आज दुनिया भर में लोग कोविड-19 महामारी से त्रस्त हैं। यह बीमारी लोगों के लिए एक अभिशाप बन कर आई है। मौजूदा दौर में इस विनाशकारी बीमारी से बचाव के लिए सबसे पहले पायदान पर सैनिटाइज़र, फेस मास्क और सामाजिक दूरी अथवा कोविड यथोचित व्यवहार आवश्यक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस बात की सिफारिश की है कि यदि कोविड-19 के संक्रमण से खुद को और दूसरों को बचाना है तो फेस मास्क का उपयोग ज़रूरी तौर पर किया जाना चाहिए। डब्ल्यूएचओ ने यह भी हिदायत दी है कि मास्क पहनने के बाद भी आपको जितना हो सके दूसरों से शारीरिक दूरी बनाकर रखनी चाहिए। मास्क पहनने का मतलब यह नहीं है कि आप लोगों के साथ निकट संपर्क बना सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है यदि व्यस्त शॉपिंग सेंटर, धार्मिक भवन, रेस्तरां, स्कूल और सार्वजनिक परिवहन जैसी इनडोर सार्वजनिक जगहों के लिए, यदि आप दूसरों से शारीरिक दूरी बनाए नहीं रख सकते हैं तो आपको मास्क पहनना चाहिए। घर से बाहर जाते समय मास्क पहनना न भूलें।
हमें किस तरह का मास्क चुनना, पहनना चाहिए
कपड़े से बना मास्क चुनते समय इसकी छानने की (फिल्टरेशन) क्षमता, सांस लेने की क्षमता और नाक और मुंह को पूरी तरह से कवर कर रहा है अथवा फिट बैठ रहा है या नहीं इसकी जांच की जानी चाहिए। जब मास्क के किनारे चेहरे के करीब नहीं होते हैं, जैसे कि बोलते समय, हवा कपड़े के माध्यम से फ़िल्टर होने के बजाय मास्क के किनारों से प्रवेश करती है। सांस लेते समय या छोड़ते समय वाल्व वाले मास्क का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वे बिना छाने ही सांस की हवा को मास्क से बाहर निकलने देते हैं।
अब भारत में बने आरामदायक, हाइब्रिड मल्टीपल फेस मास्क-एसएचजी-95
विशेष रूप से एन95 फेस मास्क, एक कोरोना से संक्रमित व्यक्ति से जो संक्रमित नहीं है उस व्यक्ति में वायरस के फैलने को कम करने में अधिक प्रभावी माना गया है। लेकिन एन95 फेस मास्क का इस्तेमाल असुविधाजनक भी होता है, इसका उपयोग लंबे समय तक नहीं किया जा सकता है, इसे धोया नहीं जा सकता है।
परिशोधन टेक्नोलॉजीज प्रा. लिमिटेड को आंशिक रूप से जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) और ज्ञान और प्रगति संस्थान (आईकेपी) नॉलेज पार्क द्वारा कोविड-19 फंड के तहत हाइब्रिड मल्टीपल फेस मास्क, एसएचजी-95 (बिलियन सोशल मास्क) विकसित करने के लिए सहायता दी गई थी।
भारत में बने ये फेस मास्क कणों को रोकने में 90 फीसदी से अधिक कारगर है और जीवाणुओं को छानने में 99 फीसदी से अधिक दक्षता प्रदान करते हैं। साथ ही इस फेस मास्क को उपयोग करने पर सांस लेने में भी दिक्कत नहीं होती है। इनमें आरामदायक ईयर लूप होते हैं और इन्हें उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में भी उपयोग किया जा सकता है।
भारत में बने ये फेस मास्क बहुत ही सुविधाजनक हैं क्योंकि वे विशुद्ध रूप से हाथ से बुने हुए कपास से तैयार किए जाते हैं। इसमें लगी छानने की एक विशेष परत पहने वाले को अतिरिक्त फायदा देती है। इस फेस मास्क को धोया जा सकता है ओर इनका पुन: उपयोग किया जा सकता है। फेस मास्क की कीमत कंपनी द्वारा लगभग 50-75 रुपए प्रति मास्क रखी गई है। यह मास्क कई तरह के फायदों के साथ-साथ सस्ती भी है।
अब तक लगभग 1.5 लाख से अधिक फेस मास्कों के बेचे जाने की जानकारी दी गई है। इस पहल को ग्रैंड चैलेंज कनाडा द्वारा भी वित्त पोषित किया गया है। यह कई स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की आजीविका में सुधार करते हुए, कोविड-19 के समय में मांगों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। परिशोधन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक ने कहा कि हमारा उद्देश्य अनुसंधान और किफायती उत्पादों का विकास करना है, जिसके उपयोग के माध्यम से मानव जाति के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सके।