंटिंग रोग और संक्रमण के चरणों के लिए उपयोगी और विश्वसनीय पैटर्न बनाते हैं।

महमौदी ने पाया कि 'मैगलेव ऑप्टिक लेविटेड' प्रोटीन की छवियां, जिसका मशीन के द्वारा विश्लेषण किया जाता है, यह व्यक्ति के स्वास्थ्य स्थिति पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान करती हैं। कोविड-19 से संक्रमित रोगियों की मृत्यु के अधिक खतरे वाले रोगियों की जांच के लिए यह तकनीक विश्वसनीय है।

महमौदी ने कहा अधिक खतरे वाले रोगियों की प्रारंभिक अवस्था की पहचान के लिए ऐसी नैनोटेक्नोलोजी स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों की भारी कमी को रोक सकती है। मृत्यु दर को कम कर सकती है और भविष्य की महामारियों और उनके प्रबंधन में सुधार कर सकती है।

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