युवक के शरीर से निकाले गए गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब, अब तक मिले हैं सिर्फ 300 मामले

दुनिया भर में इस तरह के दुर्लभ विकार 'पर्सिस्टेंट मुलेरियन डक्ट सिंड्रोम (पीएमडीएस)' के अब तक 300 से भी कम मामले सामने आए हैं
फोटो: आईस्टॉक
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उत्तर प्रदेश के एक युवक में रेयर डिसॉर्डर सामने आया है। पता चला है कि 30 वर्षीय यह युवक पुरुष और महिला दोनों जननांगों के साथ पैदा हुआ था। विशेषज्ञों को इसके शरीर में गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब दोनों के पाए जाने का पता चला था। इस व्यक्ति का फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया है।

जानकारी मिली है कि यह युवक पर्सिस्टेंट मुलेरियन डक्ट सिंड्रोम (पीएमडीएस) से पीड़ित था। यह यौन विकास से जुड़ा एक दुर्लभ अनुवांशिक विकार है जो पुरुषों को प्रभावित करता है। इस विकार में पुरुष के भीतर नर और मादा दोनों के प्रजनन अंग विकसित हो जाते हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक एशिया इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान बनने वाली गोनाडल संरचनाएं दोषपूर्ण विकास से गुजरती हैं। इस विकार से ग्रस्त नर बच्चे में गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब, और कभी-कभी अंडाशय जैसी संरचनाएं विकसित हो जाती है और वो आगे चलकर गायब होने के बजाय वयस्कता में भी बनी रहती हैं।

इस विसंगति के चलते यह युवक सामाजिक और भावनात्मक विकलांगता का सामना कर रहा था। जो शादी के पांच साल बाद भी पिता नहीं बन पाया था। इस रोगी ने भारत के कई अस्पतालों में अपने एंडोक्रिनोलॉजिकल, जेनेटिक और मनोवैज्ञानिक प्रोफाइल की जांच करवाई थी। इसके बाद वो इलाज के लिए फरीदाबाद के अमृता अस्पताल पहुंचा था।

क्या है यह विकार 'पीएमडीएस'

इस बारे में अमृता अस्पताल के यूरो-ऑन्कोलॉजी और रोबोटिक सर्जरी के प्रमुख डॉक्टर मानव सूर्यवंशी का कहना है कि, "रोगी हमारे पास महिला और पुरुष दोनों के प्रजनन अंगों की समस्या को लेकर आया था। जांच करने पर पता चला कि टेस्टिस अभी भी उसके पेट में थे। वहीं एमआरआई स्कैन से पता चला कि इसके शरीर के अंदर गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे महिला प्रजनन अंग भी थे।"

उनका कहना है कि रोगी जन्म से ही पर्सिस्टेंट मुलेरियन डक्ट सिंड्रोम (पीएमडीएस) से पीड़ित था और वो उससे पूरी तरह अनजान था। उनके अनुसार पीएमडीएस एक दुर्लभ स्थिति है। दुनिया भर के चिकित्सा इतिहास में अब तक इसके 300 से कम मामले सामने आए हैं। चूंकि रोगी को इसकी वजह से कैंसर का खतरा था। इसलिए डॉक्टरों ने रोबोटिक सर्जरी का फैसला किया।

सर्जरी के बारे में डॉक्टर सूर्यवंशी का कहना है कि यह मामला विशेष रूप से जटिल था क्योंकि शरीर के एक ही क्षेत्र में मिश्रित और जुड़े हुई संरचनात्मक संरचनाओं के साथ संयुक्त रूप से पुरुष और महिला दोनों के शरीर रचना शामिल थी।

उन्होंने जानकारी दी है कि गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब, राउंड लिगमेंट्स और दोषपूर्ण गोनाड जैसे इंट्रा-एब्डॉमिनल टेस्टिस जैसी सभी असामान्य संरचनाओं को रोगी के शरीर से सफलतापूर्वक हटा दिया गया है। उनके अनुसार इंट्रा-एब्डॉमिनल टेस्टिस की वजह से कैंसर के विकसित होने का खतरा चार गुना ज्यादा है।

इसके अलावा मुलेरियन अवशेषों को बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई), पथरी और ब्लैडर के कभी न खाली होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में रोबोटिक सर्जरी एक बेहतर विकल्प है।

डॉक्टरों के मुताबिक रोबोटिक कीहोल सर्जरी की मदद से रोगी की तेजी से रिकवरी संभव है। इसमें सर्जरी के दो दिन बाद ही छुट्टी दे दी जाती है। सर्जरी के बाद रोगी को हार्मोनल रिप्लेसमेंट के बारे में परामर्श दिया गया है। रोगी अब एक सामान्य जिंदगी गुजार सकता है।

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