बैठे ठाले: हौवा का “देजा-वू”

जिस तरह प्रदूषण बढ़ रहा है, वह दिन दूर नहीं जब पूरी सृष्टि खत्म हो जाएगी और एक बार फिर सृष्टि का निर्माण करना पड़ेगा
सोरित / सीएसई
सोरित / सीएसई
Published on

ईडन गार्डन में चारों ओर गजब का सन्नाटा पसरा था। दूर-दूर तक कहीं कोई नहीं था बस आदम और हौवा आवारा पशुओं जैसे टहल रहे थे।

आदम ने पूछा, “इतना सन्नाटा क्यों है भाई! क्या स्वर्ग में भी लॉकडाउन चल रहा है? यह लॉकडाउन कब खत्म होगा?”

हौवा ने कहा, “टीवी पर खबरें नहीं देखते तो कम से कम अपने स्मार्टफोन पर तो हर तीसरे मिनट पर स्टेटस अपडेट न करके खबरें तो पढ़ सकते हो। देखते नहीं कि सृष्टि का निर्माण हो रहा है?”

“टीवी? खबरें? स्मार्टफोन? यह किन चीजों के बारे में बात कर रही हो हौवा?” आदम ने हैरानी से पूछा।

“बात तो सही है!” हौवा ने सोचा, “सृष्टि के निर्माण में अब भी काफी काम होने बाकी हैं। अम्यूजमेंट पार्क, शॉपिंग मॉल, सोलह-लेन का हाइवे, एयरपोर्ट कुछ भी तो नहीं बने हैं। पर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि मैं इस जगह पहले भी आ चुकी हूं!”

आदम और हौवा एक चट्टान पर जाकर बैठ गए। दोनों भूखे और प्यासे थे। अचानक उन्होंने देखा कि सामने तरह-तरह की फसल लहरा रही है। पास ही सब्जी के खेत थे। आदम, सब्जियों के खेत में घुसा ही था कि अचानक हौवा चीख उठी, “आदम! खेत से लौट आओ, जल्दी!” आदम खेत से वापस आ गया, “क्या हुआ हौवा?”

“आदम मुझे अब सब धीरे-धीरे याद आ रहा है।” हौवा आगे बोली, “मैंने कहा था न? मैं यहां पहले भी आ चुकी हूं!”

“मैं कुछ समझा नहीं” आदम बोला “अब बताओ बात क्या है?”

“आदम, सुनो मेरा नाम हौवा नहीं हरिणी है और तुम आदम नहीं तुम दरअसल अनवर हो। हम दोनों पहाड़ों के बीच बसे एक सुंदर से गांव में रहते थे। एक नदी के किनारे बसा था हमारा गांव। फिर हमारे गांव से थोड़ी दूर एक कागज का कारखाना लगा जिसने हमारी काफी जमीन हड़प ली। कारखाने से निकले मैल ने हमारी रही सही जमीन को खराब करना शुरू कर दिया। हमारी नदी का पानी जहरीला होता गया। किसी ने तुमसे कहा कि सब्जियों की फसल अच्छी करने के लिए उनके एंटीबायोटिक का छिड़काव करना जरूरी है। तुमने, बाकी लोगों की तरह अपनी थोड़ी से जमीन पर लगी फसल पर अंधाधुंध एंटीबायोटिक का छिड़काव शुरू कर दिया। हमारे खेतों की फसल खाकर हम बीमार पड़े। कोई भी दवा हम पर काम नहीं कर रही थी। डॉक्टर ने कहा कि हमें एएमआर (एंटी माइक्रोबियल रजिस्टेंस) हो गया है जिसमें कोई दवा काम नहीं करती। हम समझ गए थे कि अब हम ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहेंगे, इसलिए हमने तय किया कि गांव और हमारे घरवालों के विरोध के बावजूद हमें शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि हमने साथ जीने-मरने की कसमें खाईं थीं।”

“फिर क्या हुआ हौवा” आदम ने पूछा।

“एक दिन हमने भागकर शादी कर ली और मैं तुम्हारे घर आ गई। लोगों को जब यह पता चला तो उन्होंने इसे लव-जिहाद का नाम दिया और एक रात हमारी झोपड़ी में आग लगा दी। हम किसी तरह जान बचाकर भागे पर अपनी फसलों के दवा के असर से या नदी का जहरीला पानी पीने से हम इतने कमजोर हो चुके थे कि खेतों में दौड़ते हुए हमने दम तोड़ दिया।” इतना कहकर हौवा चुप हो गई।

आदम ने पूछा, “हम यहां कैसे आए?”

हौवा बोली, “मरने के बाद तो लोग यहीं पर आते हैं मूरख नाथ! जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है, वह दिन दूर नहीं जब पूरी सृष्टि खत्म हो जाएगी और एक बार फिर से सृष्टि का निर्माण करना पड़ेगा।”

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in